राम मंदिर आंदोलन, एक घटनाक्रम

vhp300[1]अयोध्या विवाद एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा रहा है जो सन् 1989 के बाद अपने उफान पर था। देश की राजनीति इससे प्रभावित होती रही है। फिलहाल इस मुद्दे की गरमाहट कम हो गई है। लेकिन यह एक भावनात्मक मुद्दा रहा है। इससे हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तनाव भी उत्पन्न होता रहा है।

देश के हिंदू संगठनों का दावा है कि भगवान राम की जन्म स्थली पर बाबरी मस्जिद बना है। उनका दावा है कि इस मस्जिद का निर्माण एक मंदिर तोड़कर किया गया थी। इसी आधार पर उक्त संगठनों की तरफ से आंदोलन चलाया गया। जिसमें छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी गई।

फिलहाल रायबरेली की विशेष अदालत और इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुकदमा चल रह है। इस बाबत जांच के लिए गठित लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट अभी-अभी आई है।

अयोध्या विवाद को लेकर यूं घटे घटनाक्रम-

1528: अयोध्या में एक ऐसे नगर में एक मस्जिद का निर्माण किया गया जिसे कुछ हिंदू अपने आराध्य देवता राम का जन्म स्थान मानते हैं। समझा जाता है कि मुग़ल सम्राट बाबर ने यह मस्जिद बनवाई थी। इसलिए इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था।

1853: पहली बार इस स्थल के पास सांप्रदायिक दंगे हुए।

1859: अंग्रेजी शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा। तब परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दी।

1949: भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गयीं। कथित रुप से कुछ हिंदूओं ने ये मूर्तियां वहां रखवाईं थीं। मुसलमानों ने इस पर विरोध व्यक्त किया, जिसके बाद दोनों पक्षों ने अदालत में मुकदमा दायर कर दिया। सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित करके ताला लगा दिया।

1984: कुछ हिंदुओं ने विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में भगवान राम के जन्म स्थल को “मुक्त” करने और वहाँ राम मंदिर का निर्माण करने के लिए एक समिति का गठन किया। बाद में इस अभियान का नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संभाल लिया।

1986: ज़िला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित मस्जिद के दरवाज़े पर से ताला खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन किया।

1989: विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर निर्माण के लिए अभियान तेज़ किया और विवादित स्थल के नज़दीक राम मंदिर की नींव रखी।

1990: विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं ने बाबरी मस्जिद को कुछ नुक़सान पहुँचाया। तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने वार्ता के ज़रिए विवाद सुलझाने के प्रयास किए मगर अगले वर्ष वार्ताएं विफल हो गईं।

1992: कार सेवकों ने 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। इसके परिणामस्वरूप देश भर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे जिसमें 2000 से ज़्यादा लोग मारे गए।

1998: प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने गठबंधन सरकार बनाई।

2001: बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया और विश्व हिंदू परिषद ने विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण करने के अपना संकल्प दोहराया।

जनवरी 2002: अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अयोध्या समिति का गठन किया। वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुसलमान नेताओं के साथ बातचीत के लिए नियुक्त किया गया।

फ़रवरी 2002: भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया। विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरु करने की घोषणा कर दी। सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए। अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए।

13 मार्च, 2002: सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फ़ैसले में कहा कि अयोध्या में यथास्थिति बरक़रार रखी जाएगी और किसी को भी सरकार द्वारा अधिग्रहीत ज़मीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी। केंद्र सरकार ने कहा कि अदालत के फ़ैसले का पालन किया जाएगा।

15 मार्च, 2002: विश्व हिंदू परिषद और केंद्र सरकार के बीच इस बात को लेकर समझौता हुआ कि विहिप के नेता सरकार को मंदिर परिसर से बाहर शिलाएं सौंपेंगे। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत परमहंस रामचंद्र दास और विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल के नेतृत्व में लगभग आठ सौ कार्यकर्ताओं ने सरकारी अधिकारी को अखाड़े में शिलाएं सौंपीं.

22 जून, 2002: विश्व हिंदू परिषद ने मंदिर निर्माण के लिए विवादित भूमि के हस्तांतरण की माँग उठाई.

जनवरी 2003: रेडियो तरंगों के ज़रिए ये पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर के नीचे किसी प्राचीन इमारत के अवशेष दबे हैं, कोई पक्का निष्कर्ष नहीं निकला।

मार्च 2003: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित स्थल पर पूजापाठ की अनुमति देने का अनुरोध किया जिसे ठुकरा दिया गया।

अप्रैल 2003: इलाहाबाद हाइकोर्ट के निर्देश पर पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने विवादित स्थल की खुदाई शुरू की, जून महीने तक खुदाई चलने के बाद आई रिपोर्ट में कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला।

मई 2003: सीबीआई ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के ख़िलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किए।

जून 2003: काँची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की और उम्मीद जताई कि जुलाई तक अयोध्या मुद्दे का हल निश्चित रूप से निकाल लिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

अगस्त 2003: भाजपा नेता और उप प्रधानमंत्री ने विहिप के इस अनुरोध को ठुकराया कि राम मंदिर बनाने के लिए विशेष विधेयक लाया जाए।

अप्रैल 2004: आडवाणी ने अयोध्या में अस्थायी राममंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण ज़रूर किया जाएगा।

जुलाई 2004: शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे ने सुझाव दिया कि अयोध्या में विवादित स्थल पर मंगल पांडे के नाम पर कोई राष्ट्रीय स्मारक बना दिया जाए।

जनवरी 2005: लालकृष्ण आडवाणी को अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी कथित भूमिका के मामले में अदालत में तलब किया गया।

जुलाई 2005: पाँच हथियारबंद चरमपंथियों ने विवादित परिसर पर हमला किया जिसमें पाँचों चरमपंथियों सहित छह लोग मारे गए, हमलावर बाहरी सुरक्षा घेरे के नज़दीक ही मार डाले गए।

06 जुलाई 2005 : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के दौरान ‘भड़काऊ भाषण’ देने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी को भी शामिल करने का आदेश दिया. इससे पहले उन्हें बरी कर दिया गया था.

28 जुलाई 2005 : लालकृष्ण आडवाणी 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में गुरूवार को रायबरेली की एक अदालत में पेश हुए. अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी के ख़िलाफ़ आरोप तय किए.

04 अगस्त 2005: फ़ैजाबाद की अदालत ने अयोध्या के विवादित परिसर के पास हुए हमले में कथित रूप से शामिल चार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा.

20 अप्रैल 2006 : कांग्रेस के नेतृत्ववाली यूपीए सरकार ने लिब्रहान आयोग के समक्ष लिखित बयान में आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा था और इसमें भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बजरंग दल और शिव सेना की ‘मिलीभगत’ थी.

जुलाई 2006 : सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ़ काँच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया. इस प्रस्ताव का मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया और कहा कि यह अदालत के उस आदेश के ख़िलाफ़ है जिसमें यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए थे।

19 मार्च 2007 : कांग्रेस सांसद राहुल गाँधी ने चुनावी दौरे के बीच कहा कि अगर नेहरू-गाँधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद न गिरी होती. उनके इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई.

2 COMMENTS

  1. #”श्रधा विहीनो विनश्यति”#
    श्रधा से सारे शरीर का कायाकल्प होजाता है, पर आप शायद विश्वास न करें. पिजीआई चंडीगढ़ के प्रो.(डा.) यशपाल द्वारा कीगई खोज के अनुसार डर और तनाव रहित माता- पिता के छः फुट की संताने बिना अपवाद के होती हैं. छल, कपट ,तनाव युक्त होने से कैंसर होसकता है, डीएनए तथा आरएनए खराब होजाते हैं, विकृत संताने पैदा होने लगती हैं.
    हमारे पूर्वज, ऋषि-मुनि इस ज्ञान को जान चुके थे .तभी तो उन्हों ने लिखा “श्रद्धावान लभते ज्ञानम् ,श्रधा विहीनो विनश्यति ” अर्थात श्रधा वाले को ज्ञान की प्राप्ति होती है जबकि श्रधा विहीन व्यक्ति का विनाश होजाता है.
    श्रधा पत्थर पर भी हो तो श्रधा जितनी गहरी होगी, उतने उत्तम हारमोनों का निष्क्रमण हमारे शरीर से होगा और हम साधारण से असाधारण क्षमता के स्वामी बनाते चले जायेंगे. क्या आप ऐसा बनना और सबको नहीं बनाना चाहते ? ढोंगी साधू-संत पर भी श्रधा हो तो श्रद्धालु का तो कल्याण अपनी श्रधा के कारण होना ही है. खतरा केवल ठगी का है या फिर श्रधा टूटने से होनेवाली हानि का है. अतःठगों की ठगी से बचने के प्रयास होने चाहियें न की श्रधा केन्द्रों को ही नकार कर सबके निश्चित विनाश का द्वार खोल देना चाहिए .
    श्रधा ,श्रधा श्रधा गहराओ-बढ़ाओ और अति मानव बनजाओ. जो हमारी श्रधाओं को, हमारे श्रधा के केन्द्रों को हमारे मन और भाव भूमि में तोड़ने का कम करते हैं वे मंदिर-मूर्तियों को तोड़ने से कई गुना बड़ा नुक्सान मानवता का करते हैं और कहलाते हैं बुद्धिजीवी, वैज्ञानिक सोचवाले, प्रगतिशील. अरे काहेके बुदिमान, काहेके समझदार; वे न तो अपना भला करसकते हैं और न हमारा; ऐसे श्रधा विहीनों से तो सदा की दूरी भली.

  2. आपने बहुत अच्छी जानकारी दी लेकिन आप इसमे एक बात लिखना भूल गये कि नेहरु जी ने वहां का ताला खोला था

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