विविधा

हमारे देश की सारी समस्या का हल – हिन्दी है

-सतीश कुमार आर. रावत

“हमारा देश सन 1947 में आजाद हुआ” यह शब्द हमें हर जगह और हर दिन सुनने को मिलता है पर यह है नहीं। क्या आपने कभी सोचा है कि चीन, जापान, अमेरीका, ब्रिटेन आदि देश इतनें विकसित क्यों हैं? इसका एक छोटा जवाब (उत्तर) है, कि उन्हों ने अपनी मात्र भाषा और राष्ट्र भाषा को महत्व दिया है, न कि अन्य भाषा को। आज हमारी सबसे बडी समस्या है कि जो भाषा हमारी है ही नहीं, उसे हम ज्यादा महत्व देते हैं। अंग्रेजी भाषा में दिया गया प्रवचन मात्र 10% लोगों को ही समझ में आता है बाकी 90% लोग समय व्यस्त करते हैं। इसका कुछ विघ्‍न संतोषी लोग गैर लाभ उठाते हैं।

आज हमारे देश में यदि सभी शिक्षा हिन्दी भाषा में दी जाए तो वह सभी 100% लोगों को समझ में आएगी और सभी उसका भरपूर लाभ उठाएंगे। हमारे देश में हर वर्ष सैकङों हजारो वैज्ञानिक बनेंगे और फिर हमें किसी और देश की तकनीकी का सहारा नहीं लेना पडेगा। समस्त विश्व हमारी तकनीकि का सहारा लेगा। फिर हमारे लोगो को PhD. करने के लिए कहीं और नहीं जाना पडेगा बल्की दूसरे देश के लोग हमारे यहाँ पढने के लिए आएंगे। हमारे देश में नागरिकों के बीच सूचना संचार मजबूत बनेगा और हमारे देश की आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी समस्याएं मूल से ही निकल जाएंगी क्यों कि हम हमारी बात उन्हें अच्छी तरह से समझा सकेंगे और वे अच्छी तरह से समझ सकेंगे। जब भी वे कुछ गलत करते हैं तो हम उन कम शिक्षित लोगों को हमारी आसान भाषा हिन्दी में नहीं बल्की अंग्रेजी में समक्षाते हैं इसलिए उन्हे बात समक्ष में नही आती। उच्च शिक्षा अंग्रेजी में होती है इसलिए 80% विद्यार्थी फैल होते हैं।

हमें हमारी हिन्दी भाषा को इतना ताकतवर बनाना है, कि जिसका लोहा सारा विश्व माने जैसा कि आज अंग्रेजी का है। हिन्दी हिन्दुस्तान की माटी-माटी में बसी है, सभी प्रान्त हिन्दी, संस्कृत और अपनी प्रान्तीय भाषा जानता है, इसलिए सारी प्राथमिक से उच्च शिक्षाए इन भाषाओं में अनिवार्य हो। ततपश्चात किसी अन्य भाषा में हों।

हमें अंग्रेजों ने आजादी दी पर हमारे कुछ मुर्ख विद्वानों ने हमें और खुद को अंग्रेजी का गुलाम बना दिया है। ऐसे देखा जाए तो हम परोक्ष रूप से अंग्रेजों को आज भी गुलाम हैं।

हमारे देश में सबसे जादा कम्प्यूटर प्रोग्रामर हैं पर हमारी भाषा में प्रोग्राम कम (नहींवत) हैं। हमें कम्प्यूटर और इलेक्ट्रोनिक आईटमों पर चीन, जापान, अमेरीका, ब्रिटेन आदि देश की भाषाएँ देखनें को मिलेंगी पर हमारी हिन्दी भाषा में कुछ भी नहीं लिखा होगा। आज चीन, जापान, अमेरीका, ब्रिटेन आदि देश विकसित है तो उसका कारण है कि तकनीकी उनकी भाषा में है और वह उसका भरपूर उपयोग करते हैं और वह विकसित बनते हैं। हमारे देश में बुद्धिजीवी और तकनीकी लोगों की कमी नहीं हैं पर हमारी कमी है कि हमाकी भाषा में तकनीकी नहीं है।

इसलिए हमें हमारे देश को आगे बढाने के लिए हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी को महत्व देना होगा और हमें भाषा की दृष्टी से स्वनिर्भर बनना पडेगा।

जय हिन्द – जय भारत