‘स्वयं’: उच्चशिक्षा की राह देखती आँखों के सपनों की नयी उड़ान


डॉ गौरव सिंहसहायक प्राध्यापक, इगनू, नई दिल्ली

भारत में शिक्षा की दशा-दिशा और उस पर उठने वाले प्रश्नों की श्रंखला कोई नयी नहीं है. जिस देश में शिक्षा को मूल अधिकार बनाने में ७० साल लग गए हों, वहां ऐसे प्रश्न अचरज भी नहीं उत्पन्न करते. लम्बे समय तक देश में शिक्षा इसलिए उपेक्षित रही क्योंकि सत्ता में बैठे लोगों को संभवतः जन-सामान्य तक शिक्षा की पहुँच पसंद नहीं रही. पर समय सबका बदलता है, और वर्ष २०१४ गवाह बना एक ऐसे ही बदलाव का, जिसमे राजनैतिक नेतृत्व की मजबूत इच्छा शक्ति ने ऐसे-ऐसे सपनो को एक नयी उड़ान दी, जो लम्बे समय तक कल्पना से परे थे, ऐसा ही एक सपना था: देश के करोंड़ों किशोरों और युवाओं तक अच्छी, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित करना.

भारत में उच्च शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा या तो बजट भाषण में नए खुलने वाले तकनीकी संस्थानों और विश्वविद्यालयों के संख्या पर सिमट जाती है या फिर कई दशकों से उच्च शिक्षा संस्थानों में बढ़ रही रिक्तियों और गुणवत्ता पर, पर इसके लिए ऐसे सार्वभौमिक और सकारात्मक सार्थक प्रयास कम ही हो पाए, जिनकी पहुँच जन -सामान्य तक हो. जब पूरा विश्व तकनीकी और सैटेलाइट की मदद से अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित करने की दिशा में आगे बढ़ चुका हो, मैसिव ऑनलाइन ओपन कोर्सेज (MOOCs) ने जन -जन तक अपनी पहचान बना ली हो, मुक्त शैक्षिक संसाधन उच्च शिक्षा में नित नए आयाम जोड़ रहे हों, तो भारत पीछे क्यों रहे? इस प्रश्न का उत्तर खोजा गया ‘SWAYAM – स्वयं’ के रूप में.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय में इस बात पर गहन चिन्तन हुआ, कि भारत किस प्रकार तकनीकी की मदद से अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित कर सकता है? और, कैसे तकनीकी और इन्टरनेट इसमें सहायक हो सकते हैं? तकनीकी शिक्षा और दूरस्थ शिक्षा से जुडी सभी राष्ट्रीय संस्थाओं को एक साथ लाकर एक रूपरेखा पर चर्चा की गयी और उदय हुआ भारत के अपने ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफार्म SWAYAM का, जिसका उद्देश्य है उन उर्जावान, अपेक्षित युवा मस्तिष्कों को बेव आधारित अध्ययन के अवसर प्रदान करना, जिन तक अभी इनकी पहुँच नहीं हो पाई है. भारत सरकार का ऑनलाइन शिक्षा का अपना प्लेटफार्म SWAYAM विगत १८ माह में लाखों युवाओं (फरवरी, २०१९ तक लगभग ५० लाख) तक अपनी पहुँच बना चुका है. ऐसा नहीं है कि SWAYAM ऑनलाइन शिक्षा का पहला प्रयास है पर इससे पहले के प्रयास या तो किसी संस्था विशेष तक सीमित रहे या विषय विशेष तक. उन प्रयासों की पहुँच भी किसी संस्थान विशेष से जुड़े कुछ ही युवा विद्यार्थियों तक ही सीमित रही. पर ‘स्वयं’ एक ऐसे सार्वजानिक विकल्प के रूप में उभरा है जिस पर सभी के लिए कोई न कोई पाठ्यक्रम उपलब्ध है, जिसमे सीखने के लिए खुलापन है, कभी भी प्रवेश लेने की सुविधा. अधिकांश पाठ्यक्रम सभी के लिए निःशुल्क उपलब्ध है अर्थात जिसमें भी सीखने की चाह है, उसके लिए असीमित अवसर. भारत में उच्च शिक्षा में जब भी नवाचारों की बात होगी, स्वयं का उसमे एक अलग स्थान रहेगा.

‘स्वयं’ क्या है?

आज जब पूरे विश्व में courseera, EDx, FutureLearn जैसे MOOC प्लेटफार्म अपना एक छत्र राज स्थापित कर चुके हैं और पूरे विश्व के अनेक देशों के करोड़ों विद्यार्थी देश, भाषा, काल की सीमा लांघकर अपनी आवश्यकता के अनुसार उनपर सीख रहे हैं तो ऐसे में भारत सरकार ने भी उनसे मिल रही चुनौतियों और भारत के जन-मानस की अपेक्षाओं को पूरा करने के उद्देश्य से पूर्ण रूप से भारतीय निःशुल्क ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफार्म SWAYAM का आरम्भ २०१७ में किया. ‘स्वयं’ पर विभिन्न संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, तकनीकी संस्थानों (आई.आई.टी. और आई.आई.ऍम.), दूरस्थ शिक्षा से जुडी इग्नू, जैसे संस्थाओं के हजारों शिक्षक-शिक्षिकाओं ने नए-नए पाठ्यक्रम विकसित किये गए है. ‘स्वयं’ के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:

‘स्वयं’ पर उपलब्ध पाठ्यक्रम

‘स्वयं’ पर उपलब्ध पाठ्यक्रमों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे विविध स्तरों के हैं, जैसे कि: जागरूकता उत्पन्न करने वाले कम अवधि वाले पाठ्यक्रम, प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम, डिप्लोमा पाठ्यक्रम, स्नातक और परा-स्नातक पाठ्यक्रम, तकनीकी शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम, व्यावसायिक पाठ्यक्रम, शिक्षक-शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम, आदि. इस प्लेटफार्म पर विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, भाषा, मानविकी, वाणिज्य, आदि विषयों पर विद्यालय स्तर से उच्च-शिक्षा के स्तर तक के पाठ्यक्रम उपलब्ध है. इन पाठ्यक्रमों में जानकारी और कौशल संवर्धन वाले बिना-क्रेडिट के और बहुत से परीक्षा के माध्यम से क्रेडिट अर्जित कर डिग्री/डिप्लोमा में उनका लाभ लेने वाले पाठ्यक्रम भी सम्मिलित हैं.

‘स्वयं’ से जुडी शैक्षिक संस्थाएं

‘स्वयं’ प्लेटफार्म पर पाठ्यक्रमों के गुणबत्ता प्रबंधन की दृष्टि से भारत की विभिन्न संस्थाओं, जैसे: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, सी.ई.सी., एन.पी.टी.ई.एल., एन. सी. ई. आर. टी., इग्नू, एन. आई. ओ. एस., एन.आई.टी.टी.आर., आई.आई.एम., आई.आई.टी.,आदि को विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया गया है. ये संस्थाएं न केवल नए नए पाठ्यक्रम स्वयं के लिए विकसित करती हैं, वरन पूरे देश के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों से पाठ्यक्रम विकसित करने के प्रस्ताव मंगवा कर उनका परीक्षण और अनुमोदन भी करती हैं तथा पाठ्यक्रम विकास हेतु तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण भी करती है. गुणवत्ता प्रवंधन के लिए ये एक उत्तम व्यवस्था है.

‘स्वयं’ की आकलन और परीक्षा प्रणाली

‘स्वयं’ पर उपलब्ध पाठ्यक्रमों में बिना परीक्षा और प्रमाणपत्र के स्व-आकलन की सहायता से ज्ञान-प्राप्ति के उद्देश्य से अध्ययन के अवसर तो हैं ही, साथ ही प्रमाणपत्र अर्जित करने और क्रेडिट स्थानांतरण की सुविधा भी प्रदान की गयी है. परीक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दृष्टि से ही परीक्षा की जिम्मेदारी राष्ट्रीय परीक्षण संस्था (एन.टी.ए.) को दी गयी है जो राष्ट्रव्यापी परीक्षाएं आयोजित करती है.

किसी भी विश्वविद्यालय से क्रेडिट अर्जित करने और उसके स्थानांतरण की सुविधा

‘स्वयं’ के पाठ्यक्रमों की सबसे अनूठी व्यवस्था विद्यार्थियों को किसी भी विश्वविद्यालय द्वारा स्वयं पर संचालित पाठ्यक्रम पूर्ण कर उसका क्रेडिट अर्जित कर अपने मूल विश्वविद्यालय में उसका स्थानांतरण करने की सुविधा प्रदान करना है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एक सेमेस्टर में २०% पाठ्यक्रम ‘स्वयं’ पर पूर्ण करके, उसके क्रेडिट स्थानांतरण के नियम निर्मित किये हैं, जो विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा अपनाये जाने हैं. इसका सबसे बड़ा लाभ उन विद्यार्थियों को होगा, अच्छे शिक्षकों,अच्छे पाठ्यक्रम के अभाव में अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. देश के श्रेष्ट संस्थानों/ विश्वविद्यालयों के श्रेष्ठ शिक्षकों द्वारा पाठ्यक्रम कोई भी पढ़ सकता है, उनसे सीख सकता है और अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकता है. आज से ४-५ वर्ष पहले संभवतः यह भारत में कल्पना से भी परे था, पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सबको उपलब्ध कराने के सपने को इससे एक नयी उड़ान मिली है.

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में ‘स्वयं’ की भूमिका

‘स्वयं’ के माध्यम से सभी को एक जैसी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो, इसके लिए भारत सरकार ने एक ऐसे संरचना निर्मित की, जिससे समय, दूरी, स्थान,आदि के भेद शिक्षा के अवसर और विषयवस्तु की गुणवत्ता के कोई भेद न कर सकें. यदि ‘स्वयं’ पर उपलब्ध विषय सामग्री का प्रारूप देखा जाये, तो इसमें प्रत्येक  विषयवस्तु को चार घटकों- इ-टेक्स्ट (पी.डी.ऍफ़.), ३० मिनट का विडियो व्याख्यान, अन्तःक्रियात्मक परिचर्चा फोरम, और स्व-आकलन के लिए प्रश्न, के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो छोटे-छोटे खण्डों (module) के रूप प्रस्तुत किया जाता है. इसका लाभ यह है कि विद्यार्थी इस विषय-सामग्री को कहीं भी और कभी भी पढ़ सकता है. www.swayam.gov.in वेबसाइट तथा swayam मोबाइल एप्प के माध्यम से इसकी पहुँच प्रत्येक विद्यार्थी तक सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है. जैसे-जैसे भारत में इन्टनेट की गुणवत्ता और पहुँच बढ़ रही है, SWAYAM की पहुँच भी बढ़ रही है.

‘स्वयं’ का भविष्य

SWAYAM ऑनलाइन प्लेटफार्म यद्यपि अभी अपने प्रारंभिक स्वरुप में ही है पर जिस तरह से इसने अपनी पहुँच बहुत ही कम समय में लाखों युवाओं तक बनायी है, वो निश्चित ही किसी स्वप्न के सच होने जैसा है. जैसे-जैसे भारत में इन्टनेट के गति बढ़ेगी, लोगों में हाथों में स्मार्टफ़ोन बढ़ेंगे, उनके गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को कहीं भी और कभी भी प्राप्त करने के अवसरों में वृद्धि होगी. वर्तमान सरकार का ‘स्वयं’, न केवल उन किशोरों और युवाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अवसर प्रदान करेगा जो अभी तक इससे वंचित हैं, वरन उन करोंड़ों कार्यरत युवकों-युवतियों को अपने कौशल उच्चीकृत करने, नए नए कौशल सीखने और अपने ज्ञान में वृद्धि करने के अवसर भी देगा जो अपने पारिवारिक और व्यावसायिक उत्तरदायित्वों को पूरा करने के कारण परंपरागत शिक्षा संस्थानों में पढ़ने और सीखने नहीं जा सकते. आने वाले समय की चुनौतियों से समय रहते लड़ने के लिए तैयार करने में ‘स्वयं’ एक महत्वपूर्ण उपकरण सिद्ध होगा, इसमें किसी को कोई संशय नहीं है. मोदी सरकार का बृहद स्तर पर निः-शुल्क ऑनलाइन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुनिश्चित करने का यह क्रन्तिकारी कदम संभावनाओं से परिपूर्ण हैं और भविष्य में दूरस्थ-शिक्षा और परंपरागत शिक्षा की दूरी पाटते हुए उच्च शिक्षा को एक नए शिखर की ओर ले जाने की इसमें भरपूर क्षमता है.

साभार : https://www.academics4namo.com

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