प्रेस और पत्र-पत्रिका पंजीकरण विधेयक, 2023 (PRP) गुरुवार को राज्यसभा में पारित हो गया। बता दें कि प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 (PRB) को निरस्त करने के लिए यह विधेयक लाया गया है। विधेयक का उद्देश्य पत्र-पत्रिकाओं के शीर्षक सत्यापन और पंजीकरण की ऑनलाइन प्रक्रिया को सरल बनाना है।
सदन ने विपक्ष की अनुपस्थिति में कुछ मिनट बाद ही ध्वनि मत से विधेयक पारित कर दिया। इस बीच सूचना-प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा, ‘पुराने और नए अधिनियम के बीच अंतर समझाने के लिए मैं चाहता था कि विपक्ष भी यहां होता क्योंकि वे एक समय देश पर शासन कर रहे थे।’
विधेयक में समाचार पत्रों के प्रसार और सत्यापन से संबंधित प्रावधान हैं। इसमें भारत में विदेशी पत्रिकाओं के प्रतिकृति संस्करणों के प्रकाशन के लिए केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी का भी प्रावधान किया गया है। विधेयक के अनुसार प्रकाशक, पत्रिका के पंजीकरण प्रमाणपत्र विवरण या शीर्षक में संशोधन के लिए प्रेस रजिस्ट्रार जनरल को आवेदन कर सकता है। विधेयक में प्रेस और पंजीकरण अपीलीय बोर्ड का प्रावधान है, जिसमें भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष और इसके सदस्यों में से भारतीय प्रेस परिषद द्वारा नामित दो सदस्य शामिल होंगे।
विधेयक प्रस्तुत करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाना है। पंजीकरण प्रक्रिया निर्धारित 60 दिनों की अवधि में पूरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि पंजीकरण प्रक्रिया अब आठ चरण के बजाय केवल एक चरण में पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि समाचार पत्र और पत्रिकाओं के प्रकाशकों को जिलाधिकारी और भारत के समाचार पत्र पंजीयक आरएनआई के प्रेस रजिस्ट्रार को ऑनलाइन आवेदन देना होगा।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि आतंकवादी गतिविधियों में शामिल लोगों को समाचार पत्र और पत्रिकाओं के प्रकाशन की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पहले छोटे अपराधों के लिए जुर्माना और छह महीने की कैद का प्रावधान था, लेकिन अब ज्यादातर प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है। नियमों का उल्लंघन करने पर सिर्फ जुर्माना लगाया जाएगा। अनुराग ठाकुर ने इस विधेयक को सरल, बेहतर और कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने वाला बताया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार प्रेस की स्वतंत्रता की समर्थक है। यह विधेयक इसे साबित करता है। उन्होंने कहा कि विधेयक बदलते मीडिया परिदृश्य के अनुरूप है।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने कांग्रेस सरकार के बिल्कुल विपरीत ‘प्रेस को अधिक स्वतंत्रता’ दी है। उन्होंने कहा कि पहले की कांग्रेस सरकार को ‘ब्रिटिश मानसिकता’ विरासत में मिली थी और आपातकाल के दौरान 260 से अधिक वरिष्ठ पत्रकारों को कांग्रेस सरकार ने जेल में डाल दिया गया था। उन्होंने कहा कि मैं आज कह सकता हूं कि पिछले नौ वर्षों में भारत सरकार द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है। इसके बजाय, हमने प्रेस को अधिक स्वतंत्रता दी है।
बता दें कि यदि यह विधेयक दोनों सदनों से पारित हो जाता है तो कानून- जो भारत में समाचार पत्र-पत्रिकाओं को पंजीकृत करने की प्रक्रिया को आसान बनाएगा और प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 का स्थान ले लेगा।