रील हीरो से रियल हीरो बने सोनू सूद

इन दिनों समाज सेवा के क्षेत्र में सोनू सूद का नाम बहुत ही लोक प्रिय हो रहा है | उनके द्वारा प्रवासी श्रमिकों को आवास और रोज़गार के लिए किये जा रहे प्रयासों की चर्चा भी चारों ओर हो रही है | कोरोना महामारी में लॉकडाउन के कारण मुंबई में फँसे हजारों प्रवासी मजदूरों और विद्यार्थियों को देश के विभिन्न भागों में गंतव्य तक पहुँचाने वाले फ़िल्म अभिनेता  सोनू सूद अब  समग्र देश में  आशा की नई किरण बनकर उभरे हैं | असहाय,निरुपाय एवं विवश लोगों का उनके प्रति विश्वास इतना बढ़ गया है कि अन्य शहरों में फँसे लोगों ने भी उनसे सहायता की याचना की और उन्हें भी समय रहते सकुशल घर पहुँचाया गया | केरल में ओडिशा  की 177 लड़कियां  जो कपड़ा फैक्ट्री में काम करती थीं, जब सहायता के सभी मार्ग बंद हुए तो उन्होंने सोनू सूद को फोन किया और सोनू सूद की टीम ने उन्हें हवाई जहाज द्वारा उनके गंतव्य तक पहुँचवाया | इस फिल्म अभिनेता के सेवा कार्य से स्वयम्भू जनता के मसीहा और युवा हृदय सम्राट कहलाने वाले तथाकथित नेताओं को भी यह समझ आ गया होगा, कि जनसेवक होने के लिए किस प्रकार कार्य किया जाता है | एक समय था जब ‘नेता जी’  शब्द सम्मान सूचक संबोधन हुआ करता था किन्तु अब व्यंग्य बन गया है |  चुनाव के समय यूपी बिहार सहित पूरे देश के नेता अपने-अपने मतदाताओं को दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद आदि शहरों से वातानुकूलित  बसों में बिठा कर लाते हैं और ससम्मान उन्हें वापस भी छुड़वाते हैं | किन्तु महामारी के समय किसी भी जनप्रतिनिधि ने अपने मतदाताओं के प्रति ऐसी सहानुभूति  नहीं दिखाई ,सभी सरकारों का मुँह तकते रहे | वंशानुगत राजनीति करने वाले अरबपति नेताओं ने भी अपनी जेब ढीली नहीं होने दी  | मजदूरों के गिरते-पड़ते या दम तोड़ते द्रश्य चैनलों और सोशल मीडिया में रातदिन  तैरते रहे किन्तु स्वयं को राष्ट्रीय नेता कहने वाले व्यक्तियों  या दलों  ने ऐसा कोई अनुकरणीय कार्य नहीं किया जिसे समाज सदैव स्मरण करता | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को छोड़ दें तो समग्र देश में एक साथ सेवा करते हुए अन्य कोई भी स्वयं सेवी संगठन द्रष्टि गोचर नहीं हुआ | संघ से जुड़े लोगों ने अकेले मध्य भारत प्रान्त में ही लगभग 2 लाख 25 हजार परिवारों तक सहायता पहुँचाई |यदि पूरे देश में लॉक डाउन के समय के आंकड़े जोड़ें तो एक रिकॉर्ड बन जाएगा |  देश में लाखों स्वयं सेवी संगठन/एन्जियो चलते हैं, इन्हें करोड़ों  रुपये का देशी और विदेशी अनुदान भी मिलता है किन्तु महामारी के समय में देश भर में फैले इन तथाकथित स्वयंसेवी संगठनों से कई गुना अधिक सेवा कार्य आम जनता ने स्वयं के संसाधनों से किये | हर गली-मोहल्ले में रहने वाले नव युवकों ने अपनी क्षमता से भी अधिक श्रम किया और आस पास रहने वालों को भोजन कराया | गुरुद्वारा कमेटियों और मंदिरों ने तन-मन-धन से सेवा कार्य किये किन्तु हमारे देश के राजनीतिक दलों ने ऐसे समय में भी  कोई अनुकरणीय उदहारण प्रस्तुत नहीं किया | यह अत्यंत विचारणीय प्रश्न है कि जो  राजनीति  समाज सेवा का माध्यम हुआ करती थी वह अब केवल सत्ता प्राप्ति का माध्यम बन कर रह गई है अन्यथा लाखों सदस्य संख्या वाले दल यों हाथ पर हाथ धरे न बैठते  | घोर विपत्ति के समय में एक अभिनेता अपने निज सहायकों को लेकर सेवाकार्य में जुट गया  और देखते-देखते ही देखते वह  देश भर में आशा की किरण बन गया | यह कार्य अनुकरणीय और अभिनंदनीय है | सोनू सूद से उन खिलाडियों/सेलिब्रिटी  को भी सीख लेनी चाहिए जिन्हें देश सिर-माथे रखता है और सन्यास लेते ही राजनीतिक दल राज्यसभा भेजने की होड़ में आगे पीछे घूमने लगते हैं | यदि सोनू सूद की भाँति देश में बीस-पचास  लोग उठ खड़े हों तो लोगों की राजनेताओं पर से निर्भरता टूट सकती है | आज भी महानगरों में पहुँचने वाले निर्धन विवश लोग दलालों द्वारा ठगे जाते हैं | दिल्ली और मुंबई में उपचार अथवा रोजगार  हेतु गए लोगों को भोजन,आवास और धन की कमी के कारण अपने-अपने सांसदों के बंगलो पर चक्कर काटने पड़ते हैं | इनमें भी कुछ तो ऐसे सांसद हैं जिनके यहाँ आने वालों को पानी तक की नहीं पूछा जाता | यद्यपि कुछ अपवाद भी हैं मुरैना सांसद और केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने ग्वालियर-चम्बल से पहुँचने वाले लोगों के लिए अपने बंगले पर भोजन और विश्राम की अनुकरणीय व्यवस्था कर रखी है कुछ अन्य नाम भी हैं पर संख्या में कम ही हैं | यदि सभी राजनेता इसी प्रकार से अपने-अपने क्षेत्र के लोगों की चिंता करना आरंभ कर दें तो जनता का बड़ा हित हो सकता है | राजनेताओं के पास कर्यकर्ताओं का बड़ा समूह होता है किन्तु वे इसका प्रयोग समाज सेवा के स्थान पर अपनी सेवा के लिए ही करते हैं इसीलिए सोनू सूद जैसा एक अभिनेता महामारी के समय में देश भर के एन्जिओ, तथाकथित समाज सेवी संगठनों और तथाकथित राजनेताओं से अधिक लोकप्रिय  हो जाता है | आज सोनू सूद समाज सेवा के महानायक के रूप में देखे जा रहे हैं | उनके ट्विटर,फेसबुक और ईमेल पर हजारों लोग प्रतिदिन उनसे सहायता माँगते हैं | पंजाब में जन्मे सैंतालीस वर्षीय इस युवा अभिनेता नेबॉलीवुड के लिए भी प्रेरक उदहारण प्रस्तुत  किया है | अभी कोरोना महामारी से पिंड छुड़ाने में  पूरी दुनिया को कुछ माह और लगने की संभावना है, तब तक प्रवासी मजदूरों के सामने उनके गृह नगर में भी अनेक चुनौतियाँ आएँगी | देश भर के समृद्ध और संपन्न लोगों के समक्ष  उदारता दिखाने का यही उचित समय है | निजी क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों के सामने भी बहुत बड़ी चुनौती उत्पन्न हो गई है, अपना समग्र जीवन कंपनी/संस्था को देने वालों को साल-छह माह काम बंद होने पर ही नौकरी से निकाल देने वाली सक्षम संस्थाओं,जिनके पास हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति है,को भी इस युवा अभिनेता से प्रेरणा लेनी चाहिए | सोशल मीडिया पर उनके सोनू के चाहने वाले उन्हें राजनीति में आ जाने का आह्वान भी कर रहे हैं |  बॉलीवुड से रानीति में आने वालों की एक लम्बी सूची है अमिताभ  बच्चन, शत्रुघन सिन्हा, राज बब्बर आदि सहित दक्षिण भारत में भी अभिनेताओं की राजनीतिक में आने की परंपरा रही है | यदि सोनू सूद भी राजनीति में आते हैं तो इसमें बुराई क्या है | किन्तु राजनीति में आ जाने के बाद सामाजिक कार्यों का मूल्यांकन और उद्देश्य थोड़ा संकुचित हो जाता  है और  व्यक्ति का आयाम भी सिकुड़ जाता है,  किन्तु  अच्छे विचार,कर्म वाले लोग यदि देश की सक्रिय राजनीति से जुड़ें तो इससे राजनीति के स्तर में भी  सुधार होगा | 

डॉ.रामकिशोर उपाध्याय

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

15,446 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress