राजनीति स्वानुशासन भूले का नतीजाहै ’स्वराज सम्वाद’ April 11, 2015 / April 11, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment चार बरस पहले इतिहास ने करवट ली। जे पी की संपूर्ण क्रांति के दौर के बाद जनमानस एक बार फिर कसमसाया। वैश्विक महाशक्तियों द्वारा भारत को अपने आर्थिक साम्राज्यवाद की गिरफ्त में ले लेने की लालसा के विरुद्ध धुंआ भी उठा। अन्ना-केजरीवाल की जोङी के साथ मिलकर करोङों भारतीयों ने एक सपना देखा। इसे सुयोग […] Read more » Featured अरुण तिवारी स्वानुशासन भूले का नतीजाहै ’स्वराज सम्वाद’
राजनीति तीसरी नहीं, पहली सरकार है ग्रामसभा April 11, 2015 / April 11, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment इलाहाबाद से वाराणसी जाते समय सङक किनारे एक जगह है- राजा के तालाब। बीते तीन अप्रैल को राजा के तालाब से एक यात्रा चली -तीसरी सरकार संवाद एवम् सम्पर्क यात्रा।राजतंत्र में राजा, पहली सत्ता होता है, प्रजा अंतिम। लोकतंत्र में संसद तीसरी सरकार होती है, विधानसभा दूसरी और ग्रामसभा पहली सरकार। इसलिए मैं पंचायती राज […] Read more » Featured अरुण तिवारी ग्रामसभा तीसरी नहीं पहली सरकार है ग्रामसभा सरकार
खेत-खलिहान इस सवाल का जवाब जरूरी है April 10, 2015 / April 11, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment मेरे पूर्व लिखित लेखों में भूमि अर्जन, पुनस्र्थापन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता कानून-2013 के पक्ष में कई तर्क हैं। इन तर्कों को सामने रख कोई सहमत हो सकता है कि वह भूमि बचाने वाला कानून था। वह बहुमत की राय के आधार पर भूमिधर को भूमि बेचने, न बेचने की आजादी देता […] Read more » Featured अन्ना अरुण तिवारी भूमि अधिग्रहण भूमि अधिग्रहण क़ानून
जन-जागरण राजनीति शख्सियत अंतिम जन को खैरात नहीं, खुद्दारी की दरकार March 27, 2015 / April 4, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment इस दुनिया में यदि कोई सबसे आसान काम है तो वह है, किसी में खामियां निकालना। इस दुनिया में यदि कोई सबसे कठिन काम है, तो वह है, दूसरों को उपदेश देने से पहले उसे स्वयं आात्मसात् करना। इस दुनिया में महान विचारक और भी बहुत हुए, किंतु महात्मा गांधी ने दुनिया के सबसे कठिन […] Read more » Featured अंतिम जन को खैरात नहीं खुद्दारी की दरकार अरुण तिवारी महात्मा गांधी
कविता मां भारती का जलगान March 23, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment जयति जय जय जल की जय हो जल ही जीवन प्राण है। यह देश भारत…. सागर से उठा तो मेघ हिमनद से चला नदि प्रवाह। फिर बूंद झरी, हर पात भरी सब संजो रहे मोती-मोती।। है लगे हजारों हाथ, यह देश भारत….. कहीं नौळा है, कहीं कहीं जाबो कूळम आपतानी। कहीं बंधा पोखर पाइन है […] Read more » अरुण तिवारी जलगान मां भारती का जलगान