रामचरित

0
277

अरुण तिवारी

भजियो रामचरित मन धरियो
तजियो, जग की तृष्णा तजियो।
परहित सदा धर्म सम धरियो,
मरियो, मर्यादा पर मरियो।।
भजियो, रामचरित….

भाई संग सब स्वारथ तजियो
संगिनी बन दुख-सुख सम रहियोे।
मातु-पिता कुछ धीरज धरियो
सुत सदा आज्ञा-पालन करियो।।
भजियो रामचरित…

सेवक सखा समझ मन भजियो
शरणागत की रक्षा करियो।
धोखा काहू संग मत धोखा करियो
पापी संग न्याय मन धरियो।।
भजियो रामचरित…

दुश्मन के हर रंग समझियो
गुरुजन से सब ढंग समझियो।
लोकलाज ऊपर मन रखियो
लाभ-हानि-हिसाब मत करियो।।
भजियो रामचरित….

घेरे मोह, तो राम मन भजियो
जनहित कारन सर्वस तजियो।।
जगियो, दुख आये मत डरियो
निडर मृत्यु का स्वागत करियो।
भजियो रामचरित….

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,871 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress