मेरे मानस के राम : अध्याय 33

राम लखन को शरबंध से बांधना

वाल्मीकि कृत रामायण से हमें पता चलता है कि मेघनाद ने अगले दिन क्रोध में भरकर सर्प के समान भीषण बाणों से राम और लक्ष्मण को युद्ध में बींध डाला । कपटी योद्धा इंद्रजित ने चालाकी से अपने आप को सभी सैनिकों की दृष्टि से ओझल रखते हुए राम और लक्ष्मण को शरबंध से बांध दिया। जब वानर दल के लोगों को इस घटना की सूचना मिली तो श्री राम के शिविर में अत्यंत निराशा का भाव छा गया। वानर दल के अनेक वीर योद्धा भी बालकों की भांति रोते देखे गए। रामचंद्र जी को भी घायल अवस्था में देखकर वे इस समय पूर्णतया हताश हो गए।

कपटी इंद्रजीत ने , खेला ऐसा खेल।
बांधकर शरबंध से , किया राम लखन का मेल।।

मृत्यु पाश में बंध गए , दशरथ राजकुमार।
देख दोनों की दशा , मच गई हाहाकार।।

कुपित हुए सुग्रीव जी, दु:खित हुए हनुमान।
वानर सेना रो रही , बाल अनाथ समान।।

विभीषण कहें सुग्रीव जी , छोड़ो अब अवसाद।
राम लखन दोऊ शीघ्र ही , देंगे मूर्च्छा त्याग।।

शत्रु पक्ष हर्षित हुआ , देख राम का हाल।
ढोल नगाड़े बज गए , मच गया खूब धमाल ।।

खूब खुशी रावण हुआ , सुना श्रेष्ठ समाचार।
इंद्रजीत ने कर दिया , राम – लखन संहार।।

खुशी के बाजे बज गए , लंका में सब ओर।
रावण ने बजवा दिया , डंका चारों ओर ।।

सीता जी को विमान से , ले गए शव के पास।
देख पिया की दुर्दशा , सीता हुईं निराश।।

रावण के आदेश से सीता जी को पुष्पक विमान से रामचंद्र जी के पास लाया गया। उस समय त्रिजटा नामक राक्षसी पुष्पक विमान को लेकर आई थी। वह सीता जी की शुभचिंतक थी। जब सीता जी अपने पति राम और देवर लक्ष्मण को देखकर दु:खी हुईं तो त्रिजटा ने कहा कि ये दोनों अभी मरे नहीं हैं, क्योंकि इनके मुखमंडल पर अभी तेज बना हुआ है। इस पर सीता जी ने कहा कि ऐसा भी देखा गया है कि व्यक्ति मर जाता है पर उसके चेहरे का तेज फिर भी बना रहता है। तब उस राक्षसी ने कहा कि तुझे उनके जीवित होने का एक प्रमाण और देती हूं । उसने बताया कि सीता ! यह पुष्पक विमान किसी विधवा स्त्री को लेकर नहीं उड़ सकता। यदि यह मर गए होते तो तुझे यह विमान लेकर यहां आता ही नहीं। इससे दो बातों का पता चलता है । एक तो यह कि उस समय महिलाएं भी विमान उड़ाती थीं। दूसरी बात इससे यह भी स्पष्ट होती है कि विमान में भी ऐसी तकनीक का प्रयोग किया जाता था कि वह किसी विधवा महिला को लेकर नहीं उड़ता था। यह बात आज के वैज्ञानिकों के लिए सचमुच चुनौती है।

वैद्यराज जी आ गए , गरुड़ था उनका नाम।
उनके हस्त स्पर्श से, निरोग हुए श्री राम।।

हर्षित वानर हो गए , करने लगे सब नाद।
शंकित रावण भी हुआ , सुनकर उनका नाद।।

पता लगाने सत्य का , भेजे गुप्तचर लोग।
राम लखन क्या हो गए , सचमुच स्वस्थ निरोग।।

डॉ राकेश कुमार आर्य

Previous articleअगर सनातनी हिन्दू कट्टर हिंसक होता तो क्या होता?
Next articleमेरे मानस के राम : अध्याय 34
राकेश कुमार आर्य
उगता भारत’ साप्ताहिक / दैनिक समाचारपत्र के संपादक; बी.ए. ,एलएल.बी. तक की शिक्षा, पेशे से अधिवक्ता। राकेश आर्य जी कई वर्षों से देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। अब तक चालीस से अधिक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वर्तमान में ' 'राष्ट्रीय प्रेस महासंघ ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह जी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं । सामाजिक रूप से सक्रिय राकेश जी अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। ग्रेटर नोएडा , जनपद गौतमबुध नगर दादरी, उ.प्र. के निवासी हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,237 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress