पुलवामा आतंकी हमले के अंजाम से थर्राया पाकिस्तान

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सेना को खुली छूटः अब पाक मोस्ट फेवर्ड नेशन नहीं
संजय सक्सेना
जम्मू-कश्मीर के ‘उरी’ में सितंबर 2016 में 18 सैनिकों को मौत का दर्द भारत भूला भी नहीं था कि पाक प्रायोजित आतंकवाद ने पुलवामा में हमारे करीब 44 जंबाज आरपीएफ जवानों की जान ले ली। उरी हमले के बाद पड़ोसी को सबक सिखाने के लिए भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान की सीमा में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक की थी, जिसमें कई आतंकवादी, पाक सेना के जवान मारे गए थे और गुलाम कश्मीर में बने आतंकवादियों के लिए बने पैड को बारूद से उड़ा दिया गया था, लेकिन इससे पाकिस्तान सरकार ने सबक नहीं लिया। अगर सबक लेता तो पुलवामा में इतनी बड़ी आतंकवादी कार्रवाई कराने का साहस पाकिस्तान नहीं जुटा पता। यह भी तय है कि अबकी से पाकिस्तान को सर्जिकल स्ट्राइक से भी बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा। प्रधानमंत्री मोदी कह भी चुके हैं कि जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई तो होगी ही इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सेना को आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की खुली छूट देने के साथ-साथ पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले लिया है। पाकिस्तान को आतंकवाद के मोर्चे पर घेरने के लिए भारत कूटनीतिक प्रयास भी कर रहा है। हो सकता है अबकी से पाक के खिलाफ ऐसी कार्रवाई हो जिसके बाद वह आतंकियों को पनाह देने से पहले सौ बार सोचेगा। पुलवामा में जो 44 जवान शहीद हुए हैं उसमें 12 तो सिर्फ उत्तर प्रदेश के ही हैं।
बहरहाल,पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद भारत के लिए हमेशा चिंता का सबब रहा है। 1947 में हिन्दुस्तान के बंटवारे के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि भारत और पाकिस्तान अब शांति से रहेंगे। दोनों देशों की चुनी हुई सरकारें अपने मुल्क को आगे बढ़ाएंगीं,तब पाकिस्तान के हुक्मरानों ने देश को आगे बढ़ाने, डाक्टर-इंजीनियर बनाने की बजाए आतंकवादी पैदा करना शुरू कर दिया, बंटवारे में जो भू-भाग उसे मिला था, उस पर सफलता की शानदार इमारत खड़ी करने की बजाए पाकिस्तान, भारत से कश्मीर हासिल करने का राग अलापने लगा। इसके लिए कभी उसे मुम्बई में विस्फोट कराया तो कभी संसद भवन पर हमले में उसका नाम सामने आया। 12 मार्च 1993 को मुंबई में आंतकियों ने बम धमाके को अंजाम दिया। इस धमाके में 257 लोगों की मौत हुई जबकि 717 नागरिक घायल हुए थे। इस हमले का मुख्य साजिशकर्ता दाऊद इब्राहिम था । 14 फरवरी 1998 को कोयम्बटूर में मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन अल उम्माह ने 11 जगहों पर धमाके किए। इस संगठन ने कुल 12 बम धमाके किए। कुल 58 नागरिकों की मौत हुई जबकि 200 नागरिक घायल हुए। माना जा रहा था कि इस हमले में लाल कृष्ण अडवाणी को टारगेट करने की कोशिश हुई थी। भारत की राजधानी दिल्ली में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने 13 दिसंबर 2001 को संसद पर बड़ा आत्मघाती हमला किया था। इस हमले में 5 आतंकवादी मारे गए थे। जबकि दिल्ली पुलिस के 6 सहित संसद के 2 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे। इसमें एक माली की भी मौत हो गई थी। गुजरात के गांधीनगर स्थित अक्षर धाम मंदिर में दो आंतकियों ने 24 सितंबर 2002 को बड़ा हमला किया था। इस हमले में 30 लोगों की मौत हुई थी जबकि 80 नागरिक घायल हो गए थे। दोनों आंतकी जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे। 29 अक्टूबर 2005 को लश्कर-ए-तैयबा ने सीरियल बम ब्लास्ट करके राजधानी दिल्ली को दहला दिया था। आंतकियों ने 3 जगह बम धमाके किए थे। इस हमले में 62 लोगों की मौत हुई थी जबकि 210 नागरिक घायल हो गए थे। मुंबई की लोकल ट्रेन में आंतकियों ने 11 मिनट के अंदर 7 जगहों पर लगातार हमले हए थे। 11 जुलाई 2006 में हुआ ये हमला 1993 के धमाके के बाद से सबसे बड़ा धमाका था। इस धमाके में 209 लोगों की मौत हुई थी जबकि 700 लोग घायल हुए थे। दिल्ली से लाहौर को जोड़ने वाली समझौता एक्सप्रेस में 18 फरवरी 2007 को एक बड़ा धमाका हुआ था। बम धमाका यात्रियों से भरी दो बोगियों में हुआ था। हमले में 68 नागरिकों की मौत हुई थी जबकि दर्जनों लोग घायल हुए थे। मरने वालों में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक और कुछ भारतीय भी थे।
26 नवम्बर 2008 को हुआ ये हमला इतिहास में अब तक सबसे बड़े हमलों में शुमार है। 10 आंतकी समुद्र के रास्ते से मुंबई में घुसे थे। आंतकियों ने नरिमन हाऊस, ताज होटल सहित ओबरॉय होटल पर कब्जा किया था। इस हमले में कुल 164 लोगों की मौत हुई थी जबकि 308 लोग जख्मी हो गए थे। तीन दिन चले इस मुठभेड़ में पुलिस और एनएसजी ने 9 आंतकियों को मार गिराया था जबकि अजमल कसाब को गिरफ्तार किया था। हमला आंतकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने किया था। जिसका मुख्य साजिशकर्ता आंतकी हाफिज सईद था।
पिंक शहर जयपुर में 13 मई 2008 को 15 मिनट के भीतर 9 बम ब्लास्ट हुए थे। जबकि 1 को सुरक्षाकर्मीयों नष्ट कर दिया था। इस हमले में 63 लोगों की मौत सहित 216 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। 30 अक्टूबर 2008 को हुए इस हमले में 81 लोगों की मौत हुई थी जबकि 470 लोग घायल हुए थे।
2 जनवरी 2016 को पंजाब के पठानकोट एयरफोर्स बेस में चार आंतकवादियों ने हमला कर दिया था। आंतकी सेना की वर्दी में घुसे थे। सभी आंतकी जैश-ए-मोहम्मद के बताए जा रहे थे। भारतीय सेना ने कड़ी कार्रवाई करते हुए सभी हमलावरों को मार गिराया। इस मुठभेड़ में 3 जवान शहीद हो गए थे।
पाक प्रायोजित आतंकवाद के चलते ही कश्मीर पाने की हसरत को पूरा करने के लिए उसने अपनी कई ‘नस्लो’ं को बर्बाद कर दिया। पूरी दुनिया में पाकिस्तान की पहचान आतंकवादी देश के रूप में होती हैं। इसकी कीमत भारत को भी चुकानी पड़ी। क्योंकि पाकिस्तान में आतंक की फैक्ट्री से जो आतंकवादी निकल रहे थे, उन्हें जम्मू-कश्मीर सहित हिन्दुस्तान के तमाम राज्यों में दहशत फैलाने के लिए भेजा जाता।
पाकिस्तान के संदर्भ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई अक्सर कहा करते थे,‘हम लोग अपने दोस्त बदल सकते हैं, पर पड़ोसी नहीं बदल सकते।’ जो लोग यह सोचते है कि हम कब पाकिस्तान से बात या समझौता करेंगे, तो मैं बस उनको यही कहना चाहूंगा कि पिछले 55 वर्षों से सिर्फ भारत ही पाकिस्तान से बात करने की कोशिश कर रहा है। हमारे पास जो भी परमाणु हथियार हैं, वह किसी परमाणु हमले को खत्म करने के लिए है, ना कि किसी देश पर छोड़ने के लिए।’
खैर, यह सोच अटल जी की थी, लेकिन आज का नेतृत्व जानता है कि उसे पाकिस्तान को कैसे सबक सिखाना है। भारतीय सेना को आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की खुली छूट दे दी गई है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का पर्दाफाश किया जा रहा है। पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा तो छीन ही लिया गया है, हो सकता है उसको भारत की नदियों से मिलने वाला पानी भी मिलना बंद हो जाए। वैसे, जल संधि के तहत ऐसा करना बहुत आसान नहीं लगता है।

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संजय सक्‍सेना
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी संजय कुमार सक्सेना ने पत्रकारिता में परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मिशन के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत 1990 में लखनऊ से ही प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र 'नवजीवन' से की।यह सफर आगे बढ़ा तो 'दैनिक जागरण' बरेली और मुरादाबाद में बतौर उप-संपादक/रिपोर्टर अगले पड़ाव पर पहुंचा। इसके पश्चात एक बार फिर लेखक को अपनी जन्मस्थली लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र 'स्वतंत्र चेतना' और 'राष्ट्रीय स्वरूप' में काम करने का मौका मिला। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक 'आज' 'पंजाब केसरी' 'मिलाप' 'सहारा समय' ' इंडिया न्यूज''नई सदी' 'प्रवक्ता' आदि में समय-समय पर राजनीतिक लेखों के अलावा क्राइम रिपोर्ट पर आधारित पत्रिकाओं 'सत्यकथा ' 'मनोहर कहानियां' 'महानगर कहानियां' में भी स्वतंत्र लेखन का कार्य करता रहा तो ई न्यूज पोर्टल 'प्रभासाक्षी' से जुड़ने का अवसर भी मिला।

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