व्यंग्य/ हिप्प, हिप्प, हुर्रे!!

0
191

capहे मेरे प्रिय वोटरों, हे मेरे आदरणीय सपोर्टरों! आपको यह जानकर अति प्रसन्नता होगी कि मुझे संसद में जाने हेतु हाथी ब्रांड पार्टी का टिकट मिल गया है।हाथ ने डटकर मेरा भोग-उपभोग कर लास्ट मूमेंट में अंगूठा दिखाया। जाते-जाते पूछा, ‘स्टार-व्टार भी हो?’

‘हूं।’ मैंने सीना तान कर कहा।

‘काहे के?’

‘भ्रष्टाचार के।’

‘वो तो पार्टी में पहले ही बहुत हैं। कुछ खेला वेला है?’

‘हां, गुल्ली डंडा।’

‘सॉरी! नहीं चलेगा। गई गुजरी गेम है। क्रिकेट के होते तो चला लेते।’ दुख हुआ। पर मैं नहीं हारा। आपकी सेवा के लिए मैंने कमल का दरवाजा खटखटाया। कमल ने मुझसे पूछा, ‘किस बेस पर पार्टी टिकट के हकदार हो? किस स्तर के चिड़ीमार हो?’ मैंने अपना धांसू बायोडाटा कमल के मुंह पर दे पटकाया! बताया, ‘मैं कीचड़ हूं। यहां से वहां तक फैला हुआ। मुझ पर कमल का ठप्पा लगाइए और एक जीता हुआ उम्मीदवार पाइए। ‘उसने मुंह बनाते कहा,’ कितने बलात्कार किए हैं? कितने खून किए हैं? कितने डकैतों का साथी रहा है? कितने अपहरणों का बाराती रहा है?’

मैं चुप! मेरे ये सारे योगदान तो न के बराबर हैं। मेरा शरम से सिर झुक गया तो एक ने मुंह बनाते कहा, ‘हमारे पास तेरे से योग्य उम्मीदवार हैं। पहले अपना बायोडाटा बढ़ा, फिर टिकट मांगने आ। चिड़ीमारों को हम टिकट नहीं देते। आदर्शवादी आज के दौर में पार्टी नहीं खेते। हिम्मत न हार, तेरे अपराधों के ग्राफ ने चाहा तो अगली बार तू जरूर बनेगा हमारी पार्टी का धांसू उम्मीदवार। पर नाचना गाना भी सीख कर आना। कारण्ा, आज के दौर में पार्टी नेता से नहीं, अभिनेता से चलती है। देश चलाने के लिए नेता नहीं नौटंकी चाहिए, जाइए, पहले किसी एक्टिंग घराने से नौटंकी का कोर्स करके लाइए फिर हमारी पार्टी का दरवाजा खटखटाइए।’

फिर मैं राइट का दामन छोड़ लेफ्ट के पास गया। बोला,’ मैं सच्चा समाजवादी हूं। जगह जगह मैंने बेमतलब के हड़ताल करवाए हैं, मालिकों से मैंने पैसे खाए हैं तो वकर्रों ने डंडे खाए हैं। हड़ताल करवाने में मेरी मास्टरी है। मैं हड़ताल के विरोध में भी हड़ताल करवा सकता हूं। भोले-भाले मजदूरों को कहीं भी मरवा सकता हूं।’

‘यार! हमारे पास ऐसे उम्मीदवार खचाखच भरे हैं। ये देख! टिकट लेने के लिए तेरी जैसी योग्यता वाले बीड़ी पीते हजारों खड़े हैं। अच्छा चल बता, किस पृष्ठभूमि से है?’

‘मेरे बाप-दादा सूद पर पैसा देते थे। जब जनता से पैसा नहीं लौटता था तो उनका खून पी लेते थे।’

‘यार है तो तू बंदा पार्टी लायक, पर पीता क्या है?’

‘बीड़ी के लिफ़ाफे में सिगरेट रख पीता हूं।’

‘गुड! भगवान को मानता है?’

‘सबके सामने गालियां देता हूं,घर में उसके आगे नाक रगड़ता हूं।’

‘वेरी गुड, है तो तू अपनी लाइन का बंदा पर इनमें से जब कोई रुष्ट होकर राइट में जाएगा, यार, माफ करना तेरा नंबर तब भी न आ पाएगा। सॉरी जा, विष यू आल द बेस्ट, कहीं और का दरवाजा खटखटा।’

थका हारा, देश को खाने के लालच का मारा, मैं लालटेन वालों पास गया, बोला, ‘हे लालटेन वालों! एक जीताऊ बंदे को अपना उम्मीदवार बना लो। मैंने दोपहर में भी लालटेन जलाए हैं, मैं वो शख्स हूं जिसने दिन में भी अंधेरे जगाए हैं। मेरा फोटो लालटेन के साथ सजा पार्टी को कृतार्थ कीजिए, चुनाव के नतीजे आने से पहले अपनी झोली के हवाले एक जीता हुआ उम्मीदवार लीजिए।’ पर वे नहीं माने! बोले, ‘हे फसल बटेरे! हमारी लालटेन में कहने को ही बचा है अब तेल, इसलिए किसी और पार्टी की गोद में बैठ चुनाव का खेल।’ खैर! उन्होंने भी मेरे बारे में गलत अनुमान लगाया, जमीन से जुड़े चिड़ीमार को छोड़ पैराशूटी चिड़ीमार को टिकट थमाया और इस तरह उन्होंने भी एक जीता उम्मीदवार गंवाया। मुझे फिर भी दुख न हुआ, मैं नहीं हारा। आपका आशीर्वाद जो साथ था।

आखिर पत्थर दिल ले हाथी वालों के पास गया। उन्हें अपना बायोडाटा थमाया तो हाथी के मालिक को चक्कर आया। बोले, ‘अब तक कहां था हाथी के बाप? हम तुझ जैसे पार्टी वर्कर को पा गद-गद हुए। हाथी के पांव में निसंकोच अपना पांव भिड़ा और तीसरे मोर्चे का कंडीडेट हो जा।’ कइयों ने समझाया,’ यार! कहां फंस रहा है? हाथी का पेट आज तक भरा है क्या? भूखा मर जाएगा।’

मैंने सगर्व कहा, ‘नेता यों ही नहीं बना हूं। हाथी तो हाथी ,चींटी के पेट से भी माल निकालना आता है मुझे। बस, एकबार एंट्री हो जाए,आगे तो देखना आप सब मेरा कमाल ,मुर्गे को बनाके रखूंगा दाल।’

तो बंधुओं, अब आपकी सेवा के लिए मैं आपके द्वार आ रहा हूं। तीसरे मोर्चे के साए तले मदमदाते हाथी के साथ! काले हाथी के साथ! मतवाले हाथी के साथ! सफेद हाथी तो आपने बहुत देखे हैं। वे न धर्म के हाथी हैं, न कर्म के। उनके पास केवल खाने ही खाने के दांत हैं। और ऊपर से दावा ये कि हमने दांत तुड़वा दिए हैं। …और हमारे दिखाने के दांत भी अभी दूध के हैं। बस, आपका प्यार चाहिए, खाने के भी लगा लेंगे।

हमारे विपक्षी हमारे हाथी को बदनाम करने पर तुले हैं। वे हमारे हाथी को चूहा कह रहे हैं, सफेद हाथी कह रहे हैं। पर बंधुओ, हम आपको ध्यान दिला दें कि सोशल इंजीनियरिंग के भू्रण से टेस्ट टयूबी हमारा हाथी काला ही पैदा हुआ है, काला ही जवान होगा, और काला ही जवान रहेगा। हाथी बूढ़ा न कभी हुआ है, न कभी हम उसे होने देंगे। आप भी बताइए? समाज में कभी हाथी बूढ़े हुए हैं क्या? हम उसके साथ रहकर सफेद हो जाएं तो हो जाएं। पर वह सफेद नहीं होगा। पार्टी की ओर से हाथी के गोबर की सौगंध खाकर कहता हूं। हाथी का गोबर खाकर कहता हूं।

धन्य है यह मोर्चा, जिसने आपके जुझारू नेता को पहचाना। जिसने मुझे आपकी सेवा करने का सुअवसर दिया। अब आप मुझे अपनी सेवा करने का मौका देंगे, मुझे पूरा विवास है। आपने अब तक सबको आजमाया, एक बार मुझे भी आजमाएं। आपने अब तक सबको खिलाया, एक बार, बस, एक बार प्लीज़! मुझे भी खिलाएं। सात जन्मों तक आपके अहसान तले दबा रहूंगा। जय हिंद! जय भारत।

-डॉ. अशोक गौतम
गौतम निवास,अप्पर सेरी रोड
सोलन-173212 हि.प्र.
E mail – a_gautamindia@rediffmail.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,858 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress