राहुल क्यो प्रधानमंत्री नही बनते ?

भारतीय कि्रकेट टीम के कप्तान की जिम्मेदारिया कंधो पर आते ही सचिन की पारिया लडखडाने लगी थी सचिन, सचिन नही रहें थे। किक्रेट प्रेमी उन से ऊकताने लगे थे। उन के बल्ले ने रन उगलने बन्द कर दिये थे,मास्टर बलास्टर फुस हो गये थे। पर कप्तान की जिम्मेदारी कंधे से हटते ही सचिन सचिन बन गये और उन का बल्ला रन के साथ ही तमाम रिकॉर्ड बनाने लगा। काग्रेस पाट्री के राजकुमार राहुल गॉधी ने शायद ये पूरा तमाशा बहुत ही संजीदगी से देखा और इस से सबक भी लिया तभी तो जब जब यूपीए की कमान राहुल को देने की बात आती है राहुल कन्नी काट जाते है। आखिर क्यो? राहुल गॉधी प्रधानमंत्री नही बनना चाहते क्या वो देश में फैले आतंकवाद से डरते है या फिर आज जिस प्रकार की राजनीति हो चली है उन्हे डर है कही ये उन की पाक साफ छवि और कपडे भी दागदार न कर दे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिॅह सहित तमाम वरिष्ट काग्रेसी राजनेता राहुल से कई बार कैबिनेट में शामिल होने का आग्रह कर चुके है इस सब के लिये राहुल पूरी तरह योग्य भी है,लेकिन मंत्रीमंडल में शामिल होने को लेकर वो हमेशा अनिच्छुक रहते हैं हर बार उन का एक ही जवाब होता है ॔॔वह पाट्री संगठन को मजबूती देने के काम को पूरे समय के साथ तनमन से करना चाहते है।
यह बात भी एकदम सोलह आना सच है कि नरसिम्हा राव के हाथो पिट और मिट चुकी कागेस को बहुत कम समय में जिस प्रकार से एक कुशल राजनेता के रूप में राहुल और सोनिया गॉधी ने संजीवनी प्रदान की वो काबिले तारीफ है। वही दूसरी ओर राहुल ने काग्रेस के एक वरिष्ट नेता को पूरे मान सम्मान के साथ अपनी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा रखा है। जब कि मनमोहन सिॅह जी को हर समय इस ओर से चिंता जरूर रहती होगी कि न जाने युवराज कब प्रधानमंत्री बनने का मन बना ले किन्तु आज जब सियासत में सारा किस्सा ही कुर्सी का है तब कुर्सी से इस प्रकार राहुल और सोनिया गॉधी का विमुख होना इन दोनो के सियासी और समाजी कद को काफी ऊॅचा करता है। ये ही वजह है कि राहुल गॉधी और सोनिया पर आज तक कोई भी विपक्षी नेता या कोई पाट्री घटिया इल्जाम नही लगा सकी। पिछले दिनो दलितो की बस्ती का जिस प्रकार दौरा कर राहुल ने मायावती और कई सियासी पाट्रियो की नीन्द उडाई वो भी चौकाने वाली बात है।
यू तो काग्रेस देश की सब से पुरानी सियासी पाट्री होने के साथ साथ अपने 125वें वर्ष में प्रवेश भी कर चुकी है यानी एक बहुत ही लम्बा सियासी अनुभव इस पाट्री को प्राप्त है। काग्रेस ने आजादी के 62 साल में लगभग 50 साल देश पर राज किया है। आजादी के बाद से लगातार 40 साल देश की सत्ता काग्रेस के पास रही फिलहाल यूपीए गठबन्धन के जरये काग्रेस केन्द्र की सत्ता पर काबिज है। राहुल गॉधी ने देश के पिछडे हुए गॉवो में जा जाकर जिस प्रकार से लोगो का दुख दर्द सूना, दलितो और गरीब लोगो के चूल्हे पर बनी कच्ची पक्की रोटी खाई,उन के साथ झोपडी में कभी सोकर कभी जागकर राते काटी, और उन्ही लोगो के बीच बैठ कर उन्ही के विकास की योजनाये बनाई इस सब का फायदा कही न कही आने वाले चुनावो में काग्रेस को जरूर मिलना है।
11 मई 2010 को दुनिया के सब से अमीर शख्सो में शुमार माईक्रोसाफट के चेयरमैन बिल गेटस अमेठी के शाहग में राहुल संग जमीन पर दरी बिछा कर चौपाल लगाकर बैठे। राहुल ने इस चौपाल में अमेठी के लोगो का दुःख दर्द सूना ग्रामीण महिलाओ ने बिल गेटस से उन के अमीर होने का राज पूछा तो वही बिल गेटस ने महिलाओ से स्वास्थ्य व विकास को लेकर सवाल किये। लोगो का दुःख दर्द बडे ध्यान से सुनकर महिला स्वावलंबन की स्थिति देखी और स्वास्थ्य सुविधाओ का बारीकी से मुआयना किया। इस अवसर पर बिल गेटस ने कहा कि उन का फाउंडेशन शिशू मृत्यू दर कम करने के लिये एक टीका बना रहा है जिसे जल्द ही अमेठी के लोगो के साथ साथ पूरे भारत के लोगो को उपलब्ध कराया जायेगा। इस दौरान उत्तर प्रदेश में गरीब महिलाओ की स्थिति, बाल विवाह,ज्यादा संताने, पलायन, परदा प्रथा, जैसे मुद्दे उठे। इस अवसर पर बिल गेटस ने महिलाओ को ये भी सलाह दी की वो खुद तो कम्प्यूटर सीखे ही साथ ही अपने बच्चो को कम्प्यूटर का ज्ञान जरूर दिलाये।
आज काग्रेस के सामने सरकार चलाने में सब से बडी समस्या जो आ रही है वो न तो देश में भस्मासुर जैसा मुॅह फाडे खडी महंगाई है और न ही देश का आर्थिक संकट आज सरकार के सामने जो सब से बडी समस्या है वो है मंत्रियो के अनुशासित न होने की। हर दूसरे तीसरे दिन कोई न कोई मंत्री अपनी सरकार के खिलाफ दूसरे मंत्रियो के मंत्रालयो के कामकाज की आलोचना कर सार्वजनिक ब्यान दे देता है। शशी थरूर और जयराम रमेश ने फिलहाल सरकार की ज्यादा किरकिरी कर रखी है। शशी थरूर तो आईपीएल मुद्दे पर अपनी मंत्री पद की कुर्सी गंवा चुके है। पर जयराम रमेश भोपाल के एक दीक्षान्त समारोह में गाउन उतार फेंकने के साथ ही काग्रेस अध्यक्ष सोनिया गॉधी को काग्रेस की राबडी बताने साथ ही गंदगी के लिये अगर नोबेल पुरस्कार होता तो भारत को मिलता, व जिन्ना की तुलना भगवान शंकर से कर काग्रेस को कई बार मुश्किलो में डाला चुके है। पिछले दिनो चीन दौरे पर गये जयराम रमेश द्वारा चीन में गृहमंत्रालय की जिस प्रकार आलोचना कि गई उस से सरकार के साथ साथ विपक्ष भी खासा नाराज है। भाजपा के पाट्री प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा कि विदेशी धरती पर जाकर अपनी ही सरकार की आलोचना करने के लिये पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश को अपने पद से इस्तीफा देना चाहिये। इस से एक ओर जहॉ सरकार की किरकिरी होती है वही मनमोहन सिॅह के वजूद का भी पता चलने लगा है। ऐसे में सोनिया या फिर राहुल को प्रधानमंत्री पद पर बैठना चाहिये क्यो कि मनमोहन सिॅह में अब वों दम खम नही रहा कि वो इन बडबोले मंत्रियो पर लगाम कस सके, बती मंहगाई को रोक सके। नक्सली हमलो को रोकने में नाकामयाब मनमोहन सिॅह के नेतृत्व वाली ये सरकार अपने एक साल के कार्यकाल में हर एक क्षेत्र में विफल रही है। भोपाल गैस त्रासदी में मरे 15000 हजार लोगो की मौत के छीटे और वारेन एंडरसन को देश से बाहर भागाने में मदद करने में काग्रेस की जिस प्रकार किरकिरी हो रही है तथा म्त लोगो की मौत का जिम्मेदारी आज पूरा देश काग्रेस को बता कर इस पूरा हादसे को लोग काग्रेस के सर म रहे है। इस सब से आना वाला समय कागे्रस के लिये अच्छा नही होगा। ऐसे में आज देश और काग्रेस को बचाने के लिये राहुल का प्रधानमंत्री पद पर बैठना बहुत जरूरी है

10 COMMENTS

  1. rahul gandhi and sonia gandhi have cake and are eating too. The moment they take over, they will become accountible to public. Right now, their most of misdeeds, micalculations and ideology are blamed on coalition, naukar PM and corrupt indian politicians. When ever they have an unpleasant moment, their cacophonic spokesmen – tiwari, shukla, dwivedi (why only Brahmins or christians with hindu names – jogies, reddys, sonies) start chorus of attack on secularism by right wing hindus.

  2. वाह क्या बढ़िया चुटकुला है. जाफर महोदय राहुल ही क्यों, ओबामा को ही भारत के प्रधानमन्त्री का पद दे डालिए. में समझता था की आप एक इमानदार और समाझदार लेखक हैं. अजित भोंसले जी की बात ठीक लगाती है, कोई स्वार्थ ही इतनी बेतुकी लिखने की प्रेरणा हो सकता है. अरे कोण नहीं जानता की राहुल और इनकी माँ को भारत की लेशमात्र भी समझ नहीं है और न ही इन्हें भारत से कोई लगाव है. अनेक अपराधिक आरोप हैं आपकी सोनिया जी पर. ऐसी माँ के बेटे से हाँ नाटक बाजी की उम्मीद तो सदा कर सकते हैं, जो की वे कर ही रहे है, हमें बेवकूफ बनाने के लिए, और आप सरीखे उसमें सहायक बन रहे हैं.

  3. राहुल गाँधी का प्रधानमंत्री न बनाने का कारण आपने किरकेट को लेकर बहुत अछा दिया जिससे किरकेट प्रेमियों को भी ख़ुशी होगी और कांग्रेसियों को भी परन्तु इस लेख से ये पता चलता है की आपने अपनी कलम स्वार्थ की सही से चलाना शुरू कर दिया है कांग्रेस कोंन है क्या है ये हर कोई जानता है आपने राहुल गाँधी की जो उदारता पेश की है की दलितों की चोपाल में साथ बैठ कर खाते है वो कहा सिर्फ और सिर्फ अमेठी में या उतरप्रदेश में क्या गरीब और कही नहीं है और गरीब के साथ खाने से क्या होता है गरीब को खाना खिलाना चाहिए न की गरीब के पास जो है वो खा लेना चाहिए गरीब का खाने में महानता नहीं है खीलाने में है रही प्रधानमंत्री की बात तो आप ही बताये की सोनिया गाँधी खुद प्रधानमंत्री क्यों नहीं बनाना चाहती क्या सता का मोह नहीं है मोह नहीं है तो वो प्रधानमंत्री के कार्यो में हस्तक्षेप क्यों करती है इसका क्या अर्थ निकला जाये की देश में फैले आंतकवाद नक्सलवाद और राजनीती में घुले हुए जहर का शिकार फिर गाँधी परिवार नहीं होना चाहता अगर इनका डर है तो ये कायरता की prakastha

  4. wah kyaa badhiyaa chutkulaa hai. zaafar mahoday raahul hi kyon, obaamaa ko hi bhaarat ke pradhaanmantri kaa pad de daaliye. mein samajhtaa thaa ki aap ek imaandaar aur samaajhdaar lekhak hain. Ajit Bhonsale ji ki baat thik lagati hai, koii swaarth hi itani betuki likhane ki preranaa ho sakataa hai. are kon nahi jaanataa ki raahul aur inaki maan ko bhaaral ki leshmaatr bhi samajh nahi hai aur n hi inhen bhaarat se koii lagaaw hai. anek apraadhik aarop hain aapaki soniyaa ji par. aisi man ke bete se han naatak baaji ki ummid to sadaa kar sakate hain, jo ki we kar hi rahe hai, hamein bewakuf banaane ke liye, aur aap sarikhe usamein sahaayak ban rahe hain.

  5. मैंने हाल ही में प्रवकताकॉम पर आपके बीते वक्त की याद दिलाने वाला लेख, तख्ती पे तख्ती, तख्ती पे दाना……….. पर टिप्पणी लिखते कहा था कि न जाने क्यों मेरी आँखें भीग आईं हैं| नए आलेख के शीर्षक में आपके राजकुमार के नाम को व्यंग समझ कर जब मैंने आपका लेख पढ़ा तो मैं जानी पहचानी पीड़ा से सचमुच रो दिया| मालुम नहीं आपने यह लेख कहाँ बैठ कर लिखा है, मेरा मतलब कल की चिंता से परे सुख-साधन से घिरे कांग्रेस द्वारा उपलब्ध कीये किसी राज भवन से अथवा आटा नमक जुटाते तेली के कोहलू की तरह मंद चलती जिंदगी जीते अपने घर घाट से या फिर अतीत की मीठी यादों में खोए इन सभी झंझटों से दूर क्या विदेश से लिखा है? तथाकथित स्वतंत्रता से पहले जन्म होने के कारण मैंने ब्रिटिश राज के खंडर देखे हैं और स्वतंत्रता के कुछ पहले और तुरंत उपरान्त भारत और पाकिस्तान को लेकर विभाजन की क्रूरता और पृथ्वी पर लोंगों के सब से बड़े देशपरिवर्तन के बीच उन खंडरों पर आधारित समाजवाद के शून्य में भारतीयों को व्यक्तिगत रूप में अपने सामर्थ्य और योग्यता अनुसार परिश्रम कर जैसे तैसे फिर से जीवन बहाल करते देखा है| यह सब शहरों की बात है जहां रेल द्वारा यातायात संभव होने के कारण पाकिस्तान से उजड़े भारतीय शरणार्थी आ बसे थे| इन सभी झंझटों से बेखबर भारत के छोटे बड़े कस्बों और हजारों लाखों गाँव में जीवन पहले की तरह नियमित रूप से चल रहा था| मेरे गाँव में लगभग पचास वर्ष तक कोई परिवर्तन तब तक नहीं आया जब तक बढ़ती जनसंख्या के कारण जालंधर शहर की सीमां को गाँव के पास नही ला खड़ा किया| परिवर्तन के नाम पर गाँव में भीड़ और गंदगी अधिक हो गई है|

    यदि आपने तीन दशक पहले टाट पट्टी पर बैठ कर मुल्तानी मिट्टी से पुती तख्ती पर लिखते और पहाड़े सीखते चिल्लाते युवावस्था में पाँव धरे हैं तो अवश्य ही आपको सभ्य देशों में शिक्षा की उपलब्धियों से वंचित रखा गया है| स्वतंत्रता के उपरान्त से देश निर्माण संबंधी कार्यकलाप व नीतियों के अभाव के कारण आज भारत की दयनीय स्थिति बनी हुई है| आपने कभी सोचा है कि भारत छोड़ लोगों का आज विदेश में जा बसने का क्यों तांता सा लगा है? ये लोग वह सभी पाना और भोगना चाहते हैं जो भारत में बहुत कम लोगों को गोबर और कीचड के मध्य में रहते मिल पाता है| सुख साधन के कहीं अधिक यह लोग विदेश में एक अनूठे वातावरण की खोज में हैं जहां जीवन को सर्वोच्च रूप में देखा और जीया जा सकता है| और आप हैं कि उस वांछित वातावरण के विपरीत देश में उन्हीं मौजूदा भ्रष्ट और अनैतिक कारणों को बनाए रखना चाहते हैं| शादाब जाफर भाई, अपने लेख में प्रस्तुत अपने विचार पर फिर से विचार कर हमें इन पन्नों पर बताये अब आप क्या सोचते हैं|

  6. शादाब जी अगर राहुलजी प्रधान मंत्री बनेंगे तो कौन सा अनोखा काम हो जायगा सब जानते है की सोनिया जी कांग्रेश पार्टी की प्रिसिदेंत है और राहुल जी रास्ट्रीय महा सचिव जो की पार्ट के लिए गए निर्णय में एक एहम और अंतिम मोहर लगते है आप ये नहीं कह सकते की यदि कांग्रेश पार्र्टी या उसकी सर्कार में रहा मंत्री कोई गोल माल करता है तो कांग्रेश पार्टी के नैया हार की कोई जीमेदारी नहीं होती है एक आम आदमी मिद्दले क्लास आदमी की महगाई ने किस तरह कमर तोड़ दी है सब जानते है पर अफ़सोस अंग्रेजो की तरह आज भी हम किसी बात का विरोध नहीं कर सकते या तो उसे डंडे के जूर पर कुचल दिया जायगा जब तक सताधारी पार्टी को वोटो का नुक्सान न हो ये एक परदेश की कहानी नहीं है हर जगह यही हो रहा है ……………..

  7. कमाल है इतने अच्छे-अच्छे लेख लिखने के बाद आपको ये क्या हो गया, कहीं 2014 मैं टिकट दिलाने का झांसा तो नहीं दे दया किसी ने मैं तो समझ रहा था की प्रवक्ता पर कोई ऐसा लेखक आया जो आपको वर्तमान की थकान भरी दौड़-धुप से निजात दिला कर अतीत एक ऐसी मोहिनी दुनिया में ले जा सकता हैं जहां से कई घंटो तक आपका वापस आना मुमकिन ही नहीं है,पर मैं अब समझ गया की ये सब छलावा था, इसकी वित्र्ष्ना से मुक्त नहीं हो पाए तब तक आज फिर आपने दूसरा लेख चेंप दिया उसका तो मजमून देखकर ही मई समझ गया इसके अन्दर क्या पढने मिलेगा अतः उसकी तरफ देखना भी मैंने मुनासिब नहीं समझा, आपका तख्ती वाला लेख कम-से-कम मेरे लिए तो आखिरी था अब मैं मन से तो आपके लेख नहीं पढ़ पाउँगा.आप को शायद अंदाजा भी नहीं है की आज किस कदर नफरत भर गयी है लोगों में कांग्रेस और इस परिवार के विरुद्ध, अभी कुछ दिन पहले ही एक गेस्ट हाउस काण्ड में इसका नाम पुख्ता तोर पर आया था, फिर भी आपके जैसा आदमी इसके महिमा मंडन में लगा हुआ है.

  8. शादाब जाफर जी: यह लोग तभी तक समाचार में चमकेंगे, जब तक कुर्सी इनके पास, या इनके पार्टी की है। तृण-मूल (Grass root organisation ) संगठन तो यह है ही नहीं। थोडा झोंपडियों में जाकर, बच्चोंपर हाथ फेरकर नाटक करते हैं,फोटु खिंचवाते हैं। सारा फोटो ओपोर्च्युनिटी के अंतर्गत आता है। ग्रामीण जनता अब भी भोली है।बस इसीसे इनका काम चल रहा है।
    इन्टरनेट पर पब्लिक रिलेशन वाली, परामर्शक कंपनियां भी उपलब्ध है। वह भी व्यावसायिक परामर्श (कन्सल्टंट) ही देती होगी।
    नेता तो ऐसा हो, जो जहां जिस कुर्सी पर बैठे, वह कुर्सी विक्रमादित्य का सिंहासन बन जाए। किसी टीले पर बैठे, तो चंद्र गुप्त बन जाए। मुझे, यह राजा भोज नहीं पर गंगवा ही लगता है।
    हारा, तो यह चला जायगा वेनेज़ुएला जहां इसकी गर्ल फ्रेंड रहती है। सारी साउथ अमरिका की बनाना रिपब्लिक कंट्रियां दूसरा पास पोर्ट भी दे देती है। और स्विस बँक जैसे ब्याज भी दे देगी।
    यह बजी तो सीटी बजाएंगे, नहीं तो (गाजर) सीटी का गाजर, खा जाएंगे।

  9. जब चारों ओर कांग्रेस की किरकरी हो रही है तो शादाब जाफर को पूरी आशा बनी हुई है कि राहुल भारतीय बच्चों के साथ क्रिकट खेलते खेलते अपनी जादू की बल्लेबाजी से अंतिम सांस लेती कांग्रेस को फिर से चंगा कर देगा| मेरे विचार में बच्चों में आत्म बल पैदा करने वाली इस बाल कथा को लेकर शादाब जाफर को एक बार भली भांति देख परख लें और कहें कि भले मानस तुम स्वयं क्यों प्रधानमंत्री नहीं बनते?

  10. चाचा…नंबर चेक करवाओ, राहुल का ढोंग यदि आप को दलित प्रेम दीखता है तो यकीं मानिये आपको चेंज की जरुरत है. हा आप कांग्रेसी है तो अलग बात है क्युकी कांग्रेसी पहले नेहरू गाँधी भक्ति सीखता है, फिर नोट भक्ति और कभी शर्म आ जाये तो देश भक्ति. ये बंदा कभी प्रधानमंत्री नहीं बनेगा ये तय है. फिर क्यों नहीं अपनी कलम चाटुकारिता छोड़ कर कही और चलाते…वन्देमातरम

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