पुरानी जोड़ी,नया सफ़र,मोदी-शाह।

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भारत की राजनीति में एक बार फिर सियासी जोड़ी का रूप उभरकर देश की जनता के सामने बड़ी ही मजबूती के साथ आया है। यह उस समय की यादों को ताज़ा कर देता है कि जब देश की राजनीति की धुरी पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 अटल बिहारी वाजपेई तथा लाल कृष्ण आडवाणी की जोड़ी देश की सियासत की धुरी हुआ करती थी। गुजरात से चलकर देश के सियासत में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के बाद अब यह जोड़ी कुछ नया करिश्मा करने जा रही है, जिसके संकेत प्रधानमंत्री ने भाषण के माध्यम से देश को अवगत करा दिया है। कि हम कुछ करने नहीं, अपितु बहुत कुछ करने के लिए आए हैं। क्योंकि, देश सेवा एवं समाज सेवा का कार्य पूर्ण रूप से राजनीति के माध्यम से ही संभव हो पाता है। साथ ही प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में सभी सांसदो को एक गुरू की भूमिका में संबोधित करते हुए, कार्य एवं कार्य शैली के प्रति, साफ छवि तथा सबका विश्वास जीतने के प्रति जो संदेश सांसदो को दिया है यह उसी दिए हुए संदेश की एक झलक है। जोकि देश की राजनीति में एक नई जोड़ी के रूप में देश की जनता के सामने उभरकर देश के नेतृत्व के माध्यम से संदेश के रूप में दिखाई दे रहा है। वास्तव में यह मात्र एक जोड़ी ही नहीं, यह देश की तस्वीर को बदलने के लिए योजना बद्ध तरीके से देश के मानचित्र पर खींची हुई एक बड़ी लाईन है जिसका यह पहला कदम है। इस कदम के परिणाम समय के साथ देश की जनता के सामने बड़े परिवर्तन के साथ उभरकर एक दिन स्वयं ही आ जाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने अगले कार्यकाल की जो रूप रेखा तैयार की है वह पिछले कार्यकाल से पूरी तरह से भिन्न है। मोदी की इस सरकार में कई महत्वपूर्ण बदलाव दिखाई दे रहें हैं जोकि अपने आपमें साफ एवं स्पष्ट रूप से भविष्य की राजनिति की दिशा तथा दशा के साफ संकेत उजागर कर रहें हैं। क्योंकि, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने इस कार्यकाल में जिस प्रकार से अपना पहला कदम उठाया है वह शांत शब्दों में बहुत कुछ कह रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्तमान सरकार में जिस प्रकार से मंत्रालय का गठन एवं व्यक्तियों का चयन किया है वह भविष्य की राजनीति की रूप रेखा स्पष्ट रूप से उजागर कर रहा है। क्योंकि, ऐसे फैसले तभी लिए जाते हैं, जब किसी भी कार्य को गम्भीरता पूर्वक करना होता है तो उस कार्य से संबन्धित सभी अंगों को सबसे पहले ही मजबूत एवं दृढ़ किया जाता है। क्योंकि, किसी भी प्रकार बड़ा फैसला लेने से पहले उसकी आधार शिला रखी जाती है। अतः प्रधानमंत्री के द्वारा मंत्रालय में किया गया अकल्पनीय परिवर्तन देश के भविष्य की रूप रेखा को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

अवगत करा दें कि किसी भी देश के विकास के लिए दो अहम आधार होते हैं। नम्बर एक विदेश नीति एव नम्बर दो गृह विभाग। क्योंकि, किसी भी देश का विकास तभी संभव हो पाता है जब उस देश की विदेश नीति मजूबत एवं शक्तिशाली हो। यदि हम किसी भी देश के अतीत के पन्नों को पलटकर देखते हैं तो एक बात साफ एवं स्पष्ट रूप से उभरकर पटल पर स्वयं ही आ जाती है। वह यह कि किसी भी देश की विदेश नीति तबतक सफल नहीं होती जबतक कि विदेश नीति का मुख्य जिम्मेदार व्यक्ति विदेश नीति की कूटनीति में पूर्ण रूप से अनुभवशाली न हो। क्योंकि, देश का विकास विदेश नीति पर पूर्ण रूप से ही निर्भर होता है। देश के प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक पूर्व अधिकारी को इस पद पर नियुक्ति करके साफ एवं स्पष्ट रूप से भविष्य की राजनीति की बिसात बड़ी ही बुद्धिजीविता के साथ बिछा दी है। देश के पूर्व आई.एफ.एस अधिकारी सुब्रमण्यम जयशंकर की पहचान देश के जाने-माने नौकरशाह के रूप में होती रही है। क्योंकि, एस0 जयशंकर विदेश नीति के अच्छे जानकार माने जाते हैं साथ ही एस0 जयशंकर को कई भाषाओं का भी पूर्ण रूप से ज्ञान है जोकि किसी भी देश के विदेश मंत्री को काफी मजबूत करता है। भाषाओं का ज्ञान होना अत्यंत लाभकारी होता है। इसलिए की किसी भी प्रकार के अनुवादक की आवश्यकता ही नहीं होती। खास करके भारत के लिए विदेश नीति का मुख्य केंद्र अमेरिका एवं चीन है। चीन भारत का पड़ोसी देश है। परन्तु, चीन विश्व के सभी मंचों से लगातार भारत का घोर विरोध करता रहा है। आतंकवाद के मुद्दे पर पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ चीन मजबूती के साथ विश्व के मंचों पर खड़ा दिखाई दे रहा है। भारत के लिए लाभकारी बिन्दु यह है कि एस0 जयशंकर काफी समय तक चीन में भारत के राजदूत की जिम्मेदारी निभा चुके हैं। भविष्य में भारत के चीन के साथ अच्छे रिश्ते बनें, इस पर एस0 जयशंकर भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। क्योंकि, चीन के साथ भारत के उपजे हुए मतभेदों को सुलझाने में अजित डोभाल के साथ-साथ एस0 जयशंकर की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दूसरा सबसे बड़ा प्रश्न है अमेरिकी नीति का, तो एस0 जयशंकर की अमेरिकी अधिकारियों के बीच भी काफी अच्छी पैठ मानी जाती है। क्योंकि, अपने अधिकारिक कार्यकाल के दौरान एस0 जयशंकर ने अमेरिकी कूटनीति में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है। साथ ही एस0 जयशंकर की पत्नी मूलरूप से जापान की निवासी हैं। अतः भारत के हित हेतु एस0 जयशंकर विश्व की कूटनीति में भारत के लिए काफी सफल एवं लाभकारी साबित होंगें। अतः प्रधानमंत्री मोदी का यह बड़ा फैसला देश के हित हेतु अचूक निशाना साबित होगा। क्योंकि, सभी रूप रेखा को गंभीरता के साथ देखने एवं विचार करने के बाद भविष्य की रूप रेखा काफी हद तक भारत के पक्ष में दिखाई दे रही है।

यदि हम गृहमंत्रालय की बात करते हैं तो मोदी ने इस मंत्रालय में अपने सबसे करीबी मित्र एवं विश्वास-पात्र सहयोगी भाजपा चाण्क्य अमित शाह को जिम्मेदारी सौंपी है। इसका मुख्य कारण देश के अंदर प्रत्येक राज्यों की अपनी-अपनी जटिल एवं गम्भीर समस्याएं हैं जिससे निपटना बहुत ही आवश्यक है। क्योंकि, आज के समय में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड नक्सलवाद की समस्यओं से गम्भीर रूप से ग्रस्त है। इसके बाद भारत का पूर्वी क्षेत्र भी उग्रवाद की समस्याओं से जूझ रहा है। फिर भारत का पश्चिमी क्षेत्र आतंकवाद की समस्यओं से जूझ रहा है। जिसके लिए गृहमंत्रालय को ठोस नीति एवं नीयति के साथ कार्य करते हुए देश के मूलभूत ढ़ाँचे को बचाने की बड़ी चुनौती है। साथ ही देश की सबसे बड़ी समस्या घुसपैठ है जिससे सख्ती के साथ निपटने के लिए गृहमंत्रालय के सामने बड़ी चुनौती है। अतः राजनाथ सिंह के स्थान पर प्रधानमंत्री मोदी ने अमित शाह को गृहमंत्रालय का कार्यभार सौंपा है। प्रधानमंत्री मोदी का यह फैसला अत्यंत अहम है। इस बात को और बल तब मिलता है कि जब अपने पहले दिन के ही कार्य की रूप रेखा को बड़ी गम्भीरता के साथ अमितशाह ने लेते हुए कश्मीर के राज्यपाल से एकांत में वार्तालाप की। इसका दूसरा रूप भी दिखाई दिया जब केंद्रीय गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने एक बयान जारी किया तो उस बयान पर अमितशाह ने रेड्डी को हिदायत दी कि इस प्रकार की अनुचित शब्दों का प्रयोग करना ठीक नहीं है। मैं इससे कदापि सहमत नहीं हूँ। अतः यह दोनों रूप रेखा सबका विश्वास एवं देश में बड़े परिवर्तन को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।

22 अक्टूबर 1964 को जन्में अमितशाह ने राजनीति के क्षेत्र में कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अमितशाह गुजरात के बड़े परिवार से ताल्लुक रखते हैं। अमित शाह बहुत ही कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। 1982 में कॉलेज के दिनों में शाह की मुलाक़ात नरेंद्र मोदी से हुई। 1983 में अमित शाह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और इस तरह उनका छात्र जीवन में राजनीति की ओर रुझान बढ़ा। शाह को पहला बड़ा राजनीतिक मौका 1991 में मिला जब आडवाणी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में अमित शाह ने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला। दूसरा मौका 1996 में मिला, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात से चुनाव लड़ने की योजना बनाई। इस चुनाव में भी चुनाव प्रचार का जिम्मा अमितशाह ने ही संभाला। 1997 में गुजरात की सरखेज विधानसभा सीट से उप चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 1999 में वे अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक (एडीसीबी) के प्रेसिडेंट चुने गए। 2009 में वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बने। 2014 में नरेंद्र मोदी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने। 2003 से 2010 तक अमितशाह गुजरात सरकार की कैबिनेट में गृहमंत्रालय का जिम्मा संभाला। बस यहीं से अमित शाह ने गृहमंत्रालय के कार्य का अनुभव प्राप्त किया और गुजरात सरकार में अपने कार्यों, फैसलों से सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इसी कार्य शैली को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी कैबिनेट में इस बार अमित शाह को शामिल कर देश का गृहमंत्री नियुक्ति किया।

अमित शाह की पहचान काफी तेज तर्रार एवं सधे हुए नेता के रूप में देश में आज के समय में की जाती है। भाजपा को इतनी बड़ी जीत और जमीनी स्तर पर संगठन को इतनी मजबूती के साथ खड़ा करने का पूरा श्रेय अमित शाह को ही जाता है। तमाम राजनीतिक धुरंधरों को चारों खाने चित करते हुए अमितशाह ने भारतीय जनता पार्टी को आज के समय में देश की राजनीति में शीर्ष स्थान पर जा खड़ा किया है।

अतः भाजपा अध्यक्ष अमितशाह के देश का गृहमंत्री नियुक्ति किया जाना देश की राजनीति में बहुत बड़ा परिवर्तन होने की संभावना है। क्योंकि, गृहमंत्रालय देश के प्रधानमंत्री के बाद देश का सबसे मजबूत एवं ताकतवर मंत्रालय है। देश के आंतरिक मामलों की पूरी जिम्मेदारी गृहमंत्रालय के पास होती है। सभी अर्धसैनिक बलों “पैरामिलिट्री” फोर्सों पर गृह मंत्रालय का पूर्ण रूप से नियंत्रण होता है। गृहमंत्रालय देश के अंदर सभी प्रकार की गतिविधियों पर अपनी पैनी नज़र रखता है।

सज्जाद हैदर

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