प्रधानमंत्री युवा योजना :उभरते युवाओं का एक मंच

कर्नल युवराज मालिक

दुनिया में भारत संभवतया एक मात्र ऐसा देश हैं जहां इतनी सारी बोली-भाषाएँ जीवंत हैं और सौ से अधिक भाषा – बोलियों में जहां प्रकाशन होता है .भारत दुनिया में पुस्तकों का तीसरा सबसे बड़ा प्रकाशक है, इसके बावजूद हमारे देश में लेखन को एक व्यवसाय के रूप में अपनाने वालों की संख्या बहुत कम है. बमुश्किल ऐसे युवा या बच्चे मिलते हैं जो यह कहें कि वे बड़े हो कर लेखक बनना चाहते हैं . पत्रकार बनने की अभिलाषा तो बहुत मिलती है लेकिन एक लेखक के रूप में देश की सेवा करने या देश के “ज्ञान-भागीदार” होने की उत्कंठा कहीं उभरती दिखती नहीं . शायद तभी हमारा प्रकाशन उद्योग भले ही तेजी से बढ़ता दिखे लेकिन हमें सन 1913 में रविंद्रनाथ टैगोर को गीतांजली पर नोबल सम्मान मिला , उसके बाद हमारा कोई लेखक वहां तक पहुँच नहीं पाया .

कभी-कभी नए सिद्धांत और विचार बहुत ही सहज तरीके से अपना स्थान निर्मित करते हैं और वे मूक क्रांति के उत्प्रेरक बन जाते हैं। वे तभी हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं जब हमारी दिनचर्या से संबंधित होते हैं। कुछ ऐसा ही नई पीढ़ी के लेखकों को खोजने, पहचानने और बढ़ावा देने के लिए भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी की परिकल्पना के अंतर्गत शुरू की गई प्रधानमंत्री मेंटरशिप युवा योजना ने हासिल किया है। एक लम्बी और पारदर्शी प्रक्रिया के बाद ऐसे पचहत्तर युवा लेखक चुन लिए गए हैं जो कि जल्दी ही देश के खाय्तिलाब्ध लेखकों के सान्निध्य में स्वतंत्रता से जुड़े किसी अनछुए पहलु पर अपनी किताब तैयार कर लेंगे , उनके शोध, लेखन श्रम, यात्रा आदि के लिए उन्हें पचास हज़ार रूपये महीने का वजीफा भी दिया जाएगा .

शिक्षा मंत्रालय द्वारा ‘भारत के राष्ट्रीय आंदोलन’ विषय पर 22 आधिकारिक भाषाओं और अंग्रेजी में पुस्तक प्रस्तावों को आमंत्रित करते हुए अखिल भारतीय प्रतियोगिता के माध्यम से शुरू इस योजना को अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली जिसमें कार्यान्वयन एजेंसी की भूमिका राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत ने निभाई। इन 23 भाषाओं में कथानक और कथेतर साहित्य-दोनों श्रेणियों में भारत के राष्ट्रीय आंदोलन, गुमनाम योद्धा, अज्ञात स्थानों की भूमिका, महिला नेताओं आदि विषयों पर 16000 से भी अधिक पुस्तक प्रस्ताव प्राप्त हुए। अब इन 75 लेखकों के परिणाम घोषित किए जा रहे हैं और मेंटरशिप योजना के माध्यम से इन पुस्तकों को तैयार करने की विकास यात्रा शुरू हो गई है।

ध्यातव्य है कि इस तरह की चुनौतीपूर्ण अखिल भारतीय प्रतियोगिता के लिए आमंत्रित 5000 शब्दों में सारांश और अध्याय योजना के पुस्तक प्रस्ताव की प्रस्तुति अपने आप में अनूठी पहल है और सोचने, पढ़ने, लिखने और अपने राष्ट्र नायकों तथा उनके योगदान के बारे में लिखने और जानने के विचार को उच्च प्राथमिकता देने पर भी प्रकाश डालती है। ध्यान से देखें तो वास्तव में प्रधानमंत्री मेंटरशिप युवा योजना एक महत्वपूर्ण मंच प्रतीत होता है जो न केवल युवा लेखकों को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि यह समग्र रूप से देश के संकटमय अनुभव और समस्याओं के दस्तावेजीकरण और सीखने के विचार को बढ़ावा दे रहा है जब देश ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दमनकारी शासन से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। इस तरह की खोज करने वाले अब युवा लेखक बनने जा रहे हैं, उनमें से कुछ की आयु 15 वर्ष से भी कम है। इसलिए इसके प्रभाव दूरगामी हो सकते हैं।

एक मुख्य तथ्य यह सामने आया है कि 75 लेखकों की अंतिम सूची बहुत ही स्वाभाविक तौर पर लैंगिक समानता हासिल करने में सक्षम रही है, जिसमें पुरुष और महिला लेखक समान संख्या में 38 पुरुष और 37 महिलाओं के साथ अंतिम सूची में हैं। इस संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि वर्षों से बालिकाओं के लिए बड़े पैमाने पर शैक्षिक और सशक्तीकरण कार्यक्रम अपना प्रभाव डालने में सक्षम है। निश्चित रूप से लैंगिक समानता इस योजना से निकलने वाली सबसे बेहतरीन खबरों में से एक है।

इसके अलावा साहित्य कैसे एक उपकरण बन सकता है, देश को सांस्कृतिक और साहित्यिक समझ और एकीकरण के सूत्र में बांध सकता है| इसका सबसे अच्छा उदाहरण तब मिलेगा जब विभिन्न भाषायी पृष्ठभूमि और परंपराओं के युवा लेखक इस बारे में खोजने, सीखने और लिखने के लिए राष्ट्रीय आंदोलन के विभिन्न ज्ञात और अज्ञात तथ्यों को एकत्र कर अपनी पुस्तकों के माध्यम से एक साथ आगे आएंगे।

इससे यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय लेखक मेंटरशिप योजना सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं के लेखकों को मंच प्रदान करने के साथ-साथ संभावित लेखकों को देश के बहुभाषी ताने-बाने में मूल्यवान अंतदृष्टि प्रदान करने का वादा करती है| यह एक ऐसी अंतरदृष्टि है जो किसी विशेष भाषा से संबंधित लेखक के लिए बातचीत करने का सरल एवं विस्तृत मंच उपलब्ध कराती है।

युवा लेखकों में बहुभाषी समझ और दृष्टिकोण विकसित करने से वे भारत की विविधता को और बेहतर तरीके से जान सकते हैं और उनका बहुआयामी दृष्टिकोण देश की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के विकास में भी सहयोगी बन सकता है। यह माननीय प्रधानमंत्री जी की ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को भी आगे बढ़ाएगा। चूँकि प्रधानमंत्री युवा योजना के अंतर्गत प्रकाशित पुस्तकों का बाद में भारत की अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा, इसलिए यह राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के आदर्श वाक्य ‘एकः सूते सकलम्’ के अनुरूप होगा।

एक बार माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था कि ‘यदि 21वीं सदी ज्ञान और ज्ञानवान मानव-शक्ति का युग है तो हमें इस शक्ति की सराहना के लिए पुस्तकों के साथ मजबूत संबंध स्थापित करना होगा।’ यह वास्तव में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत के लिए सौभाग्य की बात है कि भारत की आजादी की 75वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत न्यास को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना को ध्यान में रखते हुए अग्रणी और विचारशील युवाओं को विकसित करने का कार्य सौंपा गया है। आशा है कि कुछ चयनित लेखक नोबेल पुरस्कार से सम्मानित गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के अमर वचनों को साकार करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी छाप छोड़ेंगे-

जहाँ मन निर्भय हो, और मस्तक गर्व से ऊँचा हो,

जहाँ ज्ञान सहज ही प्राप्त हो,

जहाँ विश्व को बाँटा न गया हो, संकीर्ण दीवारों से,

जहाँ शब्द निकलते हों, सत्य की गहराइयों से,

जहाँ बिना थके कार्यशील बाँहें, उठती हों निर्माण की ऊँचाइयाँ छूने,

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