प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह इस्तीफा दें – प्रभात झा

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद प्रभात झा ने कहा कि कांग्रेसनीत यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचार केद्र सरकार के शिष्टाचार में शामिल हो गया है। देश में हो रहे लगातार घोटालों के खुलासे के बावजूद कहीं ऐसा प्रतीत नहीं होता कि सरकारी धन की हो रही लूट को रोकने में लेश मात्र भी चिंता हमारे देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कर रहे हो। भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का यह ट्टट्ट मौन काल ट्टट्ट एक काले अध्याय के रूप में लिखा जावेगा। जहां एक ओर हमारा देश भुखमरी और कुपोषण का सामना कर रहा है, वहीं दूसरी ओर केद्र सरकार के जिम्मेदार मंत्री लाखों और करोड़ों रुपयों की लूट के घोटालों में शामिल हैं। हजारों-लाखों टन अनाज किसानों के खून पसीनों से तैयार होता है। जिसे केद्र की सरकार खुले में सड़ने के लिए छोड़ देती है। हमारे देश में 80 करोड़ से अधिक लोग गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। फिर भी 70 हजार करोड़ से अधिक के खेल घोटाले में केद्र सरकार के जिम्मेदार मंत्री मौज कर रहे हैं।

प्रभात झा ने कहा कि जहां एक ओर सैकडो जिले देश में कम वर्षा के कारण सूखे से त्रस्त हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की सरकार जो आम आदमी की प्रतिनिधित्व का दंभ भरती है, निर्लज्ज रुप से आकंण्ठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है। देश के इस कठिन सामाजिक एवं आर्थिक चुनौतियों के दौर में कांग्रेस द्वारा किये जाने वाले भ्रष्टाचारों की एक श्रृखला बन गयी है। इससे भी अधिक दुर्भागयजनक स्थिति यह है कि इन सब गतिविधियों को हमारे देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह एक मौन स्वीकृति प्रदान कर रहे हैं। प्रभात झा ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि यदि वे इन सारे घटनाक्रमों के संबंध में गंभीर है तो इन सभी घोटालों पर बारी-बारी से श्वेत-पत्र लोकसभा में लाया जाना चाहिए एवं दोषी नेताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता एवं भ्रष्टाचार निरोधक कानूनों के तहत कडी कार्यवाही की जाना चाहिए।

प्रभात झा ने कहा कि ए.राजा के इस घोटाले को 15 महिनों से अधिक समय से भारतीय जनता पार्टी लोकसभा एवं राज्यसभा में उठाती आई है। बावजूद प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह मौन रहे। यह सब दर्शाता है कि प्रधानमंत्री कहीं न कहीं इन घोटालों की श्रृंखला में शामिल हैं। प्रभात झा ने यह बताया कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने भी पिछले राज्यसभा सत्र में इस विषय पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को च्च ष्ठ्ठह्यश्चद्बह्म्ड्डष्4 द्घ ह्यद्बद्गद्यद्गठ्ठष्द्गज्ज का दोषी होने की संज्ञा दी थी। यदी उस वक्त डॉ. मनमोहन सिंह चेत जाते तो शायद देश लाखों-करोड़ रुपये के इस नुकसान से बच जाता। यह भी उल्लेखनीय है कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि आदरणीय सुप्रीम कोर्ट ने देश के प्रधानमंत्री से भ्रष्टाचार के संबंध में संशयपूर्ण सवाल किए हों। यह घटना भारत के लोकतंत्र के लिए दुर्भागयजनक है बल्कि एक शर्मनाक दौर भी है। प्रभात झा ने कहा कि इन सब घटनाओं को देखते हुए और इनकी नैतिक जिम्मेदारियों को स्वीकार करते हुए डा. मनमोहन सिंह को तत्काल प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उनका यह इस्तीफा भ्रष्टाचार के इस काले दौर में एक नई शुचिता की शुरुआत करेगा.

5 COMMENTS

  1. राष्ट्र और जन द्रोही गद्दार सरकार का कठपुतली सरदार इस्तीफ़ा देगा ? बेकार के सपने न पालिए . कूड़ेदान में फेंकने के लिए कटिबद्ध हो जाईये .और प्रभात जी भाजपा में भी किसे किसे इस्तीफ़ा ही नहीं जेल भी भेजना है इसकी भी लिस्ट बनाने में जुट जाईये .’ भ्रटाचार ‘ के मुद्दे को पार्टी लाईन से ऊपर उठाईये .

  2. इसमें कोई दो मत नहीं की देश इस समय भ्रष्टाचार के शिखर पर खड़ा है, शर्म आती है की देश में सत्ता के शिखर पर बैठे मनमोहन जी और सत्ता को अपनी उंगलियों पर नाचने वाली सोनिया जी , जनता को शायद अँधा- बहरा- गूंगा समझने लगे है, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के पद पर पी जे थामस की नियुक्ति के लिए नियम-कायदों के साथ-साथ नैतिकता को भी जिस तरह से ताक पर रख दिया गया है, कम से कम इससे तो यही लगता है. लेकिन माननीयों इतना दमन ठीक नहीं, जनता इसे एक सीमा तक ही बर्दाश्त करेगी, सोनिया जी की सास इंदिरा जी ने भी 1975 में यही किया था, लेकिन क्या हश्र हुआ था इतिहास इस बात का गवाह है.
    जनता अपने जीवन यापन की चिंता पहले करती है इसीलिए राजनीती पर ध्यान बहुत बाद में देती है लेकिन ऐसा नहीं है की जनता कुछ देख, सुन नहीं रही है, आपकी हर गतिविधि पर जनता की पूरी निगाह है , वक्त आने पर जनता खुद माकूल जवाब देगी , लेकिन हमें चिंता इस बात की है की तब तक देश का नुकसान बहुत बढ़ चूका होगा,
    देश के लिए भी कुछ सोचने की आपसे अपेक्षा करता हूँ

  3. माननीय मनमोहन जी को मनमोहक अंदाज़ में इस्तीफा दे देना चाहिए, देश में घोटालों की बाढ़ सी आ गई है ,अब सब कुछ असहनीय हो गया है ,आज़ादी के ६४ वर्षों बाद भी देश केवल सपने देख क्र जी रहा है ,आम आदमी बदहाल है ,जनता के कहर से बचने का सर्वोत्तम उपाय यही है की आप इस्तीफा देकर मध्यावधी चुनाव की घोषणा करिए जनता दूध का दूध और पानी का पानी अपने आप तय करेगी …

  4. “जहां एक ओर हमारा देश भुखमरी और कुपोषण का सामना कर रहा है, वहीं दूसरी ओर केद्र सरकार के जिम्मेदार मंत्री लाखों और करोड़ों रुपयों की लूट के घोटालों में शामिल हैं। हजारों-लाखों टन अनाज किसानों के खून पसीनों से तैयार होता है। जिसे केद्र की सरकार खुले में सड़ने के लिए छोड़ देती है। हमारे देश में 80 करोड़ से अधिक लोग गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। फिर भी 70 हजार करोड़ से अधिक के खेल घोटाले में केद्र सरकार के जिम्मेदार मंत्री मौज कर रहे हैं।”

    यदि सत्ताधीशों को इस प्रकार के हालात भी सोचने और विचार करने के लिये विवश नहीं करें तो ऐसे में सत्ताधीशों को असंवेदनशील और क्रूर शासकों की संज्ञा क्यों नहीं दी जानी चाहिये?

  5. ‘राजा’ ने बिना-तार* भी छेड़े करोड़ों राग, [*wireless]
    ‘अर्थो’ की सब व्यवस्था के बाजे बजा दिये.

    ‘आदर्श हो गए है, हमारे flat* अब, [*ध्वस्त]
    ‘ऊंचाई’ पाने के लिए ख़ुद को गिरा दिये.

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