गरीबों का दिल नहीं है राहुल गांधी के पास

-जगदीश्‍वर चतुर्वेदी

इन दिनों कांग्रेस का युवा और बूढ़ा नेतृत्व राहुल गांधी के करिश्मे का इंतजार कर रहा है। बीच-बीच में राहुल गांधी की मीडिया इमेजों का प्रक्षेपण किया जाता है और यह संदेश दिया जाता है कि वे गरीबों के हितचिंतक हैं। वे बार-बार राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना का जिस तरह नाम लेते हैं उससे लगता है यह योजना समाज में दूध -घी की नदियाँ बहा देगी। मुझे हैरत होती है कि दुनिया के बेहतरीन लोगों से शिक्षा पाने वाला व्यक्ति किस तरह मीडियाई नजारों और मंचीय राजनीति में व्यस्त है और आदर्श का ढ़ोंग कर रहा है।

राहुल गांधी के पास कांग्रेस की विरासत है। अपने परिवार की राजनीतिक विरासत है । लेकिन उनके पास हिन्दुस्तान की जनता का दिल नहीं है। बुर्जुआ दिल के साथ गरीब जनता से प्यार नहीं हो सकता।

राहुल गांधी की विशेषता है उनके पास गरीबों का दिल नहीं है। गरीबों का मन नहीं है। इससे भी बड़ी बात यह कि कांग्रेस और उसके नेताओं के पास गरीब का दिल नहीं है। अमीरों के दिल से गरीबों की सेवा नहीं हो सकती। गरीबों की सेवा के लिए गरीबों का दिल चाहिए और गरीबों का दिल हासिल करने के लिए गरीबों की सही समझ चाहिए। यह समझ गरीबों के प्रति आत्मीय लगाव से पैदा होती है। उसके लिए राहुल गांधी को अपना व्यक्तित्वान्तरण करना होगा,जिसके लिए वे तैयार नहीं हैं।

राहुल गांधी देश की सत्ता में बने रहने के सपने देखते हैं। सपने के सौदागरों और सपने के आख्यान में ही व्यस्त रहते हैं। वे गरीबों के सपने नहीं देखते और नहीं उनके पास गरीबों का दिल है। वे अच्छी तरह जानते हैं कि कईबार उनकी नानी स्व.श्रीमती इंदिरा गांधी गरीबी हटाओ का नारा लगाकर लोगों को ठग चुकी हैं और ठगे हुए लोग अब ठगे जाने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्हें जानना चाहिए कि कांग्रेस जैसा विशाल दल आज दूसरे दलों की वैसाखी पर टिका हुआ है। लंबे समय से कांग्रेस ने केन्द्र में अपने दम पर सरकार नहीं बनायी है। कांग्रेस पहले विपक्ष में थी,बाद में अन्य का समर्थन किया और अब लंबे समय से अन्य दलों के समर्थन पर केन्द्र सरकार टिकी है। यह कांग्रेस के बिगड़ते स्वास्थ्य की सूचना है। कांग्रेस अपने बिगड़ते स्वास्थ्य को लेकर सही इलाज अभी तक नहीं करा पायी है और यह कांग्रेस के लिए अच्छी खबर नहीं है।

राहुल गांधी आप नहीं जानते या जानबूझकर नादानों जैसा नाटक कर रहे हैं। अंततः कांग्रेस उसी मार्ग पर गई जिस पर उसे नहीं जाना चाहिए। कांग्रेस ने सॉफ्ट हिन्दुत्व के नारे के आधार पर बाबरी मसजिद प्रकरण पर आए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंड पीठ के फैसले को मान लिया है। हाल ही में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सीएनएन-आईबीएन को दिए साक्षात्कार में साफ कहा है कि कोर्ट का यह सबसे बेहतर फैसला है। पता नहीं राहुल गांधी आप इसके परिणामों से वाकिफ हैं या नहीं। लेकिन आप एक बात जान लें,अब यू.पी. में कांग्रेस को पुनर्जीवित नहीं कर सकते। मुसलमानों का थोड़ा सहारा आपको मिला था ,इसबार वह भी नहीं मिलेगा।

मुसलमानों को हाशिए पर डालकर उनके अधिकारों का हनन करके आप यू.पी. में नहीं लौट सकते। यू.पी. की राजनीति के निर्णायक वोट मुसलमानों के पास हैं। आप अच्छी तरह जानते हैं राममंदिर के नाम पर भाजपा का राजनीतिक तूफान उसे यू.पी.में हाशिए पर ले जा चुका है और कांग्रेस रसातल में जा चुकी है। यू.पी. में ही क्यों देश के बाकी हिस्सों में मुसलमानों के वोट कांग्रेस को मिलना मुश्किल है।

क्योंकि मुसलमानों को विगत 60 सालों में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर आपने और आपके दल ने गरीबी सौंपी है। विरासत में पिछड़ापन दिया है।

राहुल गांधी आप कैसे नेता हैं जिन्हें उपभोक्तावाद के द्वारा पैदा हो रही तबाही दिखाई नहीं दे रही और आप और आपका दल लगातार ऐसे नीतिगत कदम उठा रहा है जिससे उपभोक्तावाद की गति तेज हो रही है और आम लोगों को भ्रमित करने लिए बढ़ी हुई विकासदर का झुंझना बजा रहे हैं। विकासदर बढ़ने के साथ गरीबी बढ़ रही है। विस्थापन बढ़ रहा है। अशिक्षा बढ़ रही है। उच्चशिक्षा का स्तर गिर रहा है।

परिवार से लेकर संसद तक स्वस्थ मानवीय मूल्यों का पतन हो रहा है और आप है कि नरेगा-नरेगा का झुनझुना बजाते फिर रहे हैं। राहुल गांधी इस सच को जान लें कि समस्त विकास योजनाओं को उपभोक्तावाद निगल जाएगा। आप यदि सचमुच में देश की जनता से प्यार करते हैं तो उपभोक्तावाद से लड़ने का कोई कार्यक्रम बनाएं। वरना विकास के सारे फल गरीबों को नहीं अमीरों को मिलेंगे। गरीबों के लिए उपभोक्तावाद विषबेल है और अमीरों के लिए अमृतकलश। राहुल गांधी आप चाहें तो इस देश की जनता के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। लेकिन उसके लिए आपको अपना रास्ता बदलना होगा,नीतियां बदलनी होंगी,गरीबों के प्रति प्रतिबद्धता को व्यवहार में दिखाना होगा। आपकी पार्टीकी नीतियों के कारण 4 करोड़ से ज्यादा लोग सारे देश में अब तक विस्थापित हो चुके हैं और इनमें से अधिकांश को न तो मुआबजा मिला है और न इनका पुनर्वासन ही हुआ है। दूर क्यों जाते हैं पास में भाखड़ा नांगल बांध के बनाने के समय जो लोग विस्थापित हुए थे उनके बारे में ही जाकर खबर ले लें तो पता चल जाएगा कि आपकी पार्टी और उसके नेताओं के पास गरीबों का दिल नहीं है। विस्थापितों को बसाने की प्रतिबद्धता नहीं है। राहुल गांधी बार-बार हमारे बीच में आते हैं और गैर जरूरी बातों में उलझाकर चले जाते हैं। उनसे कोई पलटकर पूछना चाहिए कि आखिरकार आपके पास गरीब का दिल क्यों नहीं है? गरीब के आंसुओं को देखकर भी आपको गहरी नींद कैसे आती है ? उपभोक्तावाद के विकास से खुशहाली आएगी या बदहाली? क्या पृथ्वी का संतुलन बचेगा?

2 COMMENTS

  1. jagdishwar ji apka alekh bahut santulit aur budhdhimatta purd hai ,lekin isase rahul ke sehat per koi farak nahi padne wala kyoki wah to eksutri karykram le ker chal rahe hai sarvbochc h pad chahie aur unaki mata ji jo sanysinio aur tyag ki devi ka swang rache hue hai unhe apne murkh ladake ko pradhanmantri bana ker kya tyag dikhayegi.nak ke neeche com anwelth game ki loot aur 2ji spektrum ghotale ka jinn kahi pradhan man tri banate hue jail ki hawa na khilaz de kyoki raja ne manm ohan ki khamoshi per loot pat ki hai iksaka sidha arth hai bhrashtachar me sonia gandhi ke congress ki b hagidari.

  2. rahul ko whi rahne deejiye jo we abhi tk bn paaye ahin …jyda jor lagayenge to aglee baar p m
    ban jaavenge .kintu vartmaan vyvashta men thegde lagaane men maahir congress is trh desh ko lagaatar burjua varg ka gulam बनाए रखेगी .हम नहीं चाहते की राहुल भारत के गरीबों को सिर्फ लाली पाप दिखाते रहें .वे जिस विचारधारा से प्रेरित किये जा रहे हैं उसका हश्र ही तो देश की ७० करोड़ जनता भुगत रही है .उन्हेंसभ्रांत लोक में ही रहने दो प्रोलोतरिएत या वोलशेविक बनाये जाने की कामना मत करो .

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