जिन्दगी की कुछ सच्चाईयां

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तू कल की फिकर में ऐ बन्दे !
आज की हंसी बर्बाद न कर
हंस मरते हुए भी गाता है
मोर नाचते हुए भी रोता है
ये जिन्दगी का फंडा है दोस्त !
इसको हमेशा तू याद रखना
दुखों वाली रात को भी नींद नहीं आती
सुखो वाली रात को भी नींद नहीं आती

ईश्वर का दिया कभी अलग नहीं होता
जो टूट जाये कभी संकल्प नही होता
हार को लक्ष्य से हमेशा दूर रखना
क्योकि जीत का कोई विकल्प नही होता
जिन्दगी तो चीज के टूटने के लिये होती है
एक साँस और दूसरा किसी का साथ
साँस टूटने से तो इन्सान एक बार मरता है
पर किसी का साथ छूटने से पल पल मरता है

जिन्दगी का सबसे बड़ा अपराध है
किसी की आँख में आँसू आपकी बजह से होता है
और किसी की आपके लिये होता है
जिन्दगी माँ जीना आसान नहीं होता
जब तक न पड़े हथोड़े की करारी चोट
पत्थर भी कभी  भगवान नहीं होता
जरूरत के हिसाब से जिन्दगी जियो
ख्वाशयो के मुताबिक कभी नहीं
क्योकि जरूरत तो फकीरों की भी पूरी हो जाती है
और ख्वाशाये तो बादशाहों की भी पूरी नहीं होती

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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