बच्चों का पन्ना विविधा

सरल श्लोकों से बाल संस्कार

ramडॉ, मधुसूदन
सूचना:
मित्रों के अनुरोध पर:
सरल श्लोकों का चयन, बालकों को हिन्दी-संस्कृत उच्चारण के अभ्यास के लिए।

सूचना:
(आप एक या आधी पंक्ति गाकर बच्चों को पीछे दोहराने के लिए कहें।)
अर्थ कभी भी समझा जा सकेगा। पर उच्चारण बालकपन के १० वर्षों में ही सुदृढ हो सकेगा।

शुद्ध उच्चारण
बालकों का शुद्ध उच्चारण सुनिश्चित करने में निम्न श्लोक सहायक होंगे।
संकलन में मनोरंजन के साथ साथ उच्चारण का भी ध्यान रखा है।
बालकों का पठन करते समय आप उच्चारण का विशेष ध्यान रखें।

उच्चारण में (जोडाक्षर के पहले वाले) जुडे हुए अक्षर के पूर्व के अक्षर पर बल होना चाहिए।
जैसे *अक्षर* के उच्चारण में अक्षर =*अक् +शर* की भाँति।
ऐसे श्लोक संस्कार भी है, और उच्चारण का अभ्यास भी है।

(१)
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥

(बालकों के लिए, यह श्लोक बहुत मनोरंजक होता है।
इसी से प्रारंभ करवाकर कण्ठस्थ करने में आसान होगा। एक
बार रुचि पैदा होने पर आप ही आप सीखना चाहेंगे।)

(२)
शैले शैले न माणिक्यं।
मौक्तिकं न गजे गजे॥
साधवाः न हि सर्वत्रं।
चन्दनं न वने वने ॥
—-हितोपदेश
{श, ण, क्त, ध, त्र, च, उच्चारण विशेष है}

अर्थ:
हर पर्बत पर माणिक नहीं होते, हर हाथी के माथेपर मोती नहीं होते ।
सज्जन या साधु भी हर जगह नहीं होते , और हर जंगल में चंदन के पेड नहीं होते ।
वास्तव में—–इस संसार में अच्छे लोग (वस्तुएँ) भारी मात्रा में नहीं मिलती।)
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(३)
अलसस्य कुतो विद्या।
अविद्यस्य कुतो धनम् ॥
अधनस्य कुतो मित्रम् ।
अमित्रस्य कुतो सुखम् ॥
विशेष उच्चरण {त, द्य, ध, त्र, ख, }
आलसी मनुष्य को विद्या कैसे मिलेगी? विद्या न होनेपर धन भी नहीं मिलेगा।
और धन नहीं, तो उसका कौन मित्र बनेगा ? फिर मित्र नहीं तो सुख कैसे पाएगा?
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(४)
आकाशात् पतितं तोयं।
यथा गच्छति सागरम् ॥
सर्वदेवं नमस्कार:।
केशवं प्रति गच्छति ॥

{विशेष उच्चारण त् , त, च्छ, द, स्क, प्र, }

आकाश से गिरा हुआ (वर्षा) पानी, जैसे नदियों से आखिर सागर से जा मिलता है; उसी भाँति सभी देवों को किया हुआ नमस्कार एक ही भगवान को पहुँचता है ।