
—विनय कुमार विनायक
एक वीर सहस्त्रार्जुन भू पर
बड़ा यशस्वी,पराक्रमी और ज्ञानी था!
राम पूर्व दशानन का विजेता
कहते हैं वह बड़ा ही अभिमानी था!
हैहय यदुवंशी क्षत्रिय था पर
मदोन्मत्त शौण्डीर्य सा जवांदानी था!
विष्णु के चक्र का अवतार
आर्य योद्धा बड़ा ही खानदानी था!
ब्राह्मण-क्षत्रिय संघर्ष के
वे नायक एक क्षत्रिय बलिदानी था!
अत्रिपुत्र चन्द्र का वंशधर
सूर्यपुत्र मनुकन्या इला महारानी का
पुत्र पुरुरवा से चलकर
आयु, नहुष, ययाति, यदु मानी का
पुत्र सहस्त्रजित शतजित सुत
हैहय राज, महात्मा, महाज्ञानी का
धर्मनेत्र, कार्त, साहंज,
महिष्मान, भद्रश्रेण्य, कनक ही था
सहस्त्रार्जुन के वीर पिता
कृतवीर्य बडभागी, ब्रह्म ज्ञानी का!
कार्तिक शुक्ल सप्तमी रविवार
जन्म था हैहय वंश शिरोमणि का!
अनन्त व्रत पालन पर
अनन्त कृपा से रानी पद्मिनी का
कुक्षिज कार्तवीर्य अर्जुन
सहस्रबाहु महातेजस्वी,महाबली था!
नष्ट सम्पत्ति मिल जाती
उनके नाम से, वह ऐसा नामी था!
दत्तात्रेय का परम भक्त
वह पाशुपत पंथी शैव महादानी था!
सप्त द्वीप, नौ खण्ड विजेता,
यज्ञ,दान,योग,अनघाष्टमी व्रतयानी धा!
जग उत्पीड़क रावण
छह माह तक सहस्त्रार्जुन का बंदी था!
पितामह पुलस्त्य की विनती पर
राम आने तक रावण की जिंदगानी धा!
नर्मदा तट के माहेश्वर
माहिष्मती नगर का अर्जुन स्वामी था!
सदियों से प्रज्वलित अग्नि
साक्षी बना रावणजेता की कहानी का!
इक्ष्वाकुवंशी राजा रेणु कन्या
वेणुका का पति अर्जुन सद्ज्ञानी था!
वह छोटा साढू भाई था
रेणुका पति, भृगु प्रपौत्र जमदग्नि का!
रेणुका-जमदग्नि का पुत्र
परशुराम भी अतिक्रोधी अभिमानी था!
वह था स्वमातृ हत्यारा
परशुराम का कृत्य बड़ा मनमानी था!
विष्णु का ऐसा अवतार
क्षत्राणी कोख से जन्मा ब्राह्मण ही था!
शिव से लिया हथियार
और एक दन्त तोड़ दिया गणेशजी का!
पितृ आदेश से मां को मारा
बिन पितृ आदेश मांग उजाड़ा मौसी का!
सहस्त्रार्जुन के वध पर
पिता ने कहा तू हत्यारा सर्वदेवमय नर का!
ऐसा परशुधारी अवधूत कि
संहार किया क्षत्रियों की इक्कीस गुष्टि का!
ऐसा था वैष्णव परशुराम कि
वैष्णव राम पर प्रहार किया था भृकुटी का!
यह कहानी गजब की
ब्राह्मण-क्षत्रिय द्वन्द्व का परिस्थिति दोषी था!
दोनों ही इस युद्ध के नायक
भार्गव परशुराम, सहस्त्रार्जुन हैहय पूजित हैं।
—विनय कुमार विनायक