कविता : संकल्प

0
274

मिलन सिन्हा

alone-man1जो है खरा

झंझावात में भी वही

रह पायेगा खड़ा .

नहीं दिखेगा वह

कभी भी डरा-डरा .

कोई भी उसे

अपने संकल्प से

नहीं डिगा पायेगा

पर,

जो खोटा  है

भले ही मोटा है

देखने में

चिकना चुपड़ा  है

सौन्दर्य प्रसाधनों का

चलता-फिरता विज्ञापन है,

मुखौटा हटते ही

उसका असली चेहरा दिखेगा

तब क्या वह

किसी के सामने

बिना  बैसाखियों के

खड़ा भी रह पायेगा ?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here