
दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर जीने वाले, भारत रत्न,पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी भौतिक जगत को छोड़कर परमधाम के लिए गमन कर गए | देश ने एक ऐसा विद्वान राजनेता और मार्गदर्शक खो दिया जिस के चाहने वाले सभी राजनीतिक दलों में उपस्थित हैं | कांग्रेस पार्टी के संकट मोचक के रूप में दशकों तक उन्होंने अपने दल की सरकार और पार्टी को अनेक झंझावातों से बचाया | प्रधानमंत्री पद का प्रवल दावेदार होते हुए भी पार्टी के आदेश पर उन्होंने अपने कनिष्ठ सहयोगी मनमोहन सिंह जी के अधीन कार्य करना भी स्वीकार किया, केवल स्वीकार ही नहीं किया अपितु अपनी सरकार के पक्ष में सर्वविधि समर्थन भी जुटाए रखा | लगभग 50 वर्ष के सुदीर्घ राजनीतिक जीवन में कई उतार चढ़ाव देखने वाले मुखर्जी वित्तमंत्री, रक्षामंत्री, विदेशमंत्री आदि मत्वपूर्ण पदों को सुशोभित करते हुई अंत में देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए | इस पद पर रहते हुए 1993 मुंबई बम धमाके का अपराधी याकूब मेनन, मुंबई के 26/11 हमले के अपराधी अजमल कसाब और संसद पर हमले का षड्यंत्रकरने वाले अफजल गुरू जैसे आतंकवादियों की फाँसी की सजा पर उन्होंने तुरन्त हस्ताक्षर कर दिए | मुखर्जी साहब की पुस्तक ‘द कोलिशन इयर्स’ भी बहुत चर्चा में रही इसमें उन्होंने अनेक राजनीतिक रहस्यों का उदघाटन किया है | इस पुस्तक में उनके द्वारा की गई भूलों का पूर्ण सत्यनिष्ठा के साथ उद्घाटित किया है | इतना ही नहीं इस पुस्तक में अन्य राजनेताओं के महत्व पूर्ण निर्णयों को भी रेखांकित किया गया है | कुशाग्र बुद्धि के धनी प्राण दा के बारे में कहा जाता है कि जब श्रीमती इंदिरा गाँधी से उनका परिचय हुआ तो वे युवा मुखर्जी से अत्यंत प्रभावित हुईं और उन्हें राज्य सभा से सांसद मनोनीत कर दिया गया | इसके बाद वे इंदिरा जी के विश्वस्त लोगों की सूची में गिने जाने लगे | राष्ट्रपति पद के बाद वे सर्वाधिक चर्चा में तब आये जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ शिक्षा वर्ग में उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रण स्वीकार किया | संघ के कार्यक्रम में उपस्थित होने वाले बड़े नेताओं में महात्मा गाँधी जी के बाद प्रणव दा कांग्रेस के प्रमुख व्यक्ति के रूप में गिने जा सकते हैं | संघ शिक्षा वर्ग में दिया गया उनका उद्बोधन राष्ट्र, राष्ट्रभक्ति और भारतीयता पर केन्द्रित रहा | इस आयोजन में सहभागिता कर उन्होंने देश के सबसे बड़े सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन के साथ संवाद बनाये रखने का सन्देश दिया | भारतीय संस्कृति पर गर्व करने वाले और सभी देश वासियों को भारतीय होने पर गर्व करने का आह्वान करने वाले प्रणव दा के चले जाने से जो रिक्तता आई है उसे भर पाना कठिन है | ऐसे विरले व्यक्ति राजनीति में कम ही होते हैं | अपने व्यक्तित्व,कृतित्व और ज्ञान से उन्होंने देश की जो सेवा की है देश उसे सदैव स्मरण रखेगा | घोर अभावों में पलकर,पांच किलोमीटर नंगे पाँव विद्यालय जाने वाले साधारण व्यक्ति की असाधारण उपलब्धियां सदैव स्मरण की जाती रहेंगी | आज पूरा देश उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजिल अर्पित कर रहा है |
डॉ.रामकिशोर उपाध्याय