सचिन की नीयत पर सवाल उठाने वाले मूर्ख

1
144

-बी.पी. गौतम

दुनिया को रंगमंच की तरह देखा जाए, तो यहाँ प्रत्येक इंसान रंगमंच की तरह ही भूमिका निभाता नज़र आता है। प्रत्येक इंसान के ऊपर अपनी भूमिका को बेहतर ढंग से निभाने का स्वाभाविक दबाव रहता है। जानबूझ कर कोई असफल नहीं होना चाहता, फिर भी कुछ लोग कुछ भूमिकाओं को बेहतर ढंग से निभाने में सफल हो जाते हैं, तो कुछ एक भी भूमिका सही ढंग से नहीं निभा पाते, वहीं कुछ विरले हर भूमिका में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते दिखाई देते हैं। जाहिर है, ऐसे इंसान को देख कर हर कोई आश्चर्यचकित रह ही जायेगा, तभी ऐसे इंसान को लोग विशेष सम्मान देने लगते हैं। सचिन रमेश तेंदुलकर को भी निर्विवाद रूप से भारतीय ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में फैले क्रिकेट प्रेमी विशेष सम्मान देते हैं। सम्मान के साथ उनके पास वह सब भी है, जिसकी आम आदमी कल्पना तक नहीं कर सकता। ऐसे में उन पर यह आरोप लगाने वाले कि सचिन देश के लिए नहीं, बल्कि खुद के लिए खेलते हैं और जानबूझ कर सन्यास नहीं ले रहे हैं, वह सचिन से ईर्ष्या करते हैं या सचिन के बारे में ऐसा बोल कर चर्चाओं में आना चाहते हैं या फिर ऐसे लोग सचिन को जानते ही नहीं हैं।

क्रिकेटर के रूप में सचिन तेंदुलकर को दुनिया जानती है, इसलिए पहले सचिन की प्रकृति और व्यवहार के बारे में बात करते हैं। क्रिकेट की दुनिया में भगवान का स्थान पा चुका यह शख्स आज भी आम नागरिक की तरह ही सोचता है। नेता, अभिनेता और बाकी क्रिकेटर पैसे के पीछे ही भागते नज़र आते हैं, लेकिन देश की समस्याओं की बात हो, तो सचिन पैसे को बीच में नहीं आने देते। पानी बचाने का सन्देश देने का विज्ञापन करने का ऑफर उनके सामने आया, तो उन्होंने मुफ्त में किया, इसी तरह टाइगर सुरक्षा का संदेश देने की बात आई, तो भी उन्होंने विज्ञापन करने का एक रुपया नहीं लिया। सचिन को एक शराब कंपनी ने भी विज्ञापन करने का ऑफर दिया और छोटे से विज्ञापन के बदले एक करोड़ रूपये देने को कहा, लेकिन उन्होंने शराब कंपनी से यह कहते हुए साफ मना कर दिया कि इससे देश के युवाओं को गलत संदेश जायेगा, इसलिए वह ऐसे प्रचार का माध्यम नहीं बनेंगे। इस इंकार के पीछे एक सुपुत्र भी नजर आ रहा है, क्योंकि उनके पिता रमेश तेंदुलकर का यह कहना था, कि वह ऐसा कुछ न करें, जिससे गलत संदेश जाये। इसी तरह सचिन ने आईपीएल के दौरान किंगफिशर का विज्ञापन करने से भी मना कर दिया था।

सचिन सामान्य परिवार में जन्मे हैं, इसलिए वह देश के आम लोगों की विचारधारा और स्थितियों को बेहतर तरीके से समझते व महसूस करते हैं और आम आदमी या देशहित के मुद्दे पर गंभीर नजर आते हैं। वह परोपकारी भी हैं और अपनी आमदनी से एक मोटी रकम अभावग्रस्त लोगों पर खर्च करते रहते हैं। इस सबके साथ वह मृदुभाषी हैं। चर्चा में आने के लिए उनके बारे में लोग कई बार उल्टा-सीधा बोल जाते हैं, पर वह कभी पलट कर कुछ नहीं कहते और शालीनता से बात टाल जाते हैं।

वर्तमान टीम में वह सीनियर खिलाड़ी हैं और टीम में कई चेहरे ऐसे हैं, जिन्होंने सचिन को देख कर क्रिकेट सीखा है, पर इतने जूनियर खिलाडिय़ों को कभी ऐसा नहीं लगता कि वह दुनिया के महान खिलाड़ी के साथ खेल रहे हैं। सचिन में अहंकार नाम की कोई चीज है ही नहीं। जूनियर खिलाड़ी उनके साथ मजाक या शरारत करने में हिचकते हैं, पर सचिन अपनी ओर से पहल कर ऐसे खिलाडिय़ों की झिझक दूर कर देते हैं, ताकि साथी खिलाडिय़ों के बीच महानता आड़े न आये, तभी बीस साल बाद भी वह टीम के सबसे अधिक शरारती खिलाडिय़ों में से एक माने जाते हैं। वह सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के साथ आदर्श नागरिक भी हैं और बेहतर पति के साथ बेहतर पिता भी हैं, तभी बेटे के साथ खेलते नजर आते हैं और इन्हीं सब खूबियों के कारण उनका नाम स्वयं में एक ब्रांड बन गया है। उनके नाम से रेस्टोरेंट खुलता है, तो देश व दुनिया में चर्चा का विषय बन जाता है। वह ट्विटर पर आते हैं, तो वहां भी सुपर हिट हो जाते हैं। उनके लाखों फालोअर हैं, इसी तरह फेसबुक पर भी उनका नाम सबसे अलग दिखाई देता है।

अब क्रिकेट की बात करें, तो सर्वाधिक शतक, सर्वाधिक रनों के साथ अन्य अधिकाँश रिकॉर्ड सचिन के ही नाम पर दर्ज हैं। अमेरिका की प्रतिष्ठित पत्रिका मानी जाने वाली टाइम पत्रिका में स्थान पाना यदि सम्मान की बात है, तो वह भी सचिन तेंदुलकर को स्थान देने के लिए मजबूर हो गयी थी। टाइम ने ग्वालियर के कैप्टन रूप सिंह स्टेडियम में 24 फरवरी 2०1० को दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध बनाये दो सौ रनों के विश्व स्तरीय कीर्तिमान को विशेष पल करार दिया था। कुल मिलाकर सचिन के पास आज सब कुछ है। धन-सम्मान, यश-कीर्ति, वैभव के साथ सब कुछ होते हुए भी वह देश के आम नागरिक की तरह ही सोचते और व्यवहार करते हैं। सभी को याद होगा कि टीम इंडिया के कप्तान की भूमिका में वह स्वयं को सहज महसूस नहीं कर पा रहे थे, तो उन्होंने खुशी-खुशी कैप्टन पद छोड़ दिया था। ऐसे ही जिस दिन उन्हें यह अहसास हो जाएगा कि उनमें टीम इंडिया में खेलने लायक ऊर्जा नहीं बची है, उस दिन वह संन्यास लेने के लिए किसी अन्य के सुझाव का इन्तजार नहीं करेंगे और बेवजह सचिन की नीयत पर सवाल उठाने वालों को मूर्ख ही माना जाना चाहिए।

1 COMMENT

  1. महोदय आपकी राय से विल्कुल सहमति है लेकिन आपकी सचिन के प्रति कांग्रेसी शैली की चमचागीरी से मैं अपना विरोध दर्ज कराना चाहता हूं, सचिन की महानता और खेल के वारे में कोई शिकायत नहीं
    ,मैं भी सचिन का बहुत बड्डा फैन हूं परंतु मैं उनमें से भी हूं जो चाहते हैं कि अब सचिन को ससम्मान रिटायर हो जाना चाहिए पर यह मेरा विचार है और इसके लिए गौतम जी मुझे मूर्ख ठहराएं- शायद संवाद की मर्यादा भंग होती है इस शीर्षक से, हो सकता है आपको सचिन जी से कोई निजी लाभ मिलता हो इस लिए आपने करोड़ों लोगों को मूर्ख कहा है। एक पत्रकार के नाते तो आपको और संयत और गुरुतर व्यवहार का होने की हमारी अपेक्षा है। खेल और राजनीति की यह मायावी, मुलायमियत की व्यक्तिवादी, पूजावादी शैली से न व्यक्ति महान हो जाता है और न उनके अनुयायी और चमचे तो सदैव दुत्कारे ही जातेहैं।

    मुझे ध्यान है कि हमारे बचपन में गावस्कर के ऊपर भी रिटायर होने का दबाव बना था और एक उदाहरण मुझे याद है किसने कहा था पता नही, पर था यह कि आम पक जाए तो और नहीं पकाना चाहिए, सड़ जाता है। माननीय सचिन जी के कैरियर में भी यही मो़ड़ आ गया है, लगातार असफलताओं से इज्ज्त घटती है, आप हमेशा योद्धा के रुप में युद्ध नहीं जीतते कभी योद्धा तो कभी रणनीतिकार कभी परामर्शदाता आदि भी आपकी भूमिकाएं हो सकती हैं। अब सचिन को अगली पीढी के लिए सन्यास ले लेना चाहिए या जिन उदारताओं के वे धनी हैं, आगे बढ़कर हार की जिम्मेदारियां स्वीकार करनी चाहिए ,उनके जैसे महानतम भगवान की असफलताओं से मिली हार का ठीकरा अन्य के सिर क्यूं फूटना चाहिए,।

    उनके खेल की उत्कृष्टता निर्विवाद है, सभी सेनाओं के अध्यक्ष विल्कुल शारीरिक रुप से फिट होते है वल्कि वायुसेनाध्यक्ष तो आखिरी महीने तक जहाज उड़ाते हैं तो क्या उन्हें हम यह छूट दे सकते हैं कि वे जब तक चाहेंगे हमारा नेतृत्व करते रहेंगे और जिस दिन ———-।
    अतः सचिन का विरोध करने वाले उनके खेल के विरोधी नहीं है और न मूर्ख हैं वल्कि वे खेल प्रेमी हैं किसी के अंध भक्त नहीं। अंध भक्ति में तो निर्मलबाबा का क्या हाल हुआ संसार ने देख लिया।
    आशा है मेरी बात को अन्यथा नहीं लेगे। वैचारिक भिन्नता से कोई मूर्ख नहीं हो जाता है।
    सप्रेम एवं सादर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,722 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress