राजनीति

काँग्रेस के शासन में भ्रष्टाचार का दंड किसको ?

काँग्रेस के शासन में भ्रष्टाचार है यह सबको पता है। लोग अक्सर ताज्जुब भी करते हैं कि यह हो क्या रहा है?

अब जबकि कुछ लोगों से इस्तीफे माँगे जा रहे हैं तो सवाल उठना लाज़िमी है कि इस भ्रष्टाचार के लिए असल में दोषी कौन है?

क्या ये एक दो नाम और कुछ अफसर, बस, बात ख़त्म ! अशोक चह्वाण का कद काँग्रेस में क्या था यह सबको पता है। सुरेश कलमाड़ी को तो राष्ट्रमण्डल खेलों में जनता की सीटियों से कोई परेशानी नहीं हुई तो आलाकमान के कहने पर थोड़ा हिलने-डुलने में क्या समस्या ?

क्या सरकार में केंद्रीय स्तर पर, दिल्ली की शीला सरकार में एवं काँग्रेस के संगठन के स्तर पर सब स्वच्छ प्रशासन देने वाले लोग हैं ? 

खैर, जरा बड़े लोगों के बयानों एवं कार्य कलापों पर गौर किया जाय तब शायद अंदाजा लग सकता है कि असलियत में दंड किसे मिलना चाहिए …. !

काँग्रेस के युवराज का कहना है कि वह तो बस जनता के नौकर हैं। इसलिए उनपर कोई उंगली नहीं उठा सकता। उन्होंने जिम्मेदारी से पलड़ा झाड़ लिया है।

 

सोनिया गांधी का सत्ता और सत्ता के सुख से कोई लेना देना नहीं है । वह तो मनमोहन जी के यहाँ भोज में भी ओबामा जी के साथ मुख्य मेज पर बड़े अनुग्रह के बाद ही युवराज को लेकर बैठी होंगी ।

मनमोहन जी वैसे ही कम बोलते हैं । इस विषय में उनकी तरफ से कुछ खास उम्मीद करना अनुचित होगा।

प्रणव मुखर्जी साहब तो ममता बनर्जी साहिबा के आंकलन के हिसाब से कोलकाता में मुख्यमंत्री बनने की तैयारी में व्यस्त होंगे। उनका इस भ्रष्टाचार के मामले से क्या लेना देना?

चिदम्बरम जी ‘भगवा आतंक’ जैसे मुहावरे बनाने में व्यस्त हैं और बचे हुए समय में वह राधा कुमार के द्वारा कश्मीर के लिए संविधान संसोधन वाले प्रस्तावों से जूझ रहे होंगे।

‘राजा’ साहब करुणानिधि की छत्र-छाया में हैं … तो उन पर भी कोई दोषारोपण नहीं किया जा सकता ।

  

अब ले देकर एक ही जीव बचता है – और वह है आम आदमी। तो बस यह सारा दोष इन आम लोगों का है। इस देश की आम जनता ने अपने कर्तव्यों और अपने अधिकारों से मुँह मोड़ रखा है। यह एक अक्षम्य अपराध है और इसी कारण यह भ्रष्टाचर इस कदर और इतना खुले आम हो गया। अतः आम आदमी को इस भ्रष्टाचार एवं कुशासन के लिए दोषी मान कर खुले आम पुलिस के द्वारा लाठियों से मार-मार कर दंडित करना चाहिए। इन बड़े लोगों की बातों से भी ऐसा ही मतलब निकल रहा है।