उत्तर प्रदेश में संघर्ष से सत्ता तक के समाजवादी नायक अखिलेश यादव

अरविन्द विद्रोही

उत्तरप्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है । विधान सभा उत्तर प्रदेश के आमचुनाव २०१२ में आम जनता के विश्वास रूपी मतों के सहारे, तमाम राजनीतिकपूर्वानुमानो को धता बताते हुये समाजवादी पार्टी ने विजय पताका फहरा ली है । बहुमत के जादुई अंक को पार करते हुये समाजवादी पार्टी ने अपने स्थापना से लेकर अब तक की सबसे बड़ी सफलता हासिल की है। बहुजन समाज पार्टी की उत्तर प्रदेश में सत्ता से विदाई के साथ ही साथ परिपक्व हो रहे लोकतंत्र की झलक भी उत्तर प्रदेश के मतदाताओ ने दिखा ही दिया है। माया के मायावी , कांग्रेस के दिखावी , भाजपा के भ्रमित प्रचार युद्ध की जगह समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओ के अनवरत संघर्ष को तरजीह देते हुये आम जनता ने अपनी पहली पसंद के रूप में उम्मीदों की साइकिल का बटन दबा के उत्तर प्रदेश में संघर्ष से सत्ता तक के समाजवादी नायक अखिलेश यादव के माथे पर विजयी तिलक लगा दिया है। बहुजन समाज पार्टी सरकार के जनविरोधी नीतिओ के खिलाफ जनता की आवाज बनने का महती काम करने वाले युवा समाजवादी अखिलेश यादव-सांसद, प्रदेशअध्यक्ष सपा ने जनता के लिए सड़क पे उतर के संघर्ष करने में तनिक भी संकोच या देर नहीं किया। समाजवादी पार्टी के संगठन में जिम्मेदारी स्वरुप मिले उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पद के दायित्व निर्वाहन को बखूबी निभाते हुये अखिलेश यादव ने धुर समाजवादी राजेंद्र चौधरी-प्रवक्ता, समाजवादी पार्टी को अहमियत देते हुये संगठन से जुड़े प्रत्येक निर्णय में उनकी सलाह को अहमियत देते हुये समाजवादी विचारधारा पर अपनी दृठता निरंतर बढ़ाते रहने पर, कर्मठयुवाओ को अपने से, समाजवादी विचारधारा से, जनता के संघर्ष से जोड़ते रहने पर विशेष ध्यान दिया। आज उत्तर प्रदेश में डॉ राम मनोहर लोहिया के विचारो पर बनी समाजवादी पार्टी पूर्ण बहुमत में आ चुकी है। आज से लगभग १९ वर्ष , ४ महीनापूर्व ४-५ नवम्बर, १९९२ को लखनऊ के बेगम हज़रत महल पार्क में संपन्न हुये समाजवादी पार्टी के स्थापना सम्मेलन में देश के लगभग सभी प्रान्तों के तपे-तपाये समाजवादी नेता शामिल हुये थे। इस दौर में मुलायम सिंह यादव ने ना तो शौकिया राजनीति की थी और ना पेशेवर राजनीति की थी। डॉ लोहिया केशिष्य मुलायम सिंह यादव ने उस समय छोटे लोहिया पंडित जनेश्वर मिश्र केनिर्देश पे जोखिम की राजनीति की थी । मुलायम सिंह यादव ने डॉ लोहिया के कार्यक्रमों को पुनः जीवित करने का महती काम उस दौर में किया था । सपा की स्थापना के समय समाजवादी मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुये मुलायम सिंह यादव ने अन्याय के खिलाफ संघर्ष का एलान किया था । अन्याय के खिलाफ संघर्ष की विरासत – यह वह विरासत है जो डॉ लोहिया – जे पी के बाद मुलायम सिंह यादव ने अपने बूते हासिल की थी । समाजवाद की इसी संघर्ष की विरासत को उत्तर प्रदेश में युवा समाजवादियो ने बखूबी निभाया और उत्तर प्रदेश में भ्रष्ट – मनमानी बसपा सरकार के जुल्म के खिलाफ इस संघर्ष के अगुआ के तौर पेसमाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव – सांसद ने अपनी महती भूमिका को बखूबी अंजाम दिया । उत्तर प्रदेश के विधान सभा के चुनाव में यह सफलता किसी चमत्कार के बदौलत नहीं हासिल हुई है समाजवादी पार्टी को , इस जन विश्वास के पीछे बसपा सरकार के खिलाफ जनता की आवाज बनकर संघर्ष कर रहे समाजवादियो की मेहनत रही है । जनता के मुद्दों पर आन्दोलन रतयुवा सपाइयो के शरीर पर पड़ी एक एक लाठी , पुलिसिया बूटो से रौंदे गये युवाओ के जिस्म के दर्द को आम जनता ने अपने दिलो दिमाग में बैठा लिया था । हटाना ही था बसपा की सरकार को , बसपा सरकार के खिलाफ खिलाफ अपने कार्यकर्ताओ के संघर्ष ,अखिलेश यादव के सौम्य -निर्भीक नेतृत्व की बदौलत समाजवादी पार्टी आम जन की पहली पसंद बन चुकी थी और यह अब चुनाव परिणामो से साबित भी हो चुका है । यह निष्ठावान समाजवादियो का संघर्ष ही था कि साल भर पहले से दुसरे दलों से नेता एक के बाद एक समाजवादी पार्टी में अपना भविष्य तलाशने व सुरक्षित करने आने लगे थे । संघर्ष का एक कारवां बनाया अखिलेश यादव ने जिसमे संघर्ष शील नेता-कार्यकर्ता जुड़ते गये । दुर्भाग्य वश चुनावो के दौरान लगभग सभी दलों के जनाधार विहीन- संकुचित सोच के नेताओ ने आम जनता की रोज मर्रा की परेशानियो पर छिड़े संघर्ष की जगह हिन्दू-मुस्लिम और नेपथ्य में जा चुके धार्मिक मुद्दों को अनावश्यक तूल देने का प्रयास किया । यह वही नेता गण थे जिनका कोई जन सरोकार नहीं ,जिनकी पूरी राजनीति सिर्फ कोरी बयान बाजी , जातीय-धार्मिक उन्माद पर टिकी रहती है । नकारे गये ऐसे नेता, नहीं चलने पाई इनकी सतही व भ्रमित करने वाली स्याह – संकीर्ण राजनीति इस बार यह एक विशेष उपलब्धि रही है चुनाव की । निरंकुश व भ्रष्ट सरकारों के खिलाफ संघर्ष ही समाजवादियो की पहचान व पूंजी होती है । डॉ लोहिया और जय प्रकाश के बाद समाजवादी संघर्ष को सहेजने – सवारने का काम मुलायम सिंह यादव ने बखूबी अंजाम दिया था । समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओ ने ग्रामीण जनता , छात्रों-युवाओ पर अपनी मजबूत पकड़ की बदौलत ही मुलायम सिंह यादव धरती पुत्र के संबोधन से नवाजे गये । गाँधी-लोहिया – जयप्रकाश के सिद्धांतो के अनुपालन में तनिक भी विचलित ना होने के कारण ,तात्कालिक अन्याय का विरोध करने के कारण , भ्रष्ट सरकारों के खिलाफ हल्ला बोलने के कारण मुलायम सिंह यादव को जिद्दी भी कहा गया । समाजवादी आन्दोलन में भटकाव व कामियो के बावजूद जनसंघर्ष की जो विरासत मुलायम सिंह यादव ने जो अर्जित की थी , उस पर उनके साथ साथ सपा कार्यकर्ता भी खरे साबित हुये है । आज पंडित जनेश्वर मिश्र नहीं है लेकिन उनकी कही हुई बात स्मृति पटल पर अंकित है । कन्नौज की लोकसभा सीट से १९९९ में प्रत्याशी के रूप में अखिलेश यादव का नामांकन करने पहुचे छोटे लोहिया ने पत्रकारों के सवालो के जवाब में कहा था कि – यह संघर्ष का परिवारवाद है , सत्ता का नहीं । इसके पहले शिक्षा ग्रहण कर रहे अखिलेश यादव से एक मुलाकात के दौरान जनेश्वर मिश्र ने अखिलेश यादव से कहा था — युवाओ को सार्थक व सकारात्मक राजनीति करनी चाहिए और तुमको भी पढाई के बाद करनी है। छोटे लोहिया के मार्ग दर्शन में युवा अखिलेश यादव ने लोक सभा चुनाव जीतने के बाद क्रांति रथ के माध्यम से पुरे प्रदेश का भ्रमण किया था । यह अखिलेश यादव की संघर्ष और जनता से जुड़ने की शुरुआत थी । जनता से जुड़ने की ललक ने ही अखिलेश यादव को नव आशा का केंद्र बिंदु बना दिया है । वर्तमान पीढ़ी में विरलों के ही मन में सीखने की इच्छा होती है ,विरलों को ही धुरसमाजवादियो का सानिद्ध्य मिलता है । जनेश्वर मिश्र के शिष्य रूप में अखिलेश यादव ने जनता से जुड़े सवालो को बखूबी समझा , अध्धयन किया , मानसिक दृठता अर्जित करने के साथ साथ कर्मठ युवाओ के समाजवादी संगठन के रूप में समाजवादी पार्टी को एक नयी पहचान दिया। वरिष्ठ समाजवादियो का मार्गदर्शन व युवाओकि उर्जा के एकीकरण की बदौलत डॉ लोहिया की आर्थिक नीतिओ ,किसानों .मजदूरों, युवाओ, महिलाओ ,आम जन के मुद्दों को सड़क से संसद तक उठाने में अखिलेश यादव किसी भी समकालीन युवा संसद से पीछे नहीं है । सरल स्वभाव के धनी अखिलेश यादव ने वैचारिक दृठता के बूते संघर्ष की राजनीति के सहारे सत्ता तक का सफ़र तय किया है । उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी कीवर्तमान सफलता के पीछे आम जनमानस के नज़रिए से उत्तर प्रदेश में संघर्ष सेसत्ता तक के समाजवादी नायक समाजवादियो की उम्मीदों के केंद्र बिंदु बनके उभरे अखिलेश यादव ही है ।

 

 

Previous articleनानखताई ; Nan Khatai Recipe
Next articleयारो जग बौराया…
अरविन्‍द विद्रोही
एक सामाजिक कार्यकर्ता--अरविंद विद्रोही गोरखपुर में जन्म, वर्तमान में बाराबंकी, उत्तर प्रदेश में निवास है। छात्र जीवन में छात्र नेता रहे हैं। वर्तमान में सामाजिक कार्यकर्ता एवं लेखक हैं। डेलीन्यूज एक्टिविस्ट समेत इंटरनेट पर लेखन कार्य किया है तथा भूमि अधिग्रहण के खिलाफ मोर्चा लगाया है। अतीत की स्मृति से वर्तमान का भविष्य 1, अतीत की स्मृति से वर्तमान का भविष्य 2 तथा आह शहीदों के नाम से तीन पुस्तकें प्रकाशित। ये तीनों पुस्तकें बाराबंकी के सभी विद्यालयों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को मुफ्त वितरित की गई हैं।

1 COMMENT

  1. न केवल जनेश्वर मिश्र, न केवल लोहिया, न केवल पिछड़ा , न केवल मुस्लिम न केवल मुलायम बल्कि इन सबको जिस विचारधारा से प्रेरणा और उर्जा मिलती है उस ‘मार्क्सवाद-लेनिनवाद’ को समझने की भी’ छोटे नेताजी’ को है….

Leave a Reply to shriram tiwari Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here