न आदि है न अंत,
भ्रम होता है कभी,
जैसे समय रुक गया हो,
भ्रम होता है कभी,
जैसे समय दौड़ता हो,
पर समय,
न रुकता है,न दौड़ता है,
बस एक गति से चलता है।
टिक टिक टिक टिक,
एक ही लय मे,
एक ही ताल, साठ मात्राये,
बारह के अंक पर,
सम पड़ता है,
छटे अंक पर है ख़ाली,
है न ताल ये निराली !
मन कहता है कभी,
काश ये पल,
यहीं रुक जायें अभी,
पर ये नहीं होता है।
मन कहता है कभी,
कब गुज़रेगा ये समय,
गुज़र तो रहा है,
गुज़र जायेगा।
ये नहीं रुकता है कभी।
समय बीतता है,
बदलता है,
ज़ख्म देता है,
ज़ख्म भरता है,
दुखों की दवा है।
समय बलवान है,
समय ही बहाव है,
अनंत है, अखंड है।
समय अच्छा हो या बुरा,
निरंतर चलता है..
SAMAY KAVITA BAHUT ACHCHHEE LAGEE HAI . BINU JI KO BADHAAEE .
हार्दिक धन्यवाद
समय बीतता है, बदलता है,
ज़ख्म देता है, ज़ख्म भरता है,
सुन्दर भावाव्यक्ति !
विजय निकोर
thanks Vijay bhai