
‘स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और में उसको लेकर रहूँगा’ –ऐसा कहने वाले लोकमान्य तिलक ‘आत्मनिर्भरता’ के प्रबल पक्षधर तो थे ही , लेकिन ‘गुणवत्ता’ के साथ कोई समझोता हो ये भी उन्हें स्वीकार नहीं था. अपने जीवन में आगे क्या पढ़ना है, क्या करना है इसका उल्लेख करते हुए जब उनके लड़के नें उन्हें एक पत्र लिखा, तो उसका उत्तर उन्होंने बड़े प्रेरक रूप में दिया. उन्होंने लिखा कि जीवन में क्या करना है ये तुम विचार करो. तुम अगर कहते हो मै जूता सिलनें का व्यवसाय करूँगा, तो तुम करो. लेकिन ध्यान रखो, तुम्हारा सिला हुआ जूता इतना उत्कृष्ट होना चाहिए कि पूना शहर का हर आदमी कहे कि जूता खरीदना है तो तिलक जी के बेटे से खरीदना है.
देश में गुणवक्ता से युक्त आत्मनिर्भरता के मामले में देश में अनेक व्यावसायिक- प्रतिष्ठानों नें एक से बढ़कर एक मिसाल कायम की है. इनमें से एक हैं पवन उर्जा के क्षेत्र में अपनी धाक रखने वाले सुजलान कम्पनी के स्वामी तुलसी तांती. भारत में पवन उर्जा से प्राप्त कुल विद्युत क्षमता १९००० मेघावाट है, जिसमे अकेले गुजरात का हिस्सा ३,१४७ मेघावाट है. इसका बड़ा श्रेय जाता कच्छ के समुद्री किनारों से लगे लगभग १६०० की.मी. पट्टी पर स्थापित सेकड़ों पवन उर्जा चक्कीयाँ. यही वो क्षेत्र है जहां सन २०१४ में दुनिया की सबसे ऊंची १२० मी. पवन चक्की सुजलोन कंपनी द्वारा स्थापित की गयी थी. पूना के श्री तुलसी तांती का किस्सा बड़ा रोचक है. उन्होंने अपने छोटे से पारिवारिक वस्त्र व्यवसाय के लिए एक पवन उर्जा सयंत्र बनवाया. अपनी इस पहल से प्राप्त सुखद अनुभव से इन्होनें अपने अन्य परिचितों को प्रेरित कर उनके लिए भी ऐसे सयंत्र बनवाना प्रारंभ कर दिए. धीरे-धीरे इस कार्य का विस्तार होता चला गया और आज २५००० करोड़ की बिक्री वाली कंपनी के रूप में सुजलोन हमारे सामने है. इसका आज २० देशों में कारोबार है, और विश्व में अग्रणी पवन उर्जा कंपनी के रूप में जानी जाती है.[‘अजय राष्ट्र’-डॉ. भगवती प्रकाश शर्मा]
‘भारत में बहुत अधिक क्षमता है. यहां की दवा और वैक्सीन कंपनियां पूरी दुनिया के लिए विशाल आपूर्तिकर्ता हैं. आप जानते हैं, भारत में सबसे अधिक टीके बनाए जाते हैं. मैं उत्साहित हूं कि यहाँ का दवा उद्योग न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए (वैक्सीन का) उत्पादन कर सकेगा.’- ये बात कुछ दिनों पहले माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स नें कही थी. सच तो ये है कि भारत को ये प्रतिष्ठा अन्य कारणों से ज्यादा उसके द्वारा विश्व में उत्कृष्टता के साथ-साथ तुलनात्मक रूप से दुनिया में अत्यधिक सस्ती दरों में दवाइयों को उपलब्ध कराने से अर्जित हुई है. जर्मनी की कंपनी बायर ए.जी. गुर्दे व यकृत कैंसर की जो दवा का इंजेक्शन ‘नेक्सावर’ २,८८,००० में बेचता था, भारतीय कंपनी नाटको नें
पेटेंट से जुडी जरूरी कानूनी प्रक्रिया पूर्ण कर उसी इंजेक्शन को तैयार कर मात्र ८८०० रूपए में बाजार में उपलब्ध करा दिया. एक रिपोर्ट के अनुसार चीन में डायबिटीज़ और केंसर जैसी बीमारी बड़ी तेजी से फैल रही हैं, इस कारण से वहां के बाज़ार में भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियां तेजी से अपना स्थान बना रही है.
गुणवत्तायुक्त आत्मनिर्भरता को पाने के लिए(विकल्प ना होने की दशा में) विदेशी निवेश की अनदेखी भी नहीं की जा सकती. और सरकार ने भी इसको अर्जित करने के लिए अब कमर कस ली है. हाल ही में पारित पीएलआई[प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव]योजना इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है. इसके अंतर्गत देश में ही इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स व सेमी-कंडक्टर्स के उत्पादन शामिल है. ये योजना ४१ हज़ार करोड़ की है. वर्तमान में आये प्रस्तावों में अन्य घरेलू व विदेशी कम्पनीयों सहित विशेषकर एपल के लिए ठेके पर उत्पादनकर्ता[contract-manufacturer] फाक्सकान, विस्ट्रान, पेगट्रान और साथ ही सेमसंग, लावा, डिक्सन भी शामिल हैं. ये ज्यादातर वो कम्पनीयां है जो चीन से अपना व्यवसाय अब अन्य देशों में ले जाना चाहती हैं. इन कंपनीयों नें १५हजार और उससे अधिक कीमत वाले स्मार्टफ़ोन के उत्पादन के लिय आवेदन किया है. जबकि भारतीय कम्पनीयों के हितों को ध्यान में रखते हुए उनके लिए कोई मूल्य सीमा निर्धारित नहीं की गयी है. इस योजना से अगले पांच सालों में देश में लगभग १२ लाख लोगों को रोजगार मिलेगा; ७ लाख करोड़ रूपए के मोबाइल निर्यात होना शुरू हो जायेंगे.
इसी प्रकार समग्र रूप से घरेलु आर्थिक गतिवीधी को बढ़ावा देने के लिए जरूरी एफडीआई [विदेशी निवेश] के नियमों को और अधिक सरल बनाने की दिशा में भी कार्य कर रही है. वाणिज्य और माइनिंग, बैंकिंग,पूँजी बाजार के क्षेत्र में भी सुधार को लेकर एक बड़ी घोषणा हो सकती है . जहां स्थानीय उत्पादकों को सरंक्षण देने की बात है, जहाँ जरूरी है वहां सरकार नें कोई कमी भी नहीं रखी है. जिससे कि सस्ते आयात को रोका जा सके सरकार नें सौर सेल पर सेफ गार्ड ड्यूटी साल भर के लिए बढ़ा दी है. पिछले साल इस कारण से आयात में कमी आयी थी और घरेलु उत्पादकों को संभलनें का मौका मिला था. पेट्रोल-डीज़ल के लिए आवश्यक कच्चे ईधन तेल का दो तिहाई हिस्सा हमें विदेशों से आयात के रूप में प्राप्त होता है. आत्मनिर्भरता की दृष्टि से इससे निपटने के दो तरीके हैं-एक, तेल का अपना उत्पादन बढ़ाएं; या ईधन के अन्य विकल्पों को सुलभ बनानें की दिशा में आगे बढ़ा जाए. इसको देखते हुए सौर और पवन आधारित नवकरणीय उर्जा के क्षेत्र में मोदी सरकार नें अभूतपूर्व कार्य कियें है. जहां सौर उर्जा उपकरणों, मशीनरी और कलपुर्जों में उत्पाद शुल्क में छूट दी है, वहीँ सोलर बैटरी और पैनल बनाने में प्रयुक्त होने वाले सोलर टेम्पर्ड गिलास को सीमा शुल्क में भी बड़ी राहत दी है. इसके आलावा नवकरणीय स्वच्छ उर्जा फण्ड के वित्त-पोषण के लिए कोयला उत्पादन पर उपकर बढ़ाकर१०० रूपए प्रति टन कर दिया गया है. यह फण्ड स्वच्छ उर्जा प्रोद्धोगिकी में शोध और विकास को मदद देने के लिए स्थापित किया गया है. साथ ही इसी क्रम में विधुत चालित वाहनों और हाई ब्रिड वाहनों पर लागू रियायती सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क की समय सीमा जहाँ तक संभव हो उसे बढ़ाते रहने में कोई कसर नहीं छोड़ी.