जनता कर्फ़यु की कुछ झलकियाँ

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सूनी सडके,दुकाने बंद,कोई ग्राहक नहीं आया |
देखो भैया,इस कोरोना ने कैसा कहर है ढाया ||

छिपे हुए है सब अपने घर में,कोई नहीं बोल रहा है |
कमीना कोरोना,शिकार की तलाश में डोल रहा है ||

बच्चे भी घर में मस्त है,खेल रहे है अपने खेल |
कोरोना भी खेल रहा है,अब साँप सीडी का खेल ||

पुलिस वाले भी है,अपनी डयूटी पर है तैनात |
कोई दोषी नहीं मिल रहा,किसे लगाये वे बैत ||

राज नेताओ ने भी बजाई,अपने घर में ताली |
राज सत्ता से अलग रहकर,पड़े हुए है खाली ||

कवि लेखक भी लिख रहे है अपनी अपनी बात |
कोई उनको भी नहीं मिल रहा सुने उनकी बात ||

मिडिया वाले भी घूमे रहे है अपने कैमरे के साथ |
किस का इंटरव्यू वे लेवे,किससे कहे अपनी बात ||

सन्नाटा सब जगह पसरा है,ये कोरोना की सौगात |
कोरोना को मार भगाओ तभी मिलेगा सबका साथ ||

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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