व्यंग्य

राजनैतिक दोहे

-बीनू भटनागर-   politics

दोहों के सारे नियमों को ताक पर रखकर ये 7 दोहे लिखे हैं, दोहे इसलिये हैं कि दो लाइन के हैं। छंदशास्त्र के विद्वानों की निगाह पड़ जाये तो कृपया आंख बन्द कर लें। कोई बॉलीवुड का प्राणी देख ले तो ध्यान दें, क्योंकि फिल्मों में जैसी तुकबन्दी होती है, वैसी हम भी कर लेते हैं। ‘साड़ी का फॉल’ और ‘गन्दी बात’ जैसे गीत लिखने के लिये कोई भी समझौता कर सकते हैं। अब फ़िल्मी गानों में कोई छायावादी छटा तो बिखेरनी नहीं है… थोड़ा स्तर नीचा कर लो और चोखा माल कमाओ, पर अब समझ में आने लगा है जितना ऊपर उठना मुश्किल है, नीचे गिरना उससे ज्यादा कठिन है, तो लो भैया पढ़ लो-

1  घुमा घुमा कर इतना फेंका, कोई पकड़ न पाय,
मोदी के मतवालों का हर दाव उल्टा पड़ जाय।

2.तेरे गाल के डिंपल पर सारी कन्यायें वारी जाय,
बुरी नज़र से ख़ुदा बचाये, दुल्हन प्यारी मिल जाय।

3 भांति-भांति के लोग इकठ्ठे हुए अब ‘झाड़ू’ लगाय,
देश का कूड़ा कचरा समेट, उसमें आग लगाय।

4.माया बहन जी ज़ोर ज़ोर से दलित दलित चिल्लांय,
धन सारा वो लूट-लूटकर अपनी मूर्ति सजांय।
5.राजकाज सब भूलकर राजा जश्न मनांय,
सलमान ख़ान व माधुरी को सैफ़ई में नचांय।

6.दीदी क्या बात करूं बहुत ही शोर मचायं,

राजनीति से अपराध को दूर न वो कर पांय।

7.तमिलनाडु की अम्मा ‘जया’ बस तमिल तमिल चिल्लांय,
तमिलनाडु की जनता को कभी अम्मा कभी करुणा बहकांय।

राजनीति से अपराध को दूर न वो कर पांय।