धन कमाने की लालसा, (उत्साह, ख्वाहिश) शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जिसमे न हो आज तो चारो तरफ वातावरण धनामय हो चूका है पूरब हो या पश्चिम, उत्तर हो या दक्षिण धन की वर्षा तो हर तरफ हो रही है ! कोई वैधानिक अथवा कोई अवैधानिक तरीके से भोली भली जनता को धन कूबैर की तरह मुफ्त धन देने की बात कर रहा है ! विगत दो माह से देश के सरे न्यूज़ पपेर्स विशेष कर उत्तर प्रदेश और दिल्ली के, इस तरह के खबरों से भरे हुए है कोई अचानक किसी माता अथवा किसी देवता की शक्ति पाने का झूठे दावे करता है तो कोई एक साल मे ही धन को दुगना करने पर अमादा है ! लेकिन हमारे देश में अभी भी मूर्खो और अन्धविश्वाश में जीने वालो की कमी नहीं है और न ही उनको मूर्ख बनाने वाले नटवरलालो की…… आइये हम अपने मूल विषय की तरफ चले …. आखिर किया है शेयर विथ केयर………. बुद्दिएस .
यह बात लग भाग आज से १८-२० वर्षो पहले की जब मई अपनी इंटर के एक्साम पास कर के नया नया ग्रेजुएट (स्नातक) करने कॉलेज गया था वहा पर मेरे उम्रः के सभी छात्र सिर्फ शेयर पर ही चर्चा किया करते थे जब भी मई कॉलेज जाता और सुबह ८-१० तक कॉलेज में वातावरण बहुत जोश और खरोश से भरा हुवा होता था लेकिन १० बजे की क्लास आते ही सारा का सारा कॉलेज ऐसा लगता था मानो एक कब्रिस्तान में बदल जाता था प्रोफ़ेसर साहब सिर्फ कुछ १०-१५ लड़कियों और ०५-०६ लड़को के साथ ही अपनी विषय पर चर्चा कर के संतोष कर लेते थे ! हर इंसान चाहे वो जवान हो या बूढा एक ही मार्ग की तरफ भागा जाता था —- वो मार्ग मेरे शहर कानपुर का सब से साफ सुथरा और ओफ्फिसो से भरा था उसी मार्ग पर एक विशाल भवन था जहा पर आप अपनी उन दोस्तों और रिश्ते दारो को भी पा सकते थे जीने आपकी शायद पिछले कई सालो से मुलाकात भी नहीं हुई होगी यह पथ पर चाय और समोसे बेचने वालो कई जैसे हर दिन ईद और दिवाली में बदल गयी थी …. हर तरफ एक ही नारा था शेयर मार्केट कई जय हो , छोटी बड़ी सभी कंपनी कई जय हो….
लेकिन अचानक वक़्त ने करवट बदली और हर्षद मेहता नमक जिन् बोतल से निकला और उसने पूरा का पूरा शेयर मार्केट को अपनी दुष्ट पंजो में दबोच लिया हर तरफ सिसकिया ही सिसकिया थी किसी ने ज़हर खाया तो किसी ने गंगा मे छलांग लगा दी कोई फर्श से अर्श ( ज़मीन से आसमान) पर तो कोई नुकसान के होने पर धरती में ही समां गया नुकसान के होने पर धरती में ही समां गया और इस तरह इंसान इंसान को खा गया शेयर मार्केट के बड़े बड़े योधा एक ही वार में चित हो गए सपने धूल में मिल गए इंसान आत्मा के होते हुवे भी आत्मा विहीन था सोते हुवे भी जागता था और हर वक़्त भय ही भय था चारो तरफ लेनदारों की न ख़त्म होने वाली लाइन !
यहाँ मै यह बताना उचित समझता हूँ की शेयर मार्केट उल्लास , धैर्य, चमक से पूर्ण और विवेक का विषेय है यहाँ पर विवेक और धैर्य ही सच्चे दोस्त है किसी तरह की जल्दबाजी स्वर्ग से नरक की तरफ ले जा सकती है विगत दो वर्षो पहले हमारे भारत में शेयर मार्केट का सेंसेक्स उच्चतम ( शिखर ) पर जाने के बाद फिर वापस ७००० आ गया और अब फिर आख- मिचौली खेल रहा है….!
शेयर विथ केयर में मेरे कहने का सार सिर्फ इतना है की मेरे भाईयो- दोस्तों हम सब की जीवन मे कुछ न कुछ जिम्मेदरिया होती है आज के इस आधुनिक युग में इंसान की लालसा कम से कम समय मे ज्यादा से ज्यादा पाने की ख्वाहिश होती है वो अपने और अपने उपर आश्रित लोगो को वो सब कुछ देना चाहता है जिसके वह सपने देखता है या मारन करता है उसका संघर्ष किसी भी तरह से उस टारगेट को पाना होता है लेकिन कभी कभी वह उस लक्ष्य को पाने के लिए मार्ग से भी भटक जाता है और लाभ के बजाय वह हानि की तरफ बढता रहता है और एक दिन उसके पैर ऐसे दलदल में फस जाते है जो उसके काल का कारण बन जाते है
शेयर खेलना या इसको अपने आय का साधन बनाना अर्थार्त जीविका यापन होना गलत नहीं है लेकिन इसको दोस्त कम दुश्मन जयादा समझना चाहे ….! यह वह मार्ग है जिसमे यूं-टर्न नाम की कोई चीज़ नहीं है इसलिए विवेक ही ऐसा हथियार है जो इस रास्ते की ज़ंग को आसानी से जीत सकता है…..
इसलिए खेलो इंडिया खेलो …जी भर कर खेलो …… लेकिन विवेक से खेलो……
Apka lekh aankh kholne wala hai , ishwar apko apni dkhshta se aur likhne ka mauka de