धर्म-अध्यात्म “सृष्टि की उत्पत्ति का कारण और कर्म-फल सिद्धान्त” November 12, 2018 / November 12, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य हम इस विश्व के अनेकानेक प्राणियों में से एक प्राणी हैं। यह विश्व जिसमें असंख्य सूर्य, पृथिवी व चन्द्र आदि लोक लोकान्तर विद्यमान है, इसकी रचना वा उत्पत्ति किस सत्ता ने क्यों की, यह ज्ञान हमें होना चाहिये। महर्षि दयानन्द ने जहां अनेक प्रकार का ज्ञान अपने सत्यार्थप्रकाश आदि ग्रन्थों में दिया […] Read more » “सृष्टि की उत्पत्ति का कारण और कर्म-फल सिद्धान्त” अखण्डनीय अजन्मा अजर अनन्त अनादि अनुत्पन्न अमर अविनाशी नित्य निराकार सच्चिदानन्दस्वरूप सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वान्तर्यामी
धर्म-अध्यात्म ‘ईश्वर की उपासना से लाभ’ September 17, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य को ईश्वर की उपासना करनी चाहिये अथवा नहीं? जो मनुष्य वैदिक परम्पराओं से दूर हैं और पढ़े-लिखे नास्तिकों के सम्पर्क में रहते हंै वह तो वैदिक विद्वानों के न तो तर्कों को सुनते हैं और न ही उनमें सत्यासत्य की परीक्षा करने की योग्यता होती है। जो सज्जन मनुष्य होता है, […] Read more » ‘ईश्वर की उपासना से लाभ’ अनुत्पन्न अमर ऋषि दयानन्द जीवात्मा अनादि नित्य महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म “सृष्टि में ईश्वर का अस्तित्व सत्य व यथार्थ है” July 13, 2018 / July 13, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, हम जिस संसार को देखते हैं वह अति प्राचीन काल से विद्यमान है। यह कब बना, इसका प्रमाण हमें वेद, वैदिक साहित्य एवं इतिहास आदि परम्पराओं से मिलता है। आर्य लोग जब भी कोई पुण्य व शुभ कार्य करते हैं तो वह संकल्प पाठ का उच्चारण करते हैं। इसमें कर्मकर्त्ता यजमान […] Read more » “सृष्टि में ईश्वर का अस्तित्व सत्य व यथार्थ है” Featured अजन्मा अनादि अनुत्पन्न आनन्दयुक्त ईश्वर ऋषि दयानन्द नित्य निराकार विराट सर्वव्यापक सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान सर्वातिसूक्ष्म
धर्म-अध्यात्म “क्या बिना ईश्वर सृष्टि का बनना व संचालन सम्भव है?” June 20, 2018 / June 20, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हम जिस सृष्टि में रहते हैं वह विशाल ब्रह्माण्ड का एक सौर्य-मण्डल है। इस सौर्यमण्डल में मुख्यतः एक सूर्य, हमारी पृथ्वी और ऐसे व इससे भी बड़े अनेक ग्रह तथा हमारी पृथ्वी का एक चन्द्र व अन्य ग्रहों के चन्द्र के समान अनेक छोटे व बड़े उपग्रह हैं। वैदिक गणना के अनुसार […] Read more » “क्या बिना ईश्वर सृष्टि का बनना व Featured अनादि अनुत्पन्न ईश्वर धार्मिक नित्य व अविनाशी निराकार संचालन सम्भव है?” सच्चिदानन्दस्वरूप सत्य सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वान्तर्यामी
धर्म-अध्यात्म “वेद और ऋषियों ने दिया पूरे विश्व को आत्मा के अविनाशी होने व पुनर्जन्म का सिद्धान्त” June 15, 2018 / June 15, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य जीवन का उद्देश्य ज्ञान की प्राप्ति कर सत्य व असत्य को जानना, असत्य को छोड़ना, सत्य को स्वीकार करना व उसे अपने आचरण में लाना है। सबसे पहला कार्य जो मनुष्य को करना है वह स्वयं को व इस संसार को अधिक सूक्ष्मता से न सही, सार रूप में जानना तो […] Read more » “वेद और ऋषियों ने दिया पूरे विश्व को आत्मा के अविनाशी Featured अनादि अनुत्पन्न अविनाशी चेतन पुनर्जन्म पूर्व जन्म पूर्वजन्म-जन्म-पुनर्जन्म बन्धन मोक्ष सुख व दुख होने व पुनर्जन्म का सिद्धान्त”
धर्म-अध्यात्म सच्ची स्तुति करने वालों को ईश्वर असंख्य ऐश्वर्य एवं अतुल विज्ञान देता है May 23, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर ने समस्त चराचर जगत को बनाया है। वही इसका पालन कर रहा है और वही इस ब्रह्माण्ड की अवधि पूर्ण होने पर इसकी प्रलय करता है। हमारे भीतर ज्ञान प्राप्ति की जो क्षमतायें हैं उसका अधिक से अधिक प्रयोग करके भी हम इस ब्रह्माण्ड की विशालता व इसके स्वरूप को पूर्णता […] Read more » Featured अनादि अनुत्पन्न अमर अल्पज्ञ अल्पशक्तिमान अविनाशी आत्मा अतिसूक्ष्म एकदेशी कर्मेन्द्रिय जन्म-मरण धर्मा ज्ञानेन्द्रिय महर्षि दयानन्द ससीम
धर्म-अध्यात्म “नास्तिक, ईश्वर के सत्यस्वरूप से अनभिज्ञ, मिथ्या कर्मकाण्ड व उपासना करने वाले मनुष्यों का परलोक वा भविष्य असुखद” May 19, 2018 / May 19, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “नास्तिक, ईश्वर के सत्यस्वरूप से अनभिज्ञ, मिथ्या कर्मकाण्ड व उपासना करने वाले मनुष्यों का परलोक वा भविष्य असुखद” मनमोहन कुमार आर्य, हम आंखों से जितना व जैसा संसार देखते हैं वह सब और जो नहीं देख पाते वह सब भी सच्चिदानन्द, सर्वज्ञ, सर्वव्यापक और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की रचना है। उसी परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों को उत्पन्न कर उनके द्वारा ईश्वर, जीवात्मा और सृष्टि का यथार्थ व सत्य ज्ञान […] Read more » Featured अत्यन्त सूक्ष्म अनादि अनुत्पन्न अल्प शक्ति वाला अल्पज्ञ अविनाशी ईश्वर ऋषि दयानन्द एकदेशी