पेशेवर कांग्रेस  

0
200

 

पिछले रविवार को शर्मा जी मिले, तो बहुत खुश थे। खुशी ऐसे छलक रही थी, जैसे उबलने के बाद दूध बरतन से बाहर छलकने लगता है। उनके मुखारविन्द से बार-बार एक फिल्मी गीत प्रस्फुटित हो रहा था, ‘‘दुख भरे दिन बीते रे भैया, अब सुख आयो रे..।’’

– शर्मा जी, क्या परिवार में कोई नाती-पोता आने वाला है ? यदि ऐसा है तो अभी से बधाई लिख लें।

– नहीं वर्मा, ऐसी कोई बात नहीं है।

– फिर इस खुशी का कारण क्या है। कुछ बताइए, तो हम भी थोड़ा खुश हो लें।

– ऐसा है वर्मा कि राहुल बाबा ने मेरा एक सुझाव मान लिया है। बस, अब कांग्रेस का कायाकल्प होने में देर नहीं है। फिर देखना, मोदी और शाह का कहीं पता नहीं लगेगा।

– ऐसा कौन सा सुझाव है, जिससे मुरदा फिर जी उठे ?

– मैं कई साल से कह रहा था कि कांग्रेस में पेशेवर लोगों की जरूरत है। उसके बिना पार्टी का उद्धार नहीं हो सकता। राहुल बाबा ने इसे मान लिया है। अब देखो, कैसे बाजी पलटती है ?

इससे मुझे चुनाव प्रबंधक प्रशांत किशोर की याद आयी, जिसकी सेवा मोदी और नीतीश कुमार ने ली थी। शायद ऐसे ही लाखों रु. वेतन वालों के हाथ में पार्टी दे दी जाएगी। कांग्रेस के पास पैसे तो अथाह हैं। वे लाखों क्या, करोड़ों रु. वेतन दे सकते हैं। इसलिए मैं उन्हें शुभकामनाएं देकर लौट आया।

लेकिन कल शर्मा जी मिले, तो बड़े परेशान नजर आये। चेहरा देखकर लग रहा था जैसे लगातार वर्षा से दीवार का चूना उतर गया हो। यह परिवर्तन मेरी समझ में नहीं आया।

– क्या हुआ शर्मा जी, परसों तो आप बिल्कुल ठीक थे।

– हां वर्मा। मुझे लग रहा है कि पेशेवर लोगों से पार्टी को लाभ की बजाय नुकसान ही होगा।

– ऐसा क्यों.. ?

– असल में पेशेवर लोगों की जरूरत जानने के लिए मैं एक एजेंसी में गया। उसके प्रबंधक की बातों से लगा कि उनके हाथ में पार्टी देना ठीक नहीं रहेगा।

– अच्छा, उन्होंने ऐसी क्या जरूरत बताई ?

– उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो हमें कम्प्यूटर और वाई फाई वाला ए.सी. दफ्तर चाहिए। उसमें बढ़िया फर्नीचर, रसोई और जरूरत निबटाने की जगह हो। चाय बनाने, पानी पिलाने और सफाई करने वाले सेवक भी होने चाहिए। चालक और तेल सहित बड़ी ए.सी. कार हो। वेतन हम लोग आपसी बातचीत में तय कर लेंगे; पर ये तय है कि हम हफ्ते में पांच दिन सुबह दस से शाम पांच बजे तक काम करेंगे। धार्मिक और राष्ट्रीय छुट्टियों के साथ ही एक-एक महीने की वैतनिक और अवैतनिक छुट्टी भी आपको देनी पड़ेगी। हर साल हम सपरिवार घूमने जाएंगे। उसका खरचा भी आपको करना होगा।

– आप इतनी छुट्टी लेंगे, तो फिर काम कब करेंगे ?

– देखिये, हम लैपटॉप और स्मार्ट फोन वाली पीढ़ी के पेशेवर लोग हैं। हम काम कब करेंगे, इससे आपको मतलब नहीं है। हम तो आपको परिणाम देंगे। और हां, अगर कार्यालय की कोई निश्चित वेशभूषा है, तो सरदी और गरमी के लिए दो-दो जोड़ी कपड़े भी आप ही बनवाएंगे।

– ये तो बड़ा कठिन है।

– आप भी तो हमें कठिन काम सौंप रहे हैं। हम जनता को सरकार के विरुद्ध भड़काएंगे। धरना, हड़ताल, अनशन और प्रदर्शन कराएंगे। जुलूस निकलवाएंगे, जिसमें तोड़फोड़ और आगजनी होगी। कभी-कभी हिंसा भी हो सकती है। हड़ताल तो हर दूसरे-चौथे दिन कहीं न कहीं होगी ही।

– पर इससे तो देश की हानि होगी ?

– आप कैसी बात कर रहे हैं शर्मा जी ? आप देश की नहीं, कांग्रेस पार्टी के लाभ की बात सोचिए। देश को आगे बढ़ाने का मौका तो जनता ने आपको 50 साल तक दिया ही है। तब तो आपके नेता अपने बैंक खाते बढ़ाते रहे। इस चक्कर में पार्टी चौपट हो गयी। अब देश को भूलकर पार्टी को उठाने की सोचिए। इस दौरान देश भी थोड़ा उठ गया, तो ये बोनस होगा।

– बोनस ?

– जी हां, और इस बोनस में हमारा भी हिस्सा होगा। वरना हम लोग भी हड़ताल पर चले जाएंगे।

– पर राजनीतिक लोग हड़ताल पर कैसे जा सकते हैं ?

– राजनीति होगी आपके लिए। हमारे लिए तो यह धंधा है, और धंधा हम पूरी ईमानदारी से करते हैं।

ये सुनकर शर्मा जी को चक्कर आने लगे। उन्हें लगा कि पेशेवर लोगों के हाथ में पार्टी को देना बहुत खतरनाक हो सकता है। वे फिर राहुल बाबा के पास गये और अपना सुझाव वापस लेना चाहा; पर पता लगा कि बाबा पेशेवर लोगों के साथ मीटिंग में व्यस्त हैं।

बस, तब से ही शर्मा जी बहुत दुखी हैं।

– विजय कुमार,

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress