विवेक कुमार पाठक
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सिनेमा में रिश्ते नातों की सुगंध बिखरने वाले सूरज बढ़जात्या विवेक कुमार पाठक स्वतंत्र पत्रकार अपन पूरब से निकलने वाले सूरज की बात नहीं कर रहे क्योंकि उनका आना जाना आपको पता है। अपन तो मुंबई सिने दुनिया से निकले सूरज की बात कर रहे हैं। अरे वे ही भलेभानुष सूरज बढज़ात्या जिन्होंने हम आपके हैं कौन फिल्म बनाई। घर घर रिश्तों की सौंधी महक और भारतीय विवाह परंपराओं और संस्कारों को सींचा। वे सूरज अपने ही हैं। अपने ग्वालियर के गंगवाल परिवार की बेटी विनीता बढज़ात्या उनकी जीवनसंगिनी हैं। रिश्तों को रोशन करने वाले सूरज बीते दिनों ग्वालियर आए तो भरी आंखों से। यहां से गए भी भरी आंखों से। इस साल पहले उनके पिता नहीं रहे तो अब पत्नी के परिवार पर वज्रपात हुआ। हंसते खेलते परिवारों पर पारिवारिक सिनेमा रचने वाले सूरज बढज़ात्या पर वाकई ये दुखों का पहाड़ जैसा था। आइए ग्वालियर के इस होनहार संबंधी और फिल्म निर्देशक की बातें कर लें कुछ। वे इन दिनों देश दुनिया के चर्चे में हैं। उनकी बनाई हम आपके हैं कौन फिल्म को 5 अगस्त 2019 को पूरे 25 साल जो हो गए हैं। चलो मान लिया कि बहुत बेहतर होगी नदिया के पार मगर इस देहाती सी फिल्म का नाम जिस फिल्म के कारण देश दुनिया में फैला वो थी हम आपके हैं कौन। वही जिसे सूरज बढज़ात्या ने 1994 में रचा था और तबसे यह फिल्म भारतीय रिश्ते नाते परिवार और संबंधों का बेहतर गुलदस्ता बनी हुई है। यह फिल्म 5 अगस्त 1994 को पर्दे पर आयी। तब लता दीदी की आवाज में दीदी तेरा देवर दीवाना गीत घर घर गाया सुना गया। उस साल से अगले कई महीनों तक माधुरी दीक्षित का हरा लहंगा सालियों की मनभावन पोशाक बन गया। जूता चुराई का संस्कार इतना बड़ा बन गया कि शादियों की रतजगाई सालों साल से इसी के नाम पर हुई और लगातार हो रही है। इस रतजगे का लाभ संस्कृति को कुछ ऐसे मिला कि वर वधु के पाणिग्रहण को देखने सुनने नए बच्चे भी जगे रहते हैं। हम आपके हैं कौन फिल्म कई संदेश दे गई। दूल्हे के दोस्त बारात में ऊधम खूब मचाएंगे मगर आज्ञाकारी बनकर। उनका जनरेशन गैप से इतर बाबा चाचा फूफा और मामा को अपनी हंसी खुशी में शामिल करना और उनके कहे में रहना इस फिल्म ने बताया। शादियों में एक दूसरे को इज्जत और सम्मान भी हमने इसमें देखा। कैलाशनाथ और प्रो. सिद्धार्थ चौधरी जैसे समधी सपनों वाले समधी बन गए। विवाह संस्कारों में वर पक्ष के युवा लड़के लड़कियां सड़कों पर नागिन डांस के बाद मंडप में भद्र डांस करने लगे। एकदम झाड़े फटकारे सूट पैंट में बाबू बनकर। हम आपके हैं कौन फिल्म भारतीय बहुओं को ससुराल से जोडऩे वाली रही। उन्हें सनातन सम्मान और प्रेम का वचन देती दिखी। सूरज बढज़ात्या ने हम आपके हैं कौन रचकर अपने पिता के संस्कारों को पर्दे पर दोहराया। बढज़ात्या परिवार के लिए इससे बड़ी खुशी क्या होगी सिनेमा के पर्दे पर 1982 में स्वर्गीय राजकुमार बढज़ात्या ने जब तक पूरे न हों फेरे साथ जैसे हृदयपूर्ण भाव पर्दे पर दिखाए तो सूरज बढज़ात्या ने उदारवाद को अपनाते भारत में दीदी तेरा दीवाना जैसा पारिवारिक गीत घर घर पहुंचाया। वे रिश्ते नातों को फिल्मों और कहानियों से लगातार सींचते रहे। हम साथ साथ हैं में उन्होंने करोड़ों भारतीय दर्शकों को धरती पे रूप मां बाप का उस विधाता की पहचान है कहना कहलाना सिखाया। भारतीय सिने इतिहास में राजश्री प्रोडक्शन को हमेशा इस बात के लिए याद किया जाएगा कि उसकी फिल्में भारतीय रीति रिवाज, विवाह रस्में, लोकाचार, संयुक्त परिवार जैसे सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूत करने वाली रहीं। सूरज वाकई में रिश्तों को रोशन करने वाले फिल्मकार हैं। अपन 2006 में विवाह फिल्म के उस प्रीमियर को कब भूल पाएंगे। ग्वालियर के यादव सिनेमा में सूरज बढज़ात्या और राजश्री प्रोडक्शन ने विवाह फिल्म का स्पेशल शो रखा। उनके घर परिवार रिश्ते नातेदारों और बहुत सारे अपनों ने मिलजुलकर एक हॉल में यह प्रेम से सराबोर फिल्म देखी। अपन ने भी आंखों देखी समीक्षा लिखी प्रेम से। तो सूरज जी आप प्रेम और स्नेह फैलाते रहिए। आपका सदाबहार नायक प्रेम वास्तव में आपके और बढज़ात्या परिवार के प्रेम से भरे हृदय के तारों करोड़ों सिने दर्शकों से जोड़ता है।