दोहों के सारे नियमों को ताक पर रखकर ये 7 दोहे लिखे हैं, दोहे इसलिये हैं कि दो लाइन के हैं। छंदशास्त्र के विद्वानों की निगाह पड़ जाये तो कृपया आंख बन्द कर लें। कोई बॉलीवुड का प्राणी देख ले तो ध्यान दें, क्योंकि फिल्मों में जैसी तुकबन्दी होती है, वैसी हम भी कर लेते हैं। ‘साड़ी का फॉल’ और ‘गन्दी बात’ जैसे गीत लिखने के लिये कोई भी समझौता कर सकते हैं। अब फ़िल्मी गानों में कोई छायावादी छटा तो बिखेरनी नहीं है… थोड़ा स्तर नीचा कर लो और चोखा माल कमाओ, पर अब समझ में आने लगा है जितना ऊपर उठना मुश्किल है, नीचे गिरना उससे ज्यादा कठिन है, तो लो भैया पढ़ लो-
1 घुमा घुमा कर इतना फेंका, कोई पकड़ न पाय,
मोदी के मतवालों का हर दाव उल्टा पड़ जाय।
2.तेरे गाल के डिंपल पर सारी कन्यायें वारी जाय,
बुरी नज़र से ख़ुदा बचाये, दुल्हन प्यारी मिल जाय।
3 भांति-भांति के लोग इकठ्ठे हुए अब ‘झाड़ू’ लगाय,
देश का कूड़ा कचरा समेट, उसमें आग लगाय।
4.माया बहन जी ज़ोर ज़ोर से दलित दलित चिल्लांय,
धन सारा वो लूट-लूटकर अपनी मूर्ति सजांय।
5.राजकाज सब भूलकर राजा जश्न मनांय,
सलमान ख़ान व माधुरी को सैफ़ई में नचांय।
6.दीदी क्या बात करूं बहुत ही शोर मचायं,
राजनीति से अपराध को दूर न वो कर पांय।
7.तमिलनाडु की अम्मा ‘जया’ बस तमिल तमिल चिल्लांय,
तमिलनाडु की जनता को कभी अम्मा कभी करुणा बहकांय।
राजनीति से अपराध को दूर न वो कर पांय।
हीरो थे तुम दिल्ली मे क्यो जीरो बननें चले गये
दो महीने न लड़ सके लडाई क्यो मोदी से लड़ने चल गये
केजरीवाल सुनो। …
आये थे छब्बे जी बनने चौबे बनकर चले गये
दिल्ली को न किया सफा और गन्दा करकें चले गये
अब मुलायम हुए कठोर,कांग्रेस से कर सकते है ज़ंग
अपनी जान बचाने को ढ़ूँढ़ रहे कुछ बेईमानो का संग
झाड़ू-झाड़ू के शोर से मेरे अब कान हो गये बन्द
केजरी पर रोज मार पड़े दुकान करीं क्यो बन्द
केजरी बोले भाई झाडू की उम्र होती है छोटी
मेरे ऊपर थे बड़े बाप मेरी नही चलीं कोईं गोटी
V.P.Singh
माया-माया सभी करे क्यो माया से लगा रहे आस
मोदी सब को चाट गया छोङा नही कुछ पास
माया,मुलयम चल रहे अब बातो के ही तीर
मोदी की देश मे बाढ़ देख केजरी हुआ अधीर
V.P.Singh
दीदी,रानी बहन जी चाहे तुम अम्मा ले लों सग
सोलह मई को रिजल्ट देख सभी रह जाओगे दंग
V.P.Singh
सब मोदी मोदी कर रहे,तुम क्यो मोदी से रहे डर
सब की कब्र वह खोदेगा, तुम दुबको चाहें घर
V.P.Singh
…………….वोटो की बाते …………..
वोटो का माहौल देश मे,हर जगह हो रही वोटो की बात
बातो मे से बात निकल रही,सब करे एक संग बात
कोई बोलता पंजा आगे,कमल रहा मुरझाये
कोई बोलता झाड़ू वाला,गणित रहा उलझाये
कहीं साईकिल पड़ी बेचारी,हाथी रहा ललकार
कही लपेटा कमल मरता,पंजा हुआ लाचार
कही साईकिल दौड़ रही,नलका हुआ बेहाल
अब कमल खिलेगा भारत मे,सब का यहीं है खयाल
अम्मां,दीदी,बहनजी और,रानी रही पुकार
मोदी के तूफान से,सब मार रही हुंकार
अपनीं अपनी बात बोलकर दिखा रहे सब भाव
‘सिंह’ सच्चाई तो यही,कमल दे रहा गहरे घांव
वी.पी.सिंह
दिनांक 10.05.014
ये दोहे मेरे नहीं है, ये “व्हाट्स अप” पे घूम रहे हैं, लेकिन बीनू बहन आपके राजनैतिक दोहों के जवाब पर लगभग फिट बैठ रहे हैं. (दोहों के लेखक मुझे क्षमा करें उनकी अनुमति के बिना ही मैंने कॉपी पेस्ट मार दी है)
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित भया ना कोए |
कजरी बाबू को छोड़ कर, जग सारा बेईमान होए ||
जहाँ दया तहां धर्म है, जहाँ लोभ तहां पाप |
जहाँ माफ़ी तहां काटजू, जहां अनशन वहाँ आप ||
पानी केरा बुदबुदा, अस मानुस कि जात |
कौन जाने मियां मुलायम, कब पलट दे बात ||
माया मुई न मन मुआ, मर मर गया शरीर |
मोदी राज अब आएगा, काहे होत अधीर ||
सादर,
अंतिम पंक्ति पर ध्यान दोबारा प्रिट हो गई है।