राजनीति अखाड़ा न बने संसद November 15, 2016 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment इसमें कोई दो राय नहीं कि सरकार ने कालाधन, भ्रश्टाचार एवं आतंकवाद पर नकेल कसने के लिए हजार-पांच सौ के नोट बंद करके जो निर्णायक पहल की है, वह स्वागत योग्य है। लेकिन नेक फैसले पर अमल की जो तमाम मुश्किलें पैदा हो रही हैं, उनका प्रबंध नोटबंदी लागू करने से पहले कर लिया गया होता तो शायद न तो देश में इतनी छुट्टे व नए नोटों के लिए मारी-मारी हो रही होती और न ही विपक्ष को जनता से सीधा जुड़ा इतना बड़ा मुद्दा मिला होता। इसलिए इस मुद्दे पर हंगामा खड़ा होना कोई हैरानी की बात नहीं है। फिर हमारे सांसदों में बहुत बड़ी संख्या ऐसे सांसदों की है, जो खुद नोटबंदी से आफत अनुभव कर रहे होंगे ? यह नोटबंदी ठीक उस वक्त की गई है, जब उत्तरप्रदेश व पंजाब समेत पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। ऐसे में इस नोटबंदी ने संभावित प्रत्याशि और दल-प्रमुखों की नींद हराम कर दी है। Read more » Featured अखाड़ा अखाड़ा न बने संसद जीएसटी सरकार की प्राथमिकता वस्तु एवं सेवाकर संसद संसद के शीतकालीन सत्र