राजनीतिक चश्मे से तैयार की गई रिपोर्ट

modi newगुरूवार को पिछड़े राज्यों की नई परिभाषा तय करने के लिए गठित रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट सामने आते ही इस पर सियासत शुरू हो गई है। कोई इस रिपोर्ट को इन राज्यों के विकास हेतु अवश्यंभावी बता रहा है तो किसी को रिपोर्ट अगले आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार का एक बड़ा राजनीतिक दांव लग रही है। दरअसल रिपोर्ट में बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड समेत दस राज्यों को विशेष वित्तीय मदद मुहैया करवाने का रास्ता साफ कर दिया है। रघुराम राजन समिति ने इन्हें सबसे पिछड़े राज्यों की श्रेणी में रखने की सिफारिश की है। इस श्रेणी के अन्य राज्य ओड़िशा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय और राजस्थान हैं। समिति के इस फैसले से इन राज्यों को केंद्र से भारी-भरकर वित्तीय मदद का रास्ता साफ हो गया है, जो अभी तक सिर्फ विशेष दर्जे वाले प्रदेशों को मिलती थी। इन १० राज्यों को चुनने के लिए समिति ने देश के २८ राज्यों का एक सूचकांक तैयार किया है। यह सूचकांक हर राज्य में प्रति व्यक्ति खपत, शिशु मृत्यु दर, महिला साक्षरता, गरीबी स्तर, आबादी में अनुसूचित जाति व जनजाति की हिस्सेदारी, बैंकिंग सेवा व शिक्षा स्तर, राज्य में ढांचागत सुविधाओं की स्थिति सहित कुछ अन्य मुद्दों को आधार बनाकर राज्यवार तैयार किया गया है। समिति ने कहा है कि इस सूचकांक के आधार पर राज्यों को विशेष फंड देने का फार्मूला आसान हो जाएगा और इसको लेकर होने वाले विवादों का भी पटाक्षेप हो जाएगा। यानी इन राज्यों को अब विशेष दर्जे के तहत मिलने वाली सभी केंद्रीय सुविधाएं व वित्तीय मदद दी जाएंगी। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो अब जबकि चुनाव सिर पर है, केंद्र सरकार इन राज्यों के लिए खजाने का बड़ा मुंह खोल सकती है। दरअसल इस वर्ष की शुरुआत में सरकार ने पिछड़े राज्यों की परिभाषा नए सिरे से तय करने का फैसला किया था। तभी से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर दबाव बनाए हुए थे। वहीं ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी नीतीश की तर्ज़ पर ओडिशा के लिए विशेष दर्जे की मांग को लेकर दिल्ली में बड़ी सभा की थी। हालांकि कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के साथ नजदीकी बढ़ाने के उद्देश्य से ही कांग्रेस ने विशेष दर्जे के राज्यों की नई परिभाषा तय करवाई है। यही नहीं संप्रग को उत्तर प्रदेश, ओड़िशा, मध्यप्रदेश में भी इससे फायदा होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि सबसे पिछड़े श्रेणी में शामिल सभी १० राज्यों में लोकसभा की २३८ सीटें हैं जो चुनाव के लिहाज से कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकती हैं। समिति ने जिन राज्यों को कम विकसित की श्रेणी में रखा है उनमें मणिपुर, पश्चिम बंगाल, नागालैंड, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मिजोरम, गुजरात, त्रिपुरा, कर्नाटक, सिक्कम और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। वहीं अपेक्षाकृत विकसित राज्यों की श्रेणी में हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल तथा गोवा शामिल हैं। 
समिति ने अपनी रिपोर्ट में राज्यों के दर्जों को लेकर चाहे जो भी मापदंड अपनाए हों किन्तु गुजरात के साथ भेदभाव और सूची में उसका १७वां स्थान संप्रग सरकार की नीयत पर शक करता है। रिपोर्ट को गौर से देखें तो इसके राजनीतिक निहितार्थ को अच्छी तरह समझा जा सकता है। दरअसल इस रिपोर्ट का मजमून है कि कांग्रेस शासित राज्य गैर-कांग्रेसी राज्यों के मुकाबले ज्यादा विकास कर रहे हैं और गुजरात कम विकसित राज्यों की सूची में १७वें स्थान पर है। समिति के आधार पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस दावे की हवा निकालने की कोशिश की गई है जिसमें उन्होंने हर सियासी मंच से गुजरात की प्रगति को कांग्रेस शासित राज्यों से बेहतर बताया है। हालांकि समिति से इतर केंद्र ने भी कई मोर्चों पर गुजरात की तरक्की को सराहा है। ऐसे में रिपोर्ट में गुजरात को कम विकसित राज्यों की श्रेणी में रखना और इसे राष्ट्रीय स्तर पर १७वां स्थान देना सरकार की सोची-समझी साजिश लगता है। दरअसल जबसे नरेन्द्र मोदी को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित किया है, कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर होना पड़ा है। कांग्रेसी रणनीतिकार मोदी की लाख कमियां गिनाएं किन्तु उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर नकारने का साहस किसी में नहीं है। कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के स्वाभाविक उम्मीदवार राहुल गांधी को भी मोदी से संभावित टकराव से बचाने के जतन होने लगे हैं। ऐसे में यदि सरकार मोदी को नीचा दिखाने के लिए इस तरह की समितियों का सहारा ले रही है तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। इस तरह की कवायद से अव्वल तो सरकार का मोदी से सीधा टकराव बचता है, दूसरा मोदी और उनकी टीम भी अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की बजाए समितियों से उलझी रहेंगी। यानी सरकार ने मोदी और भाजपा को घेरने के लिए अब कूटनीति का सहारा लेना शुरू कर दिया है और कांग्रेस का इतिहास बताता है कि वह इस खेल में माहिर ही नहीं, बल्कि सिद्ध्हस्त है। जहां तक बिहार, ओडिशा और उत्तरप्रदेश जैसे सबसे पिछड़े राज्यों का सवाल है तो कांग्रेस की मंशा है कि यहां के क्षेत्रीय क्षत्रपों को यथासंभव अपनी ओर मिलाकर रखा जाए ताकि गठबंधन की राजनीति के इस संक्रमण काल में अधिक से अधिक पार्टियों का समर्थन प्राप्त हो सके। इसके अलावा इन राज्यों की जनता में भी यह संदेश देने की कोशिश होगी कि संप्रग सरकार के अथक प्रयासों ने ही उन्हें पिछड़े राज्यों की श्रेणी से निकालने हेतु यथोचित कदम उठाए हैं। फिर नीतीश का भाजपा से मोहभंग और नवीन पटनायक को संप्रग का हिस्सा बनाने की पहल, दोनों ही कांग्रेस को आगामी लोकसभा चुनाव में फायदा पहुंचा सकते हैं। कुछ यही रणनीति उत्तरप्रदेश में भी अपनाई जा सकती है, जहां कांग्रेस संगठनात्मक रूप से लगभग खत्म हो चुकी है। कुल मिलाकर रघुराम राजन समिति की यह रिपोर्ट राजनीतिक हितों का पुलिंदा मात्र जान पड़ती है। वे या सरकार लाख दावे करें की रिपोर्ट से पिछड़े राज्यों का भला होगा किन्तु राजनीति के वर्तमान दौर को देखते हुए इसकी संभावना नगण्य ही है।
सिद्धार्थ शंकर गौतम 
Previous articleराईट टू रिजेक्ट व जनजबाबदेही से बनेगा लोकतंत्र मजबूत
Next articleशिरडी के सांई बाबा
सिद्धार्थ शंकर गौतम
ललितपुर(उत्तरप्रदेश) में जन्‍मे सिद्धार्थजी ने स्कूली शिक्षा जामनगर (गुजरात) से प्राप्त की, ज़िन्दगी क्या है इसे पुणे (महाराष्ट्र) में जाना और जीना इंदौर/उज्जैन (मध्यप्रदेश) में सीखा। पढ़ाई-लिखाई से उन्‍हें छुटकारा मिला तो घुमक्कड़ी जीवन व्यतीत कर भारत को करीब से देखा। वर्तमान में उनका केन्‍द्र भोपाल (मध्यप्रदेश) है। पेशे से पत्रकार हैं, सो अपने आसपास जो भी घटित महसूसते हैं उसे कागज़ की कतरनों पर लेखन के माध्यम से उड़ेल देते हैं। राजनीति पसंदीदा विषय है किन्तु जब समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भान होता है तो सामाजिक विषयों पर भी जमकर लिखते हैं। वर्तमान में दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, हरिभूमि, पत्रिका, नवभारत, राज एक्सप्रेस, प्रदेश टुडे, राष्ट्रीय सहारा, जनसंदेश टाइम्स, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट, सन्मार्ग, दैनिक दबंग दुनिया, स्वदेश, आचरण (सभी समाचार पत्र), हमसमवेत, एक्सप्रेस न्यूज़ (हिंदी भाषी न्यूज़ एजेंसी) सहित कई वेबसाइटों के लिए लेखन कार्य कर रहे हैं और आज भी उन्‍हें अपनी लेखनी में धार का इंतज़ार है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,856 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress