ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को क्या हो गया है?

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ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को क्या हो गया है।  ये ज्ञान, शील, संस्कार और शुचिता कि बात करता था। ये बार इसके लोगो कि सरकार क्या बनी, सब धुल गया। कोई ऐसी बुराई नही थी जिसमे इसके प्रमुख लोग लिप्त नही पाये गए हो। देश को सब याद है। अपने आदर्शो कि ओ हालत देख कर जो कार्यकर्ता मचल कर उस पाले में गिर सकता था, ओ भी जा गिरा और जो नही गिर पाया उसने शाखाओ से किनारा कर लिया। पहले बहुत जगहों पर शाखाये दिख ती थी चाहे सुबह घूमने के शौकीन लोग ही क्यों ना उसमे भी खड़े हो जाते हो, लेकिन उन्होंने भी जब असलियत देखा कि सत्ता से दूर बैठ कर आलोचना करना और तरह के नारे देना एक बात होती है, सत्ता से दूर बैठ कर चेहरा साफ रखना एक बात होती है पर ये लोग उन लोगो से लाख गुना बुरे साबित हुए जो ५० साल से सत्ता में है और ओ भी सत्ता चंद दिन देखते ही, तों उन लोगो ने भी किनारा कर लिया और आज शाखाओ कि कि संख्या १/१० भी न ही रह गयी है। शायद जो तिलस्मी था संघ का ओ कही दरक रहा है। बहुत कोशिश कर के भी पुनः जोड़ नही पा रहे है लोगो को। उधर अयोध्या के फैसले ने दंगा फ़ैलाने और उस बहाने खुद को पुनः फ़ैलाने का एक अवसर भी हाथ से छीन लिया।

दो बयान दोनों संघ का नया चेहरा दिखाते हुए। जैसे संघ अन्य संगठनो कि तरह जगह जगह धरने पर बैठा, ये अलग बात है कि भा ज पा, बजरंग दल इत्यादि सारे संगठनो के शामिल होने के बावजूद धरना पूरी तरह फ्लॉप रहा, कही भी सैकड़ो से आगे संख्या नही बढ़ पाई। बंद मुट्ठी थी संघ कि खुल गयी। कही ना कही विश्वास, विश्वसनीयता, लक्ष्य के प्रति भ्रम, रास्ते के प्रति भ्रम, जैसे तमाम कारणों ने संघ को गिरफ्त में ले लिया है। बहुत से लोगो कि तरह एक बार बनी सरकार ने जो भटकाव पैदा किया, जो चेहरे पर रंग पोता उसे छुड़ाने का कोई रास्ता नही दिख रहा है। एक खास मराठा कौम को सर्व्श्रेस्थ मान कर और हिटलर को आदर्श मान कर उसी के लक्ष्य और रास्ते को स्वीकार कर बना संगठन कुछ ही वर्षो में नीति, नीयत और नेतृत्व सभी दृष्टीयो से भटकाव का शिकार दिख रहा है। वहा चूँकि बहस और तर्क कि कोई गुंजाईश ही नही है इसीलिए कभी किसी और नहीं ये पूछा ही नही कि संघ का सारा असली नेतृत्व केवल एक खास मराठा जाती के पास क्यों ? रज्जू भैया का चेहरा कुछ दिन सामने रखा गया कि कोई ये सवाल ना कर दे परन्तु ताकत उनके पास नही थी।

मै दो बयानों का जिक्र कर रहा था। एक बयान सर संघचालक का कि संघ तों आतंकवादी नही है कुछ संघ से जुड़े लोग हो सकते है पर अब ओ संघ के साथ नही है। इसमें उन आरोपों को अपने आप स्वीकार कर लिया है संघचालक ने कि सघ आतंकवाद के रास्ते पर चल पड़ा है। इस बयान को किसी खास चश्मे से नही बल्कि स्वतंत्र तरीके से जो भी देखेगा और चिंतन करेगा ओ समझ जायेगा कि शुचिता कि बात करने वाले, बार बार दंगे कराने वाले और एक बार भारत का दिल तोड़ने वाले, आजादी कि लड़ाई में मुखबिरी करने वाले और जिस आपातकाल कि सबसे ज्यादा चर्चा करते है, उसमे अपनों को दगा देकर एक लाख से ज्यादा कि संख्या में माफ़ी मांग कर और सत्ता का समर्थन कर जेल से निकाल आने वाले, और जिस महात्मा गाँधी को दुनिया दरश मान रही है, उस आजादी के नायक कि हत्या करने वाले अब भारत को उन देशो में शुमार कर देने का प्रयास कर रहे है जो हर वक्त मौत, दंगे और अ निश्चितता के मुहाने पर खड़े रहते है। ये अलग बात है कि यह बात खुल जाने के बाद इनका शक्ल दिखाना भी मुश्किल हो जायेगा। अभी आये अदालती फैसले के समय इनके देश को दंगे कि आग में झोकने तमाम प्रयासों को जिस तरह भारत ने ठुकराया और ये बता दिया कि भारत बदल रहा है।इसका लोकतंत्र मजबूत होकर उभर रहा है। भारत कि नयी पीढ़ी ने लक्ष्य तय कर लिया है और उस लक्ष्य में किसी भी भटकाव और दंगे कि कोई गुंजाईश नही है। अगर उसके बाद भी ये संगठन अभी अपने तरीको से ही चलना चाहता है तों भारत में उन लक्ष्यों और तरीको के लिए कोई जगह नही है।

दूसरा बयान दिया पूर्व संघचालक ने कि सोनिया गाँधी जिन्होंने अपने परिवार और सिन्दूर कि क़ुरबानी देखी ओ गद्दार है, उन्होंने हत्याओ कि साजिश कि और ओ सोनिया गाँधी जिन्होंने भारत जैसे बड़े देश को का प्रधानमंत्री का पद दो बार ठुकरा दिया ओ और पता नही क्या क्या है। भारत कि जनता सब जानती है, सब देखती है। उसने देखा है कि जिसे भगवान कहा उसी राम को सत्ता के लिए धोखा किसने दिया। भारत कि जनता ने सुना है ओ बयान कि एक मंदिर के लिए सत्ता को नही गवा सकते। भारत कि जनता ने देखा है कि जब तक सरकार थी संघ से लेकर तथा कथित साधू संत और सभी हिंदूवादी संगठन कही खो गए थे या मिट्टी के मोल अपने तथा कथित आश्रम के लिए जमीने कब्ज़ा रहे थे या वो सब कर रहे थे जो भारत कि जनता ने सी डी में देखा। संघ पहले सत्ता में घुसा और अब बहुत ही फूहड़ तरीके से सड़क के किनारे ही नही आ गया बल्कि फूहड़ भाषा और विचार के साथ आ गया। संघ कि सदस्यता कि सूची अगर जारी कर दी जाये तों भारत में सामने कुछ और सत्य अ जायेंगे। एक अभियान चला कर देखना चाहिए कि इस देश में जमा खोरी कौन लोग करते है जिससे समान कम पड़ जाता है, और फिर मुनाफाखोरी कौन लोग करते है। मिलावट कर जनता के जीवन से खिलवाड़ कौन करते है। जरा गौर से देखिये और फिर पहचानिए कि ये किस संगठन से जुड़े है। वह रे ज्ञान, शील, शुचिता, संस्कार और पता नही क्या क्या। आप धन्य भी है और धान्य भी है पर दुनिया के साथ दौड़ाने वाले भारत को आप मंजूर नही है, आप के षड़यंत्र मंजूर नही है, किसी और गाँधी या आप के ही दीन दयाल उपाध्याय कि हत्या मंजूर नही है, दंगे मंजूर नही है, ये शुचिता मंजूर नही हैऊ ये भाषा मंजूर नही है, ये अनर्गल आरोप मंजूर नही है, हिटलर के सिद्धांत मंजूर नही है। बौखालने के बजाय चिंतन करने और भारत कि मुख्य धारा में रहने के बारे में सोचे तों शायद ….और प्रारंभ सोनिया गाँधी से माफ़ी मांग कर और इतना घिनौना आरोप लगाने के लिए भारत से माफ़ी मांग कर करना चाहिए।

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डॉ. सी. पी. राय
एम् ए [राजनीति शास्त्र], एल एल बी ,पी जी डिप [समूह संचार]। एम एड, पी एच डी [शिक्षा शास्त्र] पी एच डी [राजनीति शास्त्र]। संसदीय पुस्तक पुरस्कार से सम्मानित। पूर्व राज्य मंत्री उत्तर प्रदेश। अध्यापक ,गाँधी अध्ययन। डॉ बी आर आंबेडकर विश्व विधालय आगरा। १- "संसद और विपक्ष " नामक मेरी प्रकाशित शोध पुस्तक को संसदीय पुस्तक पुरस्कार मिल चुका है। २-यादो के आईने में डॉ. लोहिया भी एक प्रयास था। ३-अनुसन्धान परिचय में मेरा बहुत थोडा योगदान है। ४-कविताओ कि पहली पुस्तक प्रकाशित हो रही है। ५-छात्र जीवन से ही लगातार तमाम पत्र और पत्रिकाओ में लगातार लेख और कवितायेँ प्रकाशित होती रही है। कविता के मंचो पर भी एक समय तक दखल था, जो व्यस्तता के कारण फ़िलहाल छूटा है। मेरी बात - कविताएं लिखना और सुनना तथा सुनाना और तात्कालिक विषयों पर कलम चलाना, सामाजिक विसंगतियों पर कलम और कर्म से जूझते रहना ही मेरा काम है। किसी को पत्थर कि तरह लगे या फूल कि तरह पर मै तों कलम को हथियार बना कर लड़ता ही रहूँगा और जो देश और समाज के हित में लगेगा वो सब करता रहूँगा। किसी को खुश करना ?नही मुझे नही लगता है कि यह जरूरी है कि सब आप से खुश ही रहे। हां मै गन्दगी साफ करने निकला हूँ तों मुझे अपने हाथ तों गंदे करने ही होंगे और हाथ क्या कभी कभी सफाई के दौरान गन्दगी चेहरे पर भी आ जाती है और सर पर भी। पर इससे क्या डरना। रास्ता कंटकपूर्ण है लेकिन चलना तों पड़ेगा और मै चल रहा हूँ धीरे धीरे। लोग जुड़ते जायेंगे, काफिला बनता जायेगा और एक दिन जीत सफाई चाहने वालो कि ही होगी।

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  1. राय जी क्या यह सच नहीं की यु.पि.का इक प्रचारक इस देश का प्रधानमंत्री बनता है क्या यह सच नहीं है की पाकिस्तान से आया इक साधारण आदमी इस देश का गृह मंत्री बनता है या फिर यह सच्ची बात नहीं है की बहुत से राज्य के मुख्यमंत्री संघ के प्रचारक है?क्या ये सभी लोग मराठी है? की क्या यह सच नहीं है की इसी सोनिया जी के परससुर ने संघ के लोगो को लालकिला बुलाकर सलामी ठोका था?या फिर यह सच नहीं है की बिहार में कोशी नदी के प्रकोप से पीड़ित लोगो को बिना जाती धर्म पूछे शिविर में जगह प्रदान किया था तथा उनके लिए रोड पर भीख मांगकर उनको जरुरत की सामान मुहैया करवाया था?या फिर यह सच नहीं की पटना में हुए विमान दुर्घटना के स्थान पर पहुचने वाला कोई और नही बलकी संघ के कार्यकर्ता ही थे क्या यह घटना भी महारास्ट्र में हुआ था क्या?

  2. केवल एक बात और की लोकतंत्र में कोई भी जनता के चुनाव से नेता होता है | पर आप सब ये नहीं मानेंगे क्योकि लोकतंत्र में आप का तभी तक विश्वास करने का दिखावा है जब तक कोई नारा उछल कर पूर्ण बहुमत नहीं मिल जाता ,बिलकुल हिटलर की ही तरह | अच्छा मेरे भारत के भटके हुए दोस्तों आज के लिए बस इतना ही |

  3. डॉ ए पी जे कलाम सरकारी आवास में ही रहते है ,और उन्होंने जैसा माँगा था की उन्हें पुस्तकालय के लिए बड़ा चाहिए वैसा ही दिया है सरकार ने ,आप लोगो के साथ दिक्कत यही है की आप बार बार झूठ बोल कर सच बनाना चाहते है ,जैसे गणेश को दूध पिला दिया ,तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा को पूरे देश में मरा प्रचारित कर दिया | सभी पाठक एक यही नमूना देख ले जो इन्होने पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम के बारे में कहा है ,बाकि जवाब और झूठ और गालिया सुनाने के बाद ,हा इतना जरूर की मई सचमुच साधारण लेखक हूँ आप की तरह विद्वान् नहीं हूँ ,बाकी आप और मुझे गरिया ले तब विनम्रता पूर्वक कुछ ज्ञान की बाते बताऊंगा ,दोस्तों ज्यादा बुरा लग रहा हूँ तो खेद भी साथ साथ |क्योकि शरीफ इन्सान हूँ ,कोई मिलावटखोर तो हूँ नहीं |

  4. लेखक:
    “और हां मेरे दोस्त मै ज्यादा नहीं जनता बस लिखने की कोशिश ही कर रहा हूँ और आभारी हूँ प्रवक्ता की वह मुझ जैसे साधारण लोगो को भी जगह देता है | ”
    लगता है, कि, लेखक इतना तो सही, सही कह रहे हैं।

  5. राय जी,
    आप ने वेहतरीन लिखा बस थोडा ज्यादा तीखा लिख दिया इसलिए संघियो को बुरा लग रहा है. विदेशी काली टोपी और खाकी नेकर बाले संघी हो या कांग्रेस दोने ने ही देश का बेडा गर्क किया है. आप कांग्रेस पर कुछ ज्यादा ही फ़िदा है. जो लेख में बर्तमान भ्रष्ट सरकार और सोनिया के कही न कही बचाव में उतरते हुए लगे है. कांग्रेस हो या संघी कुनबा दोनों ही एक जैसे है. कांग्रेस भी जरुरत होने पर साम्प्रदायिकता का सहारा लेती है . 1984 को लोग भूले नहीं है बाकि संघ परिवार के तो क्या कहने गुजरात के दंगो को आभी ज्यादा दिन नहीं हुए है

  6. कहते है मुर्खो को ज्यादा भाव नही देना चाहिये पर जब मुर्ख विद्वानो की भाषा बोलने लगे तो,कुछ तो जवाब देना ही पडॆगा ना.
    १.शाखा में बाते नही सुनायी जाती है,खेल होता है,बौधिक केवल उत्सवो के समय होता है वो भी उस उत्सव और परिश्थिति के उपर राज्निति के उपर नहि.
    २,संघ को कभी राज नही करना,जो अपने को निकॄष्ट समझाता है वो कैसा हिन्दु है??अपने को श्रेष्ट मानने को तो विवेकानन्द ने भी कहा था,जब हिटल्र का नाम भि किसि ने नहि सुना होगा.
    ३.किस ने कहा संघ का कोयी निशान भी है?स्वास्तिक शुद्ध रुप से हिन्दु निशान है हर मांगलिक जार्य पर प्रत्येक हिन्दु के घर अन्कित होता है,ॐ कि तरह ये भी जैन-बौध पंथो मे मान्य है.जाकर अपनी जानकारि दुर्स्त क्रो.
    ४.भारत का नही उस ब्रह्म का प्रतिक ॐ है,किसने कहा सर पर काल अशुभ माना जाताअ है??हिटलर का तो नामो निशान तक नही था जब संघ का जन्म हुवा था.
    ५.यह आरोप धुर्तता का जिता जागता सबुत है और ये बताता है कि तुम बिल्कुल बहस करने लायक नहि हो.
    ६.देश द्रोही कम्युनिस्टो के कहने से संघ ४२ का मुखबिर हुवा क्या???कहा से लाये हो इसे??
    ७.जाकर आपातकाल की हिस्ट्रि पढो संघ नही होता तो अब तक चमचा गिइ कर रहे होते कोन्गेस कि,संघ के कारण ही आपात्काल हटा था,क्या नानाजी देश मुख का नाम भी सुना है??
    ८.गोड्से की पुस्तक प्रतिब्ण्धित नही है और हर बडि दुकान पर मिल जायेगी,अनेक कोन्गेसियो को पडते हुवे पुर उस पुस्तक को बाटते हुवे देखा है,और उस पुसक मे इसा क्या है जो सम्घ पर आरोप मड रहे हो???कभी पढना.
    ९.शाखा की संख्या हमें ज्यादा पता है या तुम्हे???
    १०.उस समय के इडिया टुडे-आउट लुक,भस्क्र-पत्रिका आदी अखबार उठा कर देखो,जानते तो कुछ हो नहि .२००१ कि कार्सेवा के बारे??
    ११.फ़िर धुरता पुर्ण आरोप??तुम्रा दिमाग खराब हो ग्या है.
    १२.संघ का कोयी संघठन मन्त्रि नही है,और जिस जोशी जी के बारे मे बात कर रहे हो वो सीडि ही फ़्र्जी थी,झुठ को फ़ैला कर तुम अपना कोयी राजनेतिक स्वार्थ साधना चाहते हो क्या??
    १३.भारत सरकार के मण्त्रि छोड कर आये थे,जिसे देश ने सर्थन किया था,तुम जैसे सडक छाप लोगो के विरोध के कारण ही वाजपेयी जी को झुकना पडा था.
    १४.कौन से घोटाले??अभी तक कुछ भी साबित हुवा है??
    १५.राम का आन्दोलन विहिप ने शौरु किया था,स्वयंसेवको ने सम्र्थन दिया था,तुम क्या कर रहे थे उस समय??क्या राम तुम्हारे नहि है???या केवल नाम ही हिन्दु रखा है??
    १६.दिमाग खराब हो गया है क्या??संघ को जानते भी हो क्या???सभी जातियो के लोग है संघ मे,उसका सेर्टिविकेट तुमसे लेने की जरुरत नहि है हमको.
    १७.मै व्यापारी नही हुँ,और व्यापारी कोयी दुश्मन नही है हमारे.
    १८.फ़िर बकवास.जाकर शिकायत कर दो सरकार से,कोयी सम्स्या है तो.
    १९.हाह्ह,जवाब देना ही मेरी मुर्खत होगी.
    २०.जरा उसे सार्वज्निक तो करना
    २१,फ़ालतु की बातें मत कर कोन्ग्रेसि चमचे,भारत में पैदा हुवा,किसी गैर देश का प्रधान्मंत्रि है तो बता???तेरे पुरे के पुरे लेख का असलि मंतव्य यहा से पता चल जाता है,ये भी सुनो जिस इटली मे कोयी भारतीय स्र्वोच्च पद तक नही पहुच सकता है.
    २२.बाकि का सरा प्रलाप के अलावा ओर कुछ नही है.
    ओर हा ज्यादा नौटखी करने की जरुरत नहि है,”मेरी ह्त्या कर देंगे” एसे तर्क मेने इसी साईट पर पहले भी सुन रखे है,अभी तक मुझे कन्फ़ोर्म नही है वरना नाम भी बता देता,कौन किस नाम से लिख रहा है.

    अपने आपको विध्दवान समझने बाकि को मुर्ख समझने वाले लेखको को संघ के विरोध में गालिया देने के लिये “प्रवक्ता” स्थान क्यों देती है??संघ पर हमला हम पर व्यक्तिगत हमला है,संघ का अपमान हमारा व्यक्तिगत अपमान है,क्या इन सब प्रलापो को ज्वाब देते फ़िरना छाहिये हमको??और अगर जवाब नही दे तो “प्रवक्ता” कहेगा कि”अपनी” पोल खुलने का डर है,क्यॊं??क्या इस फ़र्जी प्रलाप को महत्व देना चाहिये???सम्पादक जी हमें आपसे जवाब चाहिये,क्या आप चाहते है कि इस मण्च पर हर एरा गैरा बिना तथ्यों के सबुतो के,पुर्वाघ से युक्त हो या अपनि जातिगत या राजैनित्क गत रोटिया सेअकने के लिये गालिया बकता रहे फ़िर हर स्वयण्सेवक “स्ॐय” भाषा” मे उसे समझाता रहे,आप एसा ही चाहते है क्या???
    संघ को जानने वाले सम्पादक जी हमें बता दिजिये क्या संघ का अपमान हम स्व्यंसेवको का अपमान नही है??क्या हम पर व्यक्तिगत टिप्पणि नही है??एक प्रकार का प्रलाप बार बार क्यों?????????????????????????????????????????

    • अभिषेक जी इस सी.पि.राय से पूछिये की जब संघ इतनी कमजोर है तो फिर इसके महिला प्रधानमंत्री ने आपातकाल के समय संघ के सबसे छोटे इकाई गटनायक को सबसे पहले पकड़ने की इजाजत क्यों दी थी |और उस इटालियन के पीले को किसने यह अधिकार दिया की सिमी के साथ इस संगठन की तुलना करने लगा? इक भारतीय तो ऐसी बात नहीं ही कर सकता है ?पता है अभिषेक भाई राय जैसे लोगो को सूर्य चक्र पर प्रहार करने की आवश्यकता है तभी ये लोग मानेगे?

  7. RSS Leader KN Govindacharya Sunday said KS Sudarshan’s derogatory
    remarks against Congress chief Sonia Gandhi has lowered the former RSS
    chief’s stature and damaged the Sangh’s image. Sudarshan’s remarks has
    lowered the former RSS chief’s stature and damaged the Sangh’s image

  8. RSS is devided in sonia gandhi issue, fraction between the organisation has come out. senior leders of the organisation condemn his former chief sudarshan on his remarks on sonia. many senior leader like govindaacharya also openly condemn his former chief sudarshan.

  9. तर्कशास्त्र की एक सीमा है, जो सच्चाई मैं विश्वाश करते हैं वे तर्कशास्त्र मैं नहीं पड़ते| संघ हिन्दुओं का समर्थन करता है यानि देश की ८० प्रतिशत आबादी का| इस देश के लोग मूर्ख नहीं, लोग जैसे भगवान मैं लोग विश्वाश करते हैं वैसे ही संघ मैं. जय हिंद,जय भारत, जय संघ |

  10. aadarneey ray chand ji aapki bebak lekhni dekH KAR KHADE HOKAR PANI PEENE KO MAN KARTA HE … ITNEE MEHNAT KAR DALI HOGI AAPNE YE LEKH LIKHNE ME…KYUKI HAR KOI IS MOKE KO NAHI CHHODNA CHAHTA … AAPNE APNE PRASHN KI SRIKHALA ME VISHAY KO BHATKA RAHE HE…. OR AAPKE PRTYEK PRSHN KA JABAB DENE LIYR MERE JAISA EK HI SANGHI BAHUT HE … OR ISKE LIYE KISI BHI PUJNIY KI JARURAT NAHI PADEGI…. JARA AAP BHI SOCHIYE RAAT DIN SABNE SANGH KO GALIYAN DI OR AAP KAHA RAHE HO KI FLOP SHOW… TO KABHI APNI DUKAN SE NIKAL KAR DEKHO KABHI KISI ITIHAAS ME 100000 LOG KISI KE VIRODH OR SANGH LIYE KHDE BHI HUYE HEN BAS AAP DEKHNA NAHI CHAHTE… KYUNKI AAP KHUD DESHBHAKTI KARNA NAHI CHATE OR JISNE KARNI HE USE KARNA NAHI DENA CHAHTE….

  11. डा. राय जी अंध भक्ति में सच नज़र नहीं आता.सुदर्शन जी एक विद्वान और चिन्तक हैं. उन्हों ने श्रीमती सोनिया गांधी के बारे में जो कहा है, वह निराधार नहीं है. सुब्रमण्यम स्वामी जी ने उनके (सोनिया जी के) ऊपर अनेक गंभीर आरोप न्यायालय में शपथ पत्र देकर लगाए हैं. यदि दम हो तो उन आरोपों का खंडन क्यों नहीं किया गया, उन्हें दबाने- छुपाने के प्रयास अनेक वर्षों से चल रहे हैं तो क्यों ? क्यों नहीं सुब्रमण्यम स्वामी पर मुक्कादामा चलाते ? सुदर्शन जी पर चालायेगे तो भी कई परदे हटेंगे, कई भेद खुलेंगे. मुझे दर तो यह है की कहीं सुदर्शन जी पर मुकद्दमा न चला तो SACH CHHUPAA RAH JAAYEGAA.
    – आप जो भी कह रहे ह्जैं वह झूठ के पुलिंदे के इलावा कुछ नहीं है. सच तो यह है की राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आज़ाद ने संविधान का हवाला देकर सोनिया जी को प्रधान मंत्री पद के अयोग्य बतला दिया था. इस अपराध की सज़ा उन्हें यह दी गयी की पद मुक्त होने के बाद उन्हें वह आवास नहीं दिया गया जो हर राष्ट्रपति को पद मुक्ति के बाद दिया जाता है. इसके पीछे सोनिया जी की शत्रुता की भावना ही तो थी. यदि विश्वास न हो तो पता कर लें की डा. अब्दुल कलाम जी के साथ यह दुर्व्यवहार हुआ या नहीं ? उनका बड़प्पन है की उन्हों ने इस बात को कभी मुद्दा नहीं बनाया और न कभी सोनिया की पोल खोली.
    – मेरे दोस्त एक बार सुब्रमण्यम स्वामी के लगाए आरोप पढ़ लो फिर आपका साहस नहीं होगा की आप श्रीमती सोनिया के पक्ष में कुछ कहें. काँप उठेंगे आप यह सोच कर की ऐसी महिला के हाथ में देश की सत्ता के सूत्र हैं. बहुत खतरनाक खेल चल रहा है भारत के खिलाफ, इटली, अमेरिका व CHARCH के सहयोग से.

  12. डॉ सी पी राय साहब, एक होता है तर्क और दूसरा होता है कुतर्क. तर्क का जवाब होता है कुतर्क का नहीं. अगर सिर्फ काली टोपी पहनने से व्यक्ति हिटलर हो जाता, तो सफ़ेद टोपी पहनने वाले कांग्रेसी गांधी हो जाते.
    संघ कभी जातिभेद नहीं करता और यह बात स्वयं गांधी जी ने स्वीकार की थी. धर्म की गलत व्याख्या कर प्रवक्ता पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश बेकार है. ऐसी कोशिश ईसाई देश के विभिन्न पिछड़े भागों में कर रहें हैं, आप भी वहीं जाएँ.
    संघ पर जितने आरोप आप यहाँ लगा रहें हैं उनमे से कितने आप अदालत में सिद्ध कर पाएंगे, इसकी चिंता करते तो बेतुके आरोप नहीं लगाते.
    दुनिया के जितने देशो में आप भारतीयों के परचम की बात कर रहें है उनमे से कितने किसी प्रमुख व्यक्ति के रिश्तेदार होने के नाते उच्च पद पर आसीन हुए हैं. उस देश के लिए उनका योगदान भी देखिये, फिर बात कीजिये.
    एक बात और आप संघियों की ज्यादा चिंता न करें, आप समाज सेवा का उद्देश्य लेकर निकले हैं तो बहुत सारे लोग आपके आसपास मिल जायेंगे, आप उन्ही की चिंता करें. रही बात हत्या की तो आप सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में ऐसे बयान दे रहे हैं, जिसका कोई वजूद नहीं.
    आपके अभियान के लिए शुभकामनाएं. समाज के लिए अच्छा काम कर के दिखायेंगे तो कट्टर से कट्टर संघी भी आपकी प्रशंसा करेगा. लेकिन कोई समाज सेवी संघ की निंदा नहीं करता, हाँ संघ की निंदा से राहुल बाबा खुश होकर आपको कुछ पद दे सकते हैं. भारत माता की जय.

  13. दोस्तों आप में से कोई भी मेरे उठाये पश्नो का जवाब नहीं दे रहा है | केवल अपनी शाखा में सुना ही बोले जा रहे है | आँखे खोलिए ,दुनिया बहुत आगे जा रही है |१.क्या संघ का और हिटलर का सोच एक ही नहीं है की हम सर्वश्रेष्ठ है और सब पर हमारा राज होना चाहिए ? 2 क्या संघ का निशान और हिटलर का निशान स्वस्तिक नहीं है ? ३ क्या हिटलर और संघ दोनों की टोपी काली नहीं है जबकि भारत का शुभ निशान ॐ है और सर पर काला कपडा रखना अच्छा नहीं माना जाता | ४ क्या संघ के लोग गाय के चमड़े की बेल्ट और जूते नहीं पहनते ? कैसे पता लगता है की ओ गाय के चमड़े की नहीं है | इसके आलावा ५ क्या संघ ने १९४२ क्व आन्दोलन में मुखबिरी नहीं किया था ? ६ क्या आपातकाल में सारे संघियों ने सरकार का समर्थन कर माफ़ी नहीं माँगा था ? ७ क्या देश में प्रतिबंधित गोडसे की पुस्तक केवल संघ नहीं बेचता और केवल उसी के द्वारा नहीं छापी जाती है ? ८ क्या भा जा पा की सरकार बनने के बाद शाखाये १०% नहीं रह गयी है ? ९ क्या जब तक भा जा पा सरकार रही तब तक संघ और उसके सारे चेलो ने राम मंदिर पर मौन धारण नहीं कर लिया था ? १० क्या उस सरकार में संघ के सारे प्रचारक दलाली और जमीनों पर कब्ज़ा कर बड़े आदमी नहीं हो गए है ११ क्या संघ का एक संगठन मंत्री औरत के साथ सी डी में भारत ने नहीं देखा १२ क्या सबसे बड़े आतंकवादी को संघ के मंत्री काबुल छोड़ कर नहीं आये ? क्या भा जा पा का अध्यक्ष घूस लेते टी वी पर नहीं देखा गया १३ .क्या उस सरकार में सभी विभागों में जबदस्त घोटाले नहीं पाए गए ? १४ क्या ये सच नहीं की जो अपने राम का ही नहीं हुआ उसी को धोखा दे दिया और किसका होगा ? १५ क्या ये सच नहीं है की संघ पर केवल एक खास मराठा जाति का ही वर्चस्व है [कृपया बाकि लोग इस बात पर ध्यान से मनन कर ले ,यदि मै गलत कह रहा हूँ ] १६ क्या संघ से जुड़े ८०% से जायदा लोग व्यापारी नहीं है १७ क्या वे जमाखोरी ,मुनाफाखोरी और मिलावट का काम नहीं कर रहे है ? १९ क्या उनमे से किसी ने भी दो तरह का माल रखा है हिन्दू को असली और बाकि को मिलावटी २० क्या आगरा के गजट में एक पूर्व नेता की मुखबिरी पर स्वतंत्रता सेनानियों को जेल भेजे जाने की बात लिखी है ? २१ क्या मारीशस ,फिजी ,गुयाना ,टोबैको त्रिनिदाद ,न्यूजीलेंड सहित कई देशो में भारतीय लोग राष्ट्रपति या पधानमंत्री नहीं है ,क्या सिंगापूर जैसे तमाम देशी में भारतीय रास्रपति. मंत्री सहित बड़े पदों पर नहीं है ?के १९५० और ६० के बाद गए लोग भी अमरीका जैसे बड़े देश में गवर्नर और संसद तथा और महत्वपूर्ण पद पर नहीं है .क्या लन्दन में भी बाद के गए लोग मेयर और संसद सहित बड़े पदों पर नहीं है ? क्या आस्ट्रेलिया में भारत से पढ़ने गयी एक लड़की मेयर नहीं बनी ? क्या क्या पूछू ? कुंए से बाहर निकल कर भी दुनिया है और संघ के आदिमकालीन सोच वाली बातो से आगे भी बाते है ,इतिहास के तथ्य है | अगर पुरानी दुनिया और लड़ाइयो में ही रहना है तो १- राम ठाकुर थे और उनकी बीबी को ब्राहम्ण रावण उठा ले गया था ,फिर राम ने उसकी लंका जला दिया ,आप लोगो की सोच के हिसाब से पहले इन दोनों जातियों को पुराना हिसाब चुकता करना चाहिए २- उसके बाद महाभारत में कौन किसकी लड़की को ले भगा ,किसने किसको धोखा दिया ,किसने किसको मारा ये जाति और धर्म तथा गोत्र के हिसाब से याद रख कर लड़ाई जरी रहनी चाहिए | ३- उसके बाद भी इन्द्र ने अहिल्या से बलात्कार किया पता लगाना चाहिए की दोनों की जाति क्या थी और धर्म क्या था ? ४ उसके बाद का इतिहास भी इन्ही हिसाब से देखना चाहिए की गाली देने और गोली मारने की गुंजाईश कहा कहा है ? ५ कौरव पांडव ,कृष्ण और कर्ण जैसो का मामला भी छान बीन का है ? कट्टर पर तथा कथित नकली हिन्दुओ { क्योकि असली हिन्दू कट्टर नहीं होता और केवल अपनी नहीं बोलता है बल्कि आदिकाल से शास्त्रार्थ करता रहा है और नागपुर के ताले में दिमाग रख कर जो वहा रटा दिया केवल वाही नहीं बल्कि उसके बजाय खुली आँखों से दुनिया देखता है और आगे बढ़ता है अगर ऐसा नहीं होता तो आज दुनिया में भारत का डंका नहीं बज रहा होता |और मजदूर बन कर गए लोग राज नहीं कर रहे होते ] .इसलिए कृपया पहले दिमाग को खोले दुनिया को देखे खुले दिमाग से ये पढ़े और फिर थोडा ठन्डे मन से सोचे और तब जरूर कुछ कहे | आप भी भारत के नागरिक है ,आप सोच से पीछे रह जायेंगे तो भारत का ही १०० करोडवा हिसा पीछे रह जायेगा ,इसका मुझे दुःख होगा |कुछ लोगो ने बड़ी कड़वी टिपणी किया है ,पर मै भारत के किसी नागरिक को व्यक्तिगत दुशमन नहीं मानता कट्टर संघियों की तरह इसलिए व्यक्तिगत नाम लेकर कुछ नहीं लिख रहा हूँ ,और हां मेरे दोस्त मै ज्यादा नहीं जनता बस लिखने की कोशिश ही कर रहा हूँ और आभारी हूँ प्रवक्ता की वह मुझ जैसे साधारण लोगो को भी जगह देता है | विश्वास है की आप में से जो कट्टर संघी है वो गाँधी और दीनदयाल उपाध्याय की तरह की मेरी हत्या की साजिश नहीं करेंगे ,और मेरे उठाये सवालो का लाभ उठा कर कुए के मेढक के स्थान पर पढ़ा लिखा और दुनिया में प्रथम स्थान पर जाने वाले भारत का नागरिक और सही मायने में सच्चा हिन्दू और उससे भी बढ़ कर इन्सान बनेंगे | फिर भी कुछ समझ में नहीं आ पाए तो अज्ञानता के कारण,और आप को कोई मेरी बातो से दुःख पहुंचे तो मै केवल खेद व्यक्त कर सकता हूँ | क्योकि नए बन रहे अतंकवादियो के घृणित हाथो से मरना मुझे अच्छा नहीं लगेगा | मेरा अभियान जरी रहेगा | जय हिंद ,जय हिंद ,जय हिंद

  14. विभिन्न जगहों पर, विभिन्न लेखकों ने सोनिया के बारे में कई तथ्य दिये हैं जिनसे शक गहराना स्वाभाविक है, परन्तु भाजपा के नेता कांग्रेसियों के पहले हमले में ही इतने डरपोक और समझौतावादी बन जायेंगे ऐसी उम्मीद नहीं थी।
    सुदर्शन जी को जिस तरह तूफ़ान और मंझधार में अकेला छोड़कर सभी भाजपाई भाग खड़े हुए वह निंदनीय है
    मा. सुदर्शन जी के इस बयांन का नतीजा है कि ४० वर्षों बाद संघ का इतना बड़ा विरोध प्रदर्शन अपने विषय से भटक गया और शीत कालीन सत्र में घोटालों पर चर्चा भी दब कर रह गयी …सोनिया गाँधी के सन्दर्भ में दिया गया बयान सुदर्शन जी के व्यक्तित्व और कद से मेल नहीं खाता और न ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संस्कृति से |

    बयानबाजी करिए लेकिन समय और परिस्थितियों का ध्यान रखना भी जरुरी होता है

  15. mai rss ka karyakarta nahi hu gandhi ko jine ki koshish kar raha hu edra jee ki saree vyavastha soniya ke hath thi phir bulat pruf jakit kyon nahi milee raha sawal nathuram godse ka to gandhee ko usane do goli mari thi phir tisari golee kahan se aa gae esaki tah me jayege to kagresh jada ghiri dikhegee manch par to nehru hi the pichhe aur tisare golee pichhe hi lagi thi bhagat singh subhashchandrabosh endra rajiv ki maut ko lekar ek pil kyon nahi file kar de rahe hai suprem court me sach samne aa jayega jada jankari chahiye to dr kalam dr subramaniyam aur k n govindacharya se jarur miliye aakhir enhone 2004 me pradhanmantri banane se kyon roka soniya ko uske bad bhee pet na hare to mai aap ko rasiya bhej deta hu khadi pahan lene se koe gandhee nahi hota har jagah giravat hai gandhee ke sapno ka bharat kahi dikhala digiye rss ke sahyog se bane hibarhe bajar ko chhorh kar etne mahan vyakti ke nam par rajneet karane valee kagresh se kyon nahi puchhate hai aap barhee lakeer kheechiye

  16. कहते है आजकल “लेखक” बनने का “फ़ैशन” हो चला है लोगों को आता जाता कुछ नही है पर चले है संघ को गालिया बकने,”प्रवक्ता” को भी एसे सडक छाप लेखकों को संघ पर गालिया बक्वाने का शौक है,कोयी बात नही है मै अपने शहर के बारे मे बतता हुँ,जोध्पुर शहर में धरने पर ३६०० लोग बैथे थे,बाडमेर मे ७०००,पाली मे भी ३४००,५००० सिरोही,ये चन्द नमुने है,अब जरा कोन्ग्रेस का हल सुना कुल जमा १५० लोग जोध्पुर मे,सिरोहि मे ५० लोग{जिनसे पुतला छिन लिया अपने कार्य्कर्र्ताओं ने} बाकि का पता नही है दो एक दिन मे पता चल जायेगा.
    वो भाई सहाब ने मना कर दिया वरना क्या मजाल कोन्ग्रेस भारत के किसी कोने मे संघ के पुजनिय सुद्र्शन जी का पुतला फ़ुख सकें.
    बेचारों को इलाहाबद मे बहुत जुते पडे,इधर लखनु से भी जुते पडने की खबर आ रही थी,जिसे अजमेर पर तीवी वाले ज्यादा दिखा रहे थे वहा बेचारे जुते खाते खाते बचे…………………….और जोधपुर के इतिहास मे इससे बडा धरना कभी नही हुवा …………………..कोन्ग्र्सीयो को तो पैसे दे दे कर बुलाना पडता है और पडा है लेकिन अपने लोग तो केवल टिवी देख कर ही कार्यलय को बचाने आ जुटे…………………….

  17. कही ना कही आप भी भ्रमित है तभी आप को लगता है कि संघ मे भटकाव पैदा हो गया है जेसा कि आप ने अपने लेख मे कहा है
    और रही प्रधानमंत्री पद को ठुकराने कि बात तो फिर आज भी सोनिया जी सरकार के कम काज मे इतना हस्तछेप क्यों रहता है
    मै किसी का पछ नहीं ले रहा मै तो बस आप की बहस का हिस्सा मात्र हु आप भी इन पहलुओ पर गौर करे

  18. संघ को कुछ नहीं हुआ है संघ अब जाग गया है बड़ी संख्या मैं लोग उससे जुड़ना चाहते हैं. आज देश के युवा संघ के आदर्शों एवं अनुशाशन पर चलना चाहते है. संघ का चिंतन इतना गंभीर और विचारशील है की युवाओं को थोड़ी झिझक होती है, कुछ ऐसी व्यवस्था करे की सामान्य सदस्यता के लिए लोग आगे आयें. लोग जुड़ना चाहते हैं.
    पापियों के नाश को रामजी की सेना तत्पर है और भारत मैं ही नहीं विश्व मैं राम राज्य की स्थापना होकर रहेगी.

  19. एक सच्चा हिन्दू कभी भी काग्रेस को स्वीकार नहीं कर सकता इसिलए अवसरवादी लोगों को ही प्रलोभन और पद का लालच देकर पार्टी मैं शामिल किया है इसी का असर है की ऐसे लोग सर से पांव तक भ्रष्टाचार मैं लिप्त हैं.

    राय साहब आप क्या बात कररहे हैं, सब जानते हैं गाँधी परिवार ने कोई क़ुरबानी नहीं दी वे अपने गलत फैसलों के शिकार हुए| जैसे इंदिरा जी सिखों के समबन्ध मैं और राजीव जी ने तमिलों के सम्बन्ध मैं. और हिन्दुओं के सम्बन्ध मैं इस परिवार ने हमेश गलत निर्णय लिया हैं. गलत कानूनों से अपने एक पक्षीय वोट बैंक को बढाया है| परिवन नियोजन पर गलत नीति अपनाकर और तुष्टिकरण पर चलकर हिन्दुओं का अपमान किया है |

    इसके अलावा मीडिया को खुली छूट देकर हिन्दू संस्कृति को तार तार किया है| विभिन्न फिल्मों और धारावाहिकों के माध्यम से हिन्दू मान्यताओं और धर्म का अपमान किया है| कुछ चेनलों को खरीदकर एक तरफ़ा रिपोर्टिंग करवाई है|

    धर्म निरपेक्षता पर दोहरा मापदंड अपनाया है विदेशी दबाब मैं धर्मान्तरण पर कोई प्रतिबन्ध नहीं लगाया| बड़ी संख्या मैं हिन्दुओं का धर्मान्तरण करवाया है|

  20. राय साब बड़ी देर कर दी ,अब तो पानी सर से ऊपर जा चूका है .
    बोये पेड़ बबूल का आम कहाँ से पाय ?
    कांग्रेस ने यदि vigat ६४ साल में ईमानदारी से कोशिश की होती तो संघ नामक जहरीला नाग भारत को नहीं डसता…कांग्रेस एक ऐसी जमात बनकर रह गई जो चुनिन्दा चरित्रहीन चाटुकारों से भरी हुई नागफनी मात्र है ..उसे देखकर नहीं लगता की वो साम्प्रदायिकता से लड़ सकेगी ..साम्प्रदायिकता के खिलाफ देश की तमाम धर्मनिरपेक्ष जनता -को एकजुट होकर लड़ना पड़ेगा ..हिन्दू ,मुस्लिम ,ईसाई ,वौध ,जैन पारसी तथा तमाम शोषित -दमित समाजों को न केवल संघ बल्कि मुस्लिम कट्टरवाद और नाक्सासल्वाद को साझा दुश्मन जानकार अनवरत संघर्ष करना होगा ..एक अच्छी और देशभक्तिपूर्ण पोस्ट के लिए आपको बधाई और धन्यवाद …

  21. अवधेश जी बेहद शानदार जवाब|
    कौंग्रेस का अंत निकट देखकर इनका बौखलाना स्वाभाविक ही है|
    हम और आप मिलकर कौंग्रेस का निशाँ भी इस देश से मिटा देंगे|

  22. डॉ राय, आपने लेख अच्छा लिखा है ये लेख कांग्रेस में आपको अच्छी एंट्री दे सकता है अच्छा पद भी दे सकता है सोनिया जी बहुत खुश होगी,

  23. डॉ. सी. पी. राय, आप न्यायालय की अवहेलना कर रहें हैं, अगर आपको देश के कानून में विश्वास नहीं तो बेहतर होगा क़तर चले जाएँ.

    अभी बीते दिनों में दो धरने और प्रदर्शन हुए, एक संघ ने किया, दूसरा कांग्रेस ने. संघ ने अपने ऊपर लगे आरोपों और सरकार द्वारा हिन्दुओं को आतंकवादी घोषित किये जाने के विरोध में देश के सभी जिलों में एक साथ दो घंटे का धरना दिया. कहीं से कोई अप्रिय समाचार नहीं आया, संघ के किसी व्यक्ति ने कोई क़ानून नहीं तोडा. धरना देश की अस्मिता, संस्कृति, अखंडता और स्वाभिमान के लिए दिया गया.

    वही काँग्रेस का धरना एंटोनिया मैनो (सोनिया) की चापलूसी के लिए हुआ, देश भर में संघ कार्यालयों पर कांग्रेसियों का आतंक दिखा, खुलेआम कानून हाथ में लिया गया, जबकि संघ ने खुद को सुदर्शन जी के बयान से अलग कर लिया था. काँग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने कहा कि अगर काँग्रेसी कुछ गलत करते हैं तो इसकी जिम्मेदार पार्टी नहीं होगी, उन्होंने यह भी कहा कि टिप्पणी करने वालों को ऐसा जबाब दे कि फिर कोई फिर कुछ बोलने की हिम्मत ना करे. यह कांग्रेसियों को उग्र प्रदर्शन के लिए उकसावा था जिसका पालन कांग्रेसियों ने मैनो परिवार की नज़र में अपना नंबर बढ़ाने के लिए बखूबी किया. देश की समस्याओं पर चुप रहने वाले चापलूस सोनिया पर टिप्पणी के विरोध में सड़क पर दिखे, यह देश का दुर्भाग्य नहीं तो और क्या है. आप खुद सोचें कि जिन कांग्रेसियों के लिए देश से बड़ा परिवार है वो घोटाले नहीं तो और क्या करेंगे.

    इन दोनों प्रदर्शनों को हिंदुस्तान की जनता ने देखा और सुना, जनता खुद फैसला करे की आतंकी कौन है, देश के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत रखने वाले संघी या देश को चूल्हे में झोंक कर मैनो परिवार की चापलूसी करने वाले काँग्रेसी.

  24. संघ के पास गौरवशाली अतित है। लेकिन संघ की क्षमता मे निरंतर ह्रास आ रहा है यह सत्य है। यह भी सही है की संघ का जो परम्परागत जन समर्थन का आधार था वह विमुख होता जा रहा है। लेकिन फिर भी हमे विश्वास है संघ के आदर्श गलत नही है – संघ का ध्येय गलत नही है। किसी कालखण्ड नेतृत्व मे बैठे किसी व्यक्ति की क्षमता कम हो सकती है, लेकिन हमारा विश्वास संघ मे अटल है। कुछ लोग गलत हो सकते है लेकिन संघ अपनी जगह ठीक है।

    कबीर ने कहा है – निन्दक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय। इस लिए आपके लेखन के लिए साधुवाद। लेकिन बाबा सुदर्शन ने कुछ गलत नही कहा है। किसी से कोई माफी मांगने की जरुरत नही है।

  25. संघ की आलोचना करने के पहले संविधान का सम्मान करना सीखिए पहली बत्ग यह है कि महात्मा गाँधी कि हत्या में संघ का कुछ लेना देना नहीं यह बात आजाद भारत की न्यायपालिका का है.दूसरी बात संघ के कार्यो का मूल्याङ्कन सिर्फ शाखा गिन कर नहीं उनके लाखो स्व्म्सेवाको द्वारा बनवासियो और आदिवासियो एवं उपेचितो का कम देखे और अंतिम बात सोनिया गाँधी ने कोई त्याग नहीं किया वाजपई जी की सरकार गिरने पर हमारे पास २७३ का बहुमत है का दावा राष्ट्रपति के यहाँ क्यों गयी थी जब मुलायम ने सम समर्थन नहीं दिया तो अपमानित हो कर रह गयी वही मुलायम की वजह से आज भय बना रहा कि उन्हें सन्यासिनी और त्यागी का ख़िताब उन एके दरबारियो और खानदानी चापलूसों ने दिया है.इसका सबूत मुलायम से उनकी आज तक कायम बेरुखी है.पिचले चुनाव में ३९ सदस्यों का समर्थन देने के बाद भी मुलायम सड़क पर रह गए और ४ सदस्यों के साथ पासवान कबिनेट मंत्री बने रहे परुमाद विधेयक पर सरकार बचाना भी मैडम सोनिया के नाराजगी को समाप्त नहीं कर सका यह कही से लोकतान्त्रिक कार्य नहीं कहा जा सकता अपने पुत्र के लिए देश के संविधान लोकतान्त्रिक परम्पराव कि अवहेलना करना किस शब्द कोष में त्याग है अगेर आप बता सके तो हमारे जैसे मूर्खो की भी कुछ ज्ञान्वृध्धि हो सकेगी.नहीं तो क्यों न आपको भी उन्ही खान दानी दलालों और दरबारियो में शामिल समझा जाय रही बात के.एस.सुदर्शन के बयां की तो सुब्रह्द्यम स्वामी की याचिकाए और सुरेश चिपूलकर के महाजाल पर जा कर विदेशियो के विचारो को देखे तो सुदर्शन का बयां कुछ भी नहीं लगेगा अगेर ऐसा कुछ है तो सोनिया गाँधी कोउनके खिलाफ मानहानि का दावा करना चाहिए न कि हंगामा कर भ्रष्टाचार में लिप्तता से जनता का ध्यान बटाने का बहाना तलाशना चाहिए वसे भी जनता भ्रष्टाचार के समस्त मामलो पर सोनिया और राहुल गाँधी की ख़ामोशी से जनता माँ यही सन्देश जा रहा है कि जो कहा जा रहा था कि स्विस बांको में धन जमा हो रहा है सुच है.

  26. आप निश्चय ही या तो भ्रमित हैं आ जानबूझकर भ्रम फैला रहे हैं…..संघ कभी गांधी की हत्या मैं लिप्त रहा इस पर न्यायालय ने फैसला दिया कि संघ का इस घटना से कोई लेना देना नहीं….अब तो इस पोचे आरोप का खंडन करने का भी मन नहीं होता…पिछले ८० वर्षों से संघ के लाखों लाखों कार्यकर्ता अहर्निश देश सेवा मैं लगे हैं…संघ को भ्रष्टाचारी और दंगई लोगों का समूह बोलने से पहले…..एक आलोचक की दृष्टि से ही सही पर आप को संघ का इतिहास और उसका देशसेवा मैं योगदान का अध्ययन करना चाहिये…खैर आपको ये सब लिखने से पहले कम से कंम उन लोगों के सम्मान का तो खयाल करना ही चाहिये जो कुछ ढंग का पढने प्रवक्ता पर आते हैं….इस निकृष्टतम लेखन के लिए आपको साधुवाद तो नहीं दिया जा सकता

  27. अपने ये नहीं बताया की क्यों इसके बावजूद भी देश के ज्यादातर राज्यों की जनता इसी संघ के भरोसे है और वोट देकर बार बार सरकार भी बनवा देती है आपको तकलीफ तो होगी लेकिन बताइयेगा जरूर

  28. ये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को क्या हो गया है? – by – डॉ. सी. पी. राय

    डॉ. सी. पी. राय दो बात लिख रहे हैं (?) :

    (१) संघ ने स्वीकार कर लिया है कि सघ आतंकवाद के रास्ते पर चल पड़ा है.
    आधार ?
    ब्यान कि संघ तों आतंकवादी नही है कुछ संघ से जुड़े लोग हो सकते है पर अब ओ संघ के साथ नही है।

    (२) सोनिया गाँधी गद्दार है नहीं है. उन्होंने हत्याओ कि साजिश नहीं की है.
    आधार ?
    सोनिया गाँधी ने प्रधानमंत्री का पद दो बार ठुकरा दिया.

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को क्या हो गया है ?

    संघ को आपकी की तरह डर नहीं लग रहा है.
    आपकी तरह ही संघ ने कंटकपूर्ण रास्ता चुना है.
    संघ चल रहा है, १९२५ से चल रहा है. लोग जुड़ रहे हैं; आप भी राष्ट्र निर्माण में जुड़ें.
    संगठन की एक दिन जीत ही होगी.
    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को कुछ नहीं हुआ है.

    – अनिल सहगल –

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