अब ये समझ आया
इश्क के दामन में फूल भी है
और कांटे भी
और मेरे हाथ काँटों भरा
फूल आया
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फूल सा इश्क पाकर
फूला न समाया
पर बेवफाई का काँटा हर फूल ने
ज़रूर चुभाया
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अब तो मेरी हालत देख
दोस्त ये कहे
इश्क का तो यही ताकाज़ा है
तेरा दिल हर फूल पे
क्यों आया
नव बरस की हार्दिक बधाई दिल की बात दिल से कोई करता नही आज कल कोई मीठी बोल बोलता नही
किस लम्हों की दास्ता लिखें यहाँ कोई दिल की सुनाता नहीं
लक्ष्मी नारायण लहरे कोसीर पत्रकार
बहुत अच्छा आपकी लेखनी दिल के किसी कोने को छु गई ….लिखते रहिये हमारी सुभकामना आप के साथ है .