राहुल गांधी-उमर अबदुल्ला का मुसलमानों को रिझाने का छक्का

-डॉ कुलदीप चन्द अग्निहोत्री

पिछले दिनों दो राजनैतिक हस्तियों के बयान अखबारों में आये। कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी ने भोपाल में कहा कि राष्ट्रीय़ य स्वयंसेवक संघ और सिमी एक समान ही हैं। उन्हीं दिनों जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने विधानसभा में कहा कि जम्मू कश्मीर का भारत में विलय नहीं हुआ है। उपर से देखने में दोनों बय़ानों का आपस में कोई सम्बन्ध दिखाई नहीं देता और बयान देने वाले लोग भी अलग अलग हैं। लेकिन थोड़ा गहराई से देखने पर दोनों बयान में भी एक तारतम्यता और दोनों व्यक्तियों में भी रणनीतिक सांझ दिखाई देती है। उमर अब्दुल्ला जिस पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं केन्द्र और राज्य में उस पार्टी की कांग्रेस के साथ सत्ता में सांझेदारी है। वैसे भी अब्दुल्ला और नेहरू- गांधी परिवार का आपस में बहुत गहरा रिश्ता है और दोनों के चिन्तन में भीतरी साम्यता स्पष्ट दिखाई देने लगती है। राहुल गांधी की जिद्द के कारण ही उमर अब्दुल्ला को जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया गया था। और पिछले दिनों जब उन्होंने प्रदेश को एक बार फिर से आंतकवादियों के लगभग हवाले कर दिया था तो उनके बचाव में पर्दे के पीछे से राहुल गांधी ही आगे आये थे। दोनों के उपरोक्त बयानों को समझने के लिए इस पृष्ठ भूमि को जानना जरूरी था।

राहुल गांधी देश को यह समझाने चाहते हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सिमी एक समान ही हैं। संघ क्या है, इसको सारा देश जानता है। कोई व्यक्ति संघ के विचारों से सहमत या असहमत हो सकता है, लेकिन संघ भारतीयता का पक्षधर है, इससे सभी सहमत हैं। आर्य समाज और सनातन मत वालों को अनेक प्रश्नों पर आपस में मतभेद रहता है। लेकिन दोनों में से किसी ने आज तक एक दूसरे पर यह आरोप नहीं लगाया कि वह भारतीयता के विरोध में है। मत या विचार भिन्नता एक चीज है और भारतीयता के पक्ष में या विपक्ष में खड़े होना बिल्कुल दूसरी चीज है। यदि राहुल गांधी यह आरोप लगायें भी कि संघ भारतीयता का पक्षधर नहीं है तो इस देश के लोग इस पर विश्वास नहीं करेंगे। इसे वे राहुल गांधी की अज्ञानता या बचकानापन ही कहेंगे। इस उम्र में राहुल गांधी इतना तो जानते ही होंगे। परन्तु राहुल गांधी का मकसद शायद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वभाव और प्रकृति पर टिप्पणी करना था भी नहीं। वे दरअसल सिमी की सहायता करना चाहते थे। सीधे सिमी के बारे में सकारात्मक टिप्पणी करते तो शायद पार्टी को नुकसान हो जाता। इसलिए उन्होंने सिमी की तुलना संघ से कर दी। जिसका अर्थ है कि सिमी भी भारत विरोधी नहीं है। यदि सिमी भारत विरोधी नहीं है तो उसपर प्रतिबन्ध आखिर किस लिए लगाया गया है। कहा जा सकता है कि सिमी हिंसा का रास्ता अपना रही है। हिंसा का रास्ता तो माओवादी भी अपना रहे हैं। सरकार उन से भी बातचीत करने के लिए तैयार ही नहीं रहती बल्कि केन्द्र के कुछ मंत्री भी उनकी वकालत करते है।

राहुल गांधी जिस सिमी की सहायता करना चाहते हैं, वह वास्तव में भारत में हिंसा के बल पर इस्लामी राज्य स्थापित करना चाहती है। सिमी का अर्थ है स्टुडैंट इस्लामिक मुवमेंट आफ ईडिया।स्टुडैंट को फारसी या उर्दू में तालिबान कहते हैं। भारतीय भाषा में कहना हो तो सिम्मी इस्लामी भारतीय तालिबान है। पूछा जा सकता है कि राहुल गांधी को या उनकी पार्टी को भारतीय तालिबान की मदद करने से क्या हासिल होगा। कहा जाता है कि पिछले दिनों अयोध्या का फैसला आने के बाद मुसलमान कांग्रेस से नाराज होने की मुद्रा में आ गये हैं। आने वाले चुनावों को देखते हुए कांग्रेस का सारा दारोमदार ही मुसलमानों की वोटों पर टिका हुआ है। उत्तर प्रदेश में तो कांग्रेस की पूरी रणनीति ही मुसलमान वोट बैंक पर टिकी हुई है। राहुल गांधी को देश का नेता सिद्व करने के लिए जो कवायद की जा रही है वह भी उत्तर प्रदेश के चुनावों पर ही आश्रित है। मीडिया ने ऐसा भ्रम पैदा कर दिया है कि अयोध्या मामले में मुसलमान स्वंय को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। केन्द्र में कांग्रेस की सरकार है। इस समय यदि कांग्रेस मुसलमानों की सहायता के लिए आगे नहीं आती तो मुसलमान मुलायम सिंह यादव या फिर मायावती की ओर जा सकते हैं। यदि वे इन दोनों की ओर न जाना चाहे तो यूपी में राम विलास पासवान भी अपनी दुकान सजा कर बैठ गये हैं। उन्होंने तो स्पष्ट ही घोषणा कर दी कि अयोध्या का फैसला मुसलमानों के साथ धोखा है। जाहिर है मुसलमनों के वोट बैक पर पासवानों, मुलायम सिंह यादवों के इस चैक्के पर कांग्रेस के युवराज को छक्का ही लगाना था। जिस प्रकार कभी इंदिरा गांधी ने पंजाब में अकालियों को सबक सिखाने के लिए भिंडरा वाले का आगे कर दिया था, लगता है राहुल गांधी उसी प्रकार मुसलिम वोट बैंक के अन्य दावेदारों को पछाड़ने के लिए भारतीय तालिबान के पक्ष में उतर आयें हैं । इससे राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनने या फिर कांग्रेस को ज्यादा सीटें जीतने में कितनी मदद मिलेगी यह तो समय ही बतायेगा परन्तु देश का इससे क्या नुकसान हो सकता है इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।

इस मरहले पर उमर अबदुल्ला के उस बयान की भी जांच कर लेना जरूरी है जिसमें उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का भारत में विलय नहीं हुआ है। उपर से देखने पर तो इस बयान से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि उमर अबदुल्ला की औकात इतनी बड़ी नहीं है कि वह प्रदेश के भारत में विलय को चुनौती दे सके। विलय का मसला महाराजा हरि सिंह द्वारा हस्ताक्षर कर देने के उपरांत समाप्त हो गया था। भारतीय सविंधान जम्मू कश्मीर को उसी प्रकार भारत का राज्य मानता है जिस प्रकार आंध्रप्रदेश या तमिलनाडु को। धारा 370 भारतीय सविंधान का प्रावधान है उसका रियास्त के विलय या न विलय से कोई सम्बन्ध नहीं है। इसलिए जहां तक उमर के बयान की वैधानिक स्थिति है वह शुन्य है। उमर अबदुल्ला यह भी जानते है कि उनके इस प्रकार के बयान से विलय की स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन आखिर उन्होंने फिर ऐसा बयान क्यों दिया। क्योंकि यह बयान या तो हुर्रियत के लोग देते हैं, या फिर पाकिस्तान सरकार और या फिर सिमी अर्थात भारतीय तालिबान। उमर अब्दुल्ला अन्ततः इन्हीं की भाषा क्यों बोल रहे है। ये सभी व्यक्तियां भारतीयता की विरोधी हैं। इतिहास के इस मोड़ पर जब भारत, भारत विरोधी आतंकवादियों से लड़ रहा है, सैकड़ों लोग इस लड़ाई में शहादत प्राप्त कर रहे हैं, तो दोनों मित्र राहुल और उमर या तो सिमी के पक्ष में खड़े हैं या फिर हुर्रियत के पक्ष में। यह इनकी नादानी है या इनकी किसी लम्बी रणनीति की शुरुआत, इसका फैसला आने वाला समय ही करेगा। लेकिन इनको इतना ध्यान रखना चाहिए कि इनकी इस रणनीति से न तो भारतीयता के पक्षधर संघ को परास्त किया जा सकता है न ही जम्मू कश्मीर को भारत से अलग किया जा सकता है। या खुदा, जब नकाब उठेंगे तो न जाने अभी और कितने चेहरे नंगे होंगे।

12 COMMENTS

  1. Normally working people are having some performance appraisal system in the company where ever he / she worked for. What about these political people, is there any performance appraisal system for him, and if yes then who will appraise them, People of India who were already divided in different cast ,religion, state, ego’s, priorities, or by media industry or by poor people of India who were not having food for two times even in a day. Every political leader can make any statement in public without any fear. Whatever they wants to do they will do it because we leave in democratic country. India is social welfare country and leaders are wearing cloths fully covered by democracy. Thats why they wants to make their presence in media through different stupid & useless statement. They spent maximum time in abroad for getting education because their ancestors had not create or develop any higher standard of education system in our country. This was the opinion of these people only otherwise maximum % of Indian citizen had completed his education in Indian system only. Finally when they return back to the country, they wants themselves to be famous in the Indian scenario, otherwise how people of India know them. And remaining things were done by media for the achievement of their own dreams.
    My only question is why media will give huge coverage to such useless statement from these leader? Once you cover them their purpose was solved.

    Request to keep focus on such issues only which help us to grow, growth for every Indians & to grow like develop nation. This is very important phase going on. India is heading towards developed nation now and media has to play big role for promoting Indian market globally.

  2. समझ में नहीं आ रहा क्या करे, चारो और से ऐसे विकट आक्रमण हो रहे है इसका इलाज क्या है, सारे हिन्दू बुरी तरह बटे हुए है उदारवादी एवं समझदार मुस्लिम झमेलों से दूर रहना चाहते है, अंग्रेजी शिक्षा ने संस्कारों की ना सिर्फ चूले हिला दी हैं वरन उन्हें उखाड़ कर फेक दिया है, आप ज़रा उन कोलेजों में जा कर देखिये जहां राहुल गांधी जाता है (खासकर girls कोलेजों में) आप देखेंगे की उनके गुणों की कही कोई चर्चा नहीं होती आपको सुनने को मेलेगा हाय-राम कितना स्मार्ट है, कितना गोरा है कितनी फर्राटे से अंग्रेजी बोलता है आदि-आदि, अगर ये इस परिवार में पैदा नहीं हुआ होता तो यकीन मानिए इसे कोई छोटी-मोटी नोकरी ढूंढने में दांतों तले पसीना आ जाता, एक तो निरीह भारतीय ने इसे सांसद बना दिया है और आगे भविष्य सेकुलर और बेहद निरीह भारतीय मतदाता प्रधान मंत्री बनाने के लिए दिन रात एक किये हुए है उस एहसान के बदले यह व्यक्ति संघ को सिमी के बराबर दर्जा दे रहा है, मै समझता हूँ अब तो हमें अपने ऊपर शर्म आ जानी चाहिए.

  3. मै भी राजीव जी से पूरी तरह सहमत हूँ, शायद अग्निहोत्री जी को कोई गलत-फहमी हुई है, इनमे से राहुल गांधी तो बेहद राष्ट्रभक्त(?) गरीबों का दुखदर्द समझने वाले जमीन से जुड़े इंसान हैं इन्हें महलों के पांच-तारा सुख सुविधा कभी नहीं भाये (पुष्टि के लिए आप अक्सर इन्हें दलितों के यहाँ रात बिताते हुए, मजदूरों के साथ तसला उठाये मजदूरी(?) करते हुए समाचार पत्रों में देख सकते है.) अब ऐसे व्यक्ति ने सिमी और संघ को एक सामान बता दिया तो क्या हुआ, अरे भाई आप तो तिल का ताड़ बना रहे हैं, अगर उन्होंने उमर अब्दुल्ला को मुख्या-मंत्री बनने में मदद की है तो एहसान चुकाने के लिए आगे भविष्य में वे राहुल को प्रधान-मंत्री बनने में मदद करेंगे, हेरात की बात तो यह है की राहुल गांधी कई बार ऐसे बयान दे जाते है की उनकी बुद्धी पर तरस आ जाता है, अभी मध्य-प्रदेश में उन्होंने बयान दिया की अब कांग्रेस में नेता पेराशूट से नहीं उतरेंगे यानी की थोपे नहीं जायेंगे अब उनको कौन संझाये की समूचा हिन्दुस्तान उन्हें पेराशूट से उतरा हुआ ही मानता है. दर-असल राहुल अपने मन से कुछ नहीं बोलते है जैसा लिख कर दे दिया पढ़ दिया इसमें उनकी गलती कहाँ है. अब तो केवल भगवान् से प्रार्थना ही की जा सकती है की भगवान् सभी भारतियों को सदबुधी दे की वे यथा संभव हर चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से दूर रखे .

  4. अग्निहोत्रीजी->” पर उमर अबदुल्ला के उस बयान की भी जांच कर लेना जरूरी है जिसमें उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का भारत में विलय नहीं हुआ है।”
    इस कथनका क्या अर्थ लगाया जाए?
    मुझे लगता है, यह अबदुल्ला ने कश्मीर की आजकी स्थिति के कारण शायद दिया हो। वैसे वे एक ओर अपनी कुर्सी, और दूसरी ओर, वहांकी जनता के मानसके साथ कुछ तालमेल दिखाना चाहते हैं।
    किंतु राहुल कव्वाली सुनाएगा, ऐसा दीख रहा है। शायद अबदुल्ला के साथ “जुगल बंदी” भी हो जाय। ज़रा हाथमें फडकता लाल रुमाल भूल गए हैं।

  5. कितने मासूम दिखा रहे हैं ये होनहार युवक . कश्मीरी बर्फ के समान साफ़ सुथरे, धरती पर उतरे हुए फरिश्तों जैसे . अग्निहोत्री जी आप कैसे कैसे विकट आरोप लगा रहे हैं ! कितनी सुन्दर टोपी भी पहन रखी है – शान के साथ !

    आपकी बातों से तो ऐसा लगता है कि इन्होंने राजनीति की हर चाल में महारत हासिल कर ली है और ये अपनी चालों से इस देश में साम्प्रदायिक आधार पर मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में कर विभिन्न राज्यों और केंद्र में सत्ता का सुख भोगते रहना चाहते हैं .

    क्या इतने अच्छे दिखने वाले इतने सफेदपोश इतने समृद्धिशाली लोग ऐसा कर सकते हैं ? इनकी तो खाल भी कितनी सफ़ेद है ! नहीं नहीं … कुछ धोका तो नहीं हुआ आपको ? आह … यह एक बुरा स्वप्न है क्या !!!

    देश की हर बूढ़ी अम्मा, हर मजबूर किसान, गाँव – गाँव में बसने वाला मज़दूर, वनवासी, शहरों में बसने वाला युवा, और मध्यम वर्ग के नागरिक कितनी आस्था के साथ इनके इस सुन्दर रूप को अपने ह्रदय में रखते हैं … आपके लेख पर विश्वास हो तो कैसे हो ? कश्मीर में पत्थर फेंकने वालों के सामने अगर ये पड़ जायं तो पत्थर रुक जायंगे और यदि माओवादियों के सामने ये खड़े हो जाएँ तो वह हथियार डाल दें . क्या ये इतने फरेबी हैं कि इतनी गहरी चालें चल रहे हैं और सब इनसे इतने अरमान सजाए बैठे हैं !

    • साधुवाद आपको राजीव जी इससे सुन्दर शब्द वर्णन नहीं हो सकता

    • शायद मम्मट(?), या कोई अन्य अलंकारिक ने कहा है, कि अलंकारिक-भाषासे युक्त, शब्द चित्र, वास्तविक सच्चायी से भी, कहीं अधिक प्रभाव पैदा कर देता है। आपका लिखित परिच्छेद इसका अच्छा उदाहरण है। धन्यवाद।

      • प्रो मधुसूदन जी,
        सत्य कहा आपने – शब्द चित्र गढ़ सकते हैं…और भाव भी , एक और ग्रंथ है … ध्वन्यालोक – आनन्दवर्धनाचार्य की रचना एवं साथ में अभिनवगुप्त की लोचन, इन पर हार्वर्ड ने ओरिएंटल सिरीज़ के अंतर्गत एक अनुवाद भी प्रकाशित किया है । मैं तो तकनीकी विषयों पर कार्य करता हूँ … गुरुजनों की कृपा से कभी कभी लेखन भी कर लेता हूँ। उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद ।

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