सोशल मीडिया : वरदान भी अभिशाप भी

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डॉ जीतेंद्र प्रताप

जवाहर नवोदय विद्यालय मुडिपु, दक्षिण कन्नड़, कर्नाटक, 574153 संपर्क सूत्र 9739198095 मानव ईश्वर का अब तक का सर्वश्रेष्ठ सृजन है जो अन्य प्राणियों की तुलना में सोचने -समझने की असीम शक्ति लेकर पैदा होता है। अपने आदिम समय से लेकर आज तक उसने न जाने कितनी खोजें की हैं जिन्होंने उसके जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष अथवा सकारात्मक व नकारात्मक रूप में प्रभावित किया है। सूचना प्रौद्योगिकी व वैज्ञानिक आविष्कारों की एक लंबी श्रृंखला है जिसने मानव जीवन को काफी हद तक सरल से सरलतम बना दिया है। सोशल मीडिया का सकारात्मक परिप्रेक्ष्यः आज का युग तकनीकी विकास का युग है। वर्तमान सदी को कुछ विद्वान इंटरनेट की सदी के रूप में भी संबोधित करते हैं। इस सदी में संचार क्रांति के क्षेत्र की कई खोजों ने मानव जीवन को पूर्णतया बदल कर रख दिया है। सोशल मीडिया संचार क्रांति की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि व पड़ाव माना जा सकता है। आज न केवल युवा बल्कि पढ़े-लिखे बच्चे व बुजुर्ग भी अपने आप को सोशल मीडिया से दूर नहीं रख पा रहे हैं। सोशल मीडिया एक प्रकार का ऐसा जाल है जिससे हम चाहकर भी बच नहीं सकते। एक समय समाचार पत्र, पत्रिकाएं, रेडियो, टेलीविजन आदि संचार के या यूं कहें कि जनसंचार के प्रमुख साधन हुआ करते थे लेकिन आज समय के साथ-साथ सोशल मीडिया की पहुंच जन-जन तक व्याप्त हो गई है। आज इंटरनेट का उपयोग करने वाला हर शख्स किसी न किसी सोशल नेटवर्किंग साइट का उपयोग करता हुआ पाया जा सकता है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में लगभग 200 से अधिक सोशल नेटवर्किंग साइट हैं जिनमें फेसबुक, ट्विटर, मायस्पेस, लिंकडइन, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप आदि बहुत लोकप्रिय हैं। एक सर्वेक्षण के मुताबिक दुनिया भर में फेसबुक को लगभग 1 अरब 28 करोड़, इंस्टाग्राम को 15 करोड़ लिंक्डइन को 20 करोड़, ट्विटर को 15 करोड़ लोग उपयोग में ला रहे हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार व्हाट्सएप के सबसे अधिक प्रयोग करने वालों की संख्या भारत में ही है। आज के दौर में सोशल मीडिया हमारे जीवन का अहम अंग बन चुका है जिसकी अपनी अलग-अलग महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं। सोशल मीडिया आम जनता को न केवल सूचनाएं प्रदान करता है बल्कि मनोरंजन व शिक्षा भी प्रदान करने की सामर्थ्य रखता है तथा दूरदराज बैठे लोगों से प्रभावी संप्रेषण की सुविधा भी मुहैया कराता है। सोशल मीडिया अन्य परंपरागत मीडिया मंचों से बिल्कुल अलग है। यह एक प्रकार का वर्चुअल वर्ल्ड बनाकर एक विशाल नेटवर्क का सृजन करता है, जिसमें दुनिया के किसी कोने में बैठा व्यक्ति इंटरनेट के माध्यम से जुड़ सकता है। यह संचार का अब तक का सर्वश्रेष्ठ माध्यम बनता जा रहा है। सोशल मीडिया किसी भी व्यक्ति, संगठन, देश व समाज को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाता है। सोशल मीडिया के माध्यम से हाल के वर्षों में ऐसे कई उदाहरण देखने में आए हैं जिन्होंने लोकतंत्र को मजबूत बनाने में महती भूमिका अदा की है। इसका एक अनूठा उदाहरण कुछ वर्ष पूर्व भारतवर्ष में तब देखने को मिला जब इंडिया अगेंस्ट करप्शन नाम का एक विशाल जन आंदोलन खड़ा हो गया। यह सब इतने कम समय में पूरे देश में फैल गया कि किसी ने कल्पना भी न की होगी। इसकी व्याप्ति सोशल मीडिया के कारण ही संभव हो पाई थी। वर्ष 2014 में आम चुनाव में समस्त राजनीतिक दलों के लिए अपनी विचारधारा के प्रचार-प्रसार का प्रमुख माध्यम सोशल मीडिया ही था। इस चुनाव को सोशल मीडिया ने काफी हद तक और गहरे तक प्रभावित किया। कुछ वर्ष पूर्व दिल्ली में निर्भया बलात्कार की लोमहर्षक घटना घटी थी। इसके खिलाफ समूचे भारतवर्ष का गुस्सा फूट पड़ा था। सभी ने इस घटना के विरोध में एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद की थी। कम समय में ही सोशल मीडिया की बदौलत यह एक जन-आंदोलन बन गया और केंद्र सरकार का सिंहासन डोलने लगा था। संप्रेषण के क्षेत्र में सोशल मीडिया के अनेक मंचों की महत्वपूर्ण भूमिका पाई गई है। यह संप्रेषण का सस्ता, सबसे सस्ता, प्रभावी व कम समय लेनेवाला साधन भी है। आज सोशल मीडिया रोजगार, शिक्षा या अन्य किसी कारण से अपने सगे संबंधियों से दूर रहने वाले व्यक्तियों को आपस में ऑडियो- वीडियो कॉल, संदेश भेजने, चित्र भेजने आदि की सुविधा भी मुहैया करा रहा है। इस लिहाज से सोशल मीडिया के महत्व को कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा। सोशल मीडिया वर्तमान भारतीय लोकतंत्र में किसी मुद्दे के खिलाफ या पक्ष में जनमत निर्माण का भी काम करता है। फेसबुक आदि मंचों पर हम किसी मुद्दे को लिखकर उसे प्रचारित-प्रसारित करके अपने मित्रों व आमजन से उस मुद्दे पर राय ले सकते हैं। वर्तमान नौकरशाही के भ्रष्टाचार से जुड़े कई मामलों को उजागर करने में सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आज कैमरे की स्टिंग से कैद किए गए भ्रष्टाचार के मामलों के वायरल होने की खबरें आम हो चली हैं। वायरल होने के डर से बहुत से अधिकारी या कर्मचारी रिश्वत आदि लेने से पहले सौ बार सोचते हैं। सोशल मीडिया लोगों को शिक्षित करने का भी प्रयास करता रहा है। आज सोशल मीडिया पर विविध समूह बनाकर लोग शिक्षा भी ग्रहण कर रहे हैं। किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी आदि करने की पूर्ण जानकारी आज के कई प्रतियोगी छात्र अपने साथियों के साथ साझा कर रहे हैं। इससे दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले उन छात्रों व युवाओं को विशेष फायदा पहुंच रहा है जिनके लिए शहर में जाकर रहना और महंगी महंगी कोचिंग क्लासेस जॉइन करना संभव नहीं होता है। आज कम खर्च में ही ऑनलाइन ऑडियो-वीडियो नोट्स आदि सोशल मीडिया के माध्यम से ही गरीब छात्रों तक पहुंचकर उनकी मदद कर रहे हैं, इस प्रसंग में सोशल मीडिया भूमिका प्रशंसनीय है। सोशल मीडिया राष्ट्रीय व सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देने का एक प्रमुख साधन भी है। साथ ही यह नवागत शिक्षकों, व्यवसायियों, कवियों व साहित्यकारों को एक ऐसा प्लेटफार्म प्रदान कर रहा है जिससे उन्हें अनेकानेक लाभ हो रहे हैं। एक समय था जब ख्यातिलब्ध साहित्यकारों के समक्ष नए लेखकों व कवियों को कोई पूछता तक नहीं था । लेकिन आज यह सोशल मीडिया की ही ताकत है कि नए लोग न केवल साहित्य सृजन कर रहे हैं बल्कि अपने आप को प्रख्यात लेखकों व साहित्यकारों के समक्ष स्थापित भी कर रहे हैं। सोशल मीडिया किसी भी देश और समाज के अर्थतंत्र को भी प्रभावित करता है। आज बहुत से नए उद्यमी सोशल मीडिया की मदद से न केवल अपने व्यवसाय का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं बल्कि अपने उद्यम के क्षेत्र में सफलता के झंडे भी गाड़ रहे हैं और देश के विकास में योगदान भी कर रहे हैं। सोशल मीडिया ने विज्ञापन जगत को भी काफी हद तक प्रभावित किया है। साथ ही यह पब्लिसिटी के एक मुख्य प्लेटफार्म के रूप में सामने आया है। राजनेताओं के लिए कई मायने में सोशल मीडिया वरदान के रूप में साबित हुआ है। सोशल मीडिया का नकारात्मक परिप्रेक्ष्यः इन सब सकारात्मक सरोकारों के साथ-साथ सोशल मीडिया ने कई नकारात्मक रूपों में भी मानव जीवन को प्रभावित किया है। जैसा कि हर एक चीज के कुछ श्वेत पक्ष होते हैं तो कुछ स्याह पक्ष भी होते हैं। ठीक वही सोशल मीडिया के साथ भी है। यह एक ओर हमारी मदद भले करता है, हमारे जीवन को थोड़ा आसान भले बनाता है लेकिन यदि इसका उपयोग सावधानी पूर्वक न किया जाए तो यह विनाशकारी रूप भी धारण कर लेता है। सोशल मीडिया का उपयोग करके आज हर एक व्यक्ति पत्रकार बना हुआ है। खबरों के शोरगुल में कई बार कुछ असामाजिक तत्व गलत खबरें भी प्रसारित कर देते हैं जिससे सामाजिक सद्भाव व सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचता है। प्रायः आज की फोटोशॉप आदि तकनीक का उपयोग करके किसी भी झूठी तस्वीर आदि को इस भाँति प्रचारित व प्रसारित किया जाता है कि वह दो समुदायों व संप्रदायों के बीच क्लेश पैदा करने का कारण बन जाती है। कई बार हाल के वर्षों में इस प्रकार की घटनाएं देखी गई हैं। कुछ वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर व दादरी और राजस्थान के कुछ इलाकों में अफवाह की खबरों के आधार पर लोगों को मौत के घाट तक उतार देने की घटनाएं सुनने को मिलीं। चूँकि सोशल मीडिया पर चीजें त्वरित गति से फैलती हैं इसलिए हमें सावधान रहकर इसका उपयोग करना चाहिए। सोशल मीडिया के कारण साइबर अपराध में हाल के वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। ऐसे अपराधी वायरसयुक्त लिंक सोशल मीडिया पर प्रसारित करके लोगों को बरगलाते हैं। उसके लोभ में आमजन उस लिंक पर जैसे ही क्लिक करता है उसकी सारी गोपनीय जानकारी अपराधियों के पास तक पहुंच जाती है। इन्हें तकनीकी भाषा में हैकर कहा जाता है। कई बार इनसे भयानक से भयानक हादसे भी सुनने को मिले हैं। सोशल मीडिया पर कई बार ऐसे खेल प्रसारित कर दिए जाते हैं जिनकी लत में आकर युवा व बच्चे अपनी हत्या तक कर डालने से गुरेज नहीं करते पिछले कुछ साल पहले ही ब्लू व्हेल गेम ने कई निर्दोष लोगों की जान ले ली है। सोशल मीडिया का उपयोग करने वाला कुछ वर्ष बाद उसकी लत का शिकार हो जाता है। हालत यह हो जाती है कि वह सोशल मीडिया का उपयोग किए बिना रह ही नहीं पाता है। ऐसे भी लोग देखे गए हैं जो सुबह बिस्तर से उठते ही फेसबुक, व्हाट्सएप आदि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर सर्वप्रथम अपना स्टेटस ही चेक करते हैं, उसके बाद दूसरा काम करते हैं। सोशल मीडिया का एक और स्याह पक्ष यह है कि यह समय की बर्बादी करता है। इसमें इतना आकर्षण होता है कि यह एक आदमी को अपनी ओर जकड़कर आकर्षित कर लेता है। मजबूरन वह व्यक्ति कई कई घंटों तक सोशल मीडिया पर ऑनलाइन ही रहता है। युवा व किशोरों के लिए भी सोशल मीडिया काफी नुकसानदेह साबित हुआ है। आज तमाम श्लील और अश्लील ऑडियो-वीडियो कहानियों आदि के सैकड़ों वेबसाइट्स उपलब्ध हैं जिनके आकर्षण में युवा विशेष तौर पर किशोर पॉर्न वीडियो आदि देखने की लत के शिकार हो जाते हैं जिससे उनके स्वास्थ्य को गंभीर खतरा उत्पन्न हो जाता है। चूँकि सोशल मीडिया किसी भी खबर को त्वरित गति से वायरल कर देने का सामर्थ्य रखता है अतः कई बार कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाने से भी गुरेज नहीं करते। वह गुपचुप तरीके से किसी व्यक्ति, विशेष रूप से महिलाओं व लड़कियों आदि की गोपनीय जानकारी इकट्ठा करके या उनकी सही गलत तस्वीर के साथ छेड़छाड़ करके वायरल करने की धमकी देकर उनको धोखा देते हैं ऐसी तमाम घटनाएं आए दिन सुनने व पढ़ने को मिलती है। उक्त वर्णन से स्पष्ट है कि सोशल मीडिया के अनेक दुर्बल पक्ष हैं लेकिन हम उसकी उपयोगिता से नजरअंदाज नहीं कर सकते। यदि निष्पक्ष होकर संतुलित तरीके से सकारात्मक गतिविधियों हेतु सोशल मीडिया को एक टूल के रूप में उपयोग में लाया जाए तो निसंदेह यह हमें कई अर्थों में लाभान्वित कर सकेगा। लेकिन यदि हम इसकी लत के शिकार हुए, इसके हमारे नियंत्रण में होने की बजाय हम इसके नियंत्रण में आ गए तो यह किसी अभिशाप से भी कम न होगा। ॒

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