परमपूज्य ब्रम्हलीन श्री देवरहा बाबा जी महाराज के परम शिष्य त्रिकालदर्शी संत श्री देवरहाशिवनाथदास जी के नेतृत्व में आलम नगर (बिहार) के बाबा सर्वेश्वरनाथ मंदिर में आयोजित त्रिदिवसीय अष्टयाम संकीर्तन व ज्ञान महायज्ञ का आज दिनांक ११ मार्च को समापन हो गया.इस यज्ञ में भारी संख्या में लोगों ने भाग लिया तथा महाप्रसाद ग्रहण किए.
इस यज्ञ की पूर्णाहूति के पश्चात् संत श्री देवरहाशिवनाथ जी महाराज ने भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि संत के दर्शन और सत्संग के द्वारा ही आत्मा का उद्धार होता है. उन्होंने कहा कि जीवन को दण्डित करना या कृपा करना परमात्मा का काम है. जैसे माता अपने बच्चों को खिलाती, पिलाती, नहलाती और सुलाती है तथा बच्चे के गलती करने पर थप्पड़ भी मारती है. यदि माँ अपने बच्चों को मारती भी है तो एक मात्र लक्ष्य उसको सुधारना होता है, न कि बिगाड़ना. परिवार में बहुतायत ऐसे बच्चे होते है जो माँ के थप्पड़ मारने पर घर ही छोड़ देते हैं. तो वही जो सच्चे संतान होते है माँ के द्वारा दण्डित होने पर अपनी गलती त्याग कर कुशल व्यक्तित्व को प्राप्त करते है. इसी प्रकार जब अज्ञानी भक्त के ऊपर प्राकृतिक आपदा आती है तो वह भगवान से ही मुख मोड़ लेता है.जिसके कारण इस जन्म को कौन कहे अगले जन्म का रास्ता भी बिगड़ जाता है. जब भगवान जीव पर अहैतुकी कृपा की वृष्टि करते है तो वह उसे संत और सत्संग का सानिध्य देते है, जिसके श्रवण, मनन और अनुसरण के द्वारा उसका उद्धार हो सकता है.