कविता

बहत्तर हजार रुपए क्या,बहत्तर पैसे नहीं दे पायेगा |

बहत्तर हजार रुपए क्या,बहत्तर पैसे नहीं दे पायेगा |
अपने फैलाये मकड जाल में,वह स्वयं ही फस जायेगा ||

बहत्तर साल होने को आजादी,वह ऐसे ही बहकायेगा |
पांच पुश्ते वादा कर चुकी है,वह कब गरीबी को हटायेगा ||

बहत्तर को आधा कर दो,छत्तीस का आकड़ा हो जायेगा |
छत्तीस का आकड़ा कभी भी उसका सफल न हो पायेगा ||

बहत्तर का बहाना लेकर,वह खुद ही अमीर बन जायेगा |
गरीबी क्या हटेगी उससे,गरीब ही खुद देश से हट जायेगा ||

बहत्तर हजार सालाना से,बहात्तर हजार प्रति दिन आ जायेगा |
ऐसे वह कह कह कर वह किसी को फूटी कौड़ी भी न दे पायेगा ||

बहत्तर सालाना की बात करता है,ये साला ना दे पायेगा |
बहत्तर के चक्कर में खुद तो फसेगा,जीजा को भी फसायेगा ||

आर के रस्तोगी