जयति जय जय जल की जय हो
जल ही जीवन प्राण है।
यह देश भारत….
सागर से उठा तो मेघ
हिमनद से चला नदि प्रवाह।
फिर बूंद झरी, हर पात भरी
सब संजो रहे मोती-मोती।।
है लगे हजारों हाथ,
यह देश भारत…..
कहीं नौळा है, कहीं
कहीं जाबो कूळम आपतानी।
कहीं बंधा पोखर पाइन है
कहीं ताल, पाल औ झाल
कहीं ताल-तलैया ता ता
यह देश भारत….
हंसी-ठिठोली है
नदी तट पर लगती रोली है।
जल मेला है, जल ठेला है
जल अंतिम दिन का रेला है।।
जल पंचतत्व, जल पदप्रधान
यह देश भारत….
जल वरुणदेव, नदियां माता
जल ही वजु-पूजा-संस्कार।
जल से सारी सभ्यतायें
जल एक ही है, पर नेक आधार।
मां भारती का जलगान है यह
यह देश भारत…..
अरुण तिवारी