धर्म-अध्यात्म “श्राद्ध और तर्पण – ज्ञानपूर्वक किया गया कर्म ही फल दायक होता है अन्य नहीं” October 2, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आजकल देश में श्राद्ध एवं तर्पण का पक्ष चल रहा है। श्राद्ध के बारे में मान्यता है कि भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष में मृतक माता-पिता, दादी-दादा व परदादी-परदादा का का श्राद्ध करने से वह तृप्त होते हैं। इसके लिये पण्डितों व ब्राह्मणों को भोजन कराने सहित यज्ञ-हवन व दान-पुण्य का महत्व […] Read more » अन्धविश्वासों अन्न आचार्य चाचा ताऊ दादा दादी दुग्ध धार्मिक कर्मकाण्डों फल फूफा बहिन बुआ भाई मामा मौसी
धर्म-अध्यात्म “देश में जन्मना जाति व्यवस्था 1350 वर्ष पूर्व आरम्भ हुई” August 3, 2018 / August 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, वेद मनुष्य के गुण, कर्म व स्वभाव को महत्व देते हैं। जो मनुष्य श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव वाला है वह द्विज और जो गुण रहित है उसे शूद्र कहा जाता है। द्विज ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य को कहते हैं जो गुण, कर्म व स्वभाव की उत्तमता से होते हैं। […] Read more » 1350 वर्ष पूर्व आरम्भ हुई” Featured आचार्य ईश्वर ऋषि दयानन्द चाणक्य देश में जन्मना जाति व्यवस्था धर्म पिता पूर्व परजन्म ब्राह्मण माता मुक्ति विद्या वेद सत्संग
धर्म-अध्यात्म “सृष्टिकर्ता ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है वेद और संस्कृत भाषा” August 1, 2018 / August 1, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, संसार में दो प्रकार की रचनायें देखने को मिलती है। एक अपौरूषेय और दूसरी पौरूषेय रचनायें। अपौरूषेय रचनायें वह होती हैं जो मनुष्यों के द्वारा असम्भव होने से नहीं की जा सकती। उदाहरण के लिए सूर्य, चन्द्र व पृथिवी सहित पृथिवी पर वायु, जल, अग्नि आदि की उत्पत्ति मनुष्य कदापि नहीं कर […] Read more » “सृष्टिकर्ता ईश्वर प्रदत्त ज्ञान है वेद और संस्कृत भाषा” Featured अनादि अमर अविनाशी आचार्य नित्य पिता माता राजा व न्यायाधीश सर्वान्तर्यामी ईश्वर सर्वाव्यापक संसार संस्कृत सच्चिदानन्दस्वरूप
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द का वर्ण व्यवस्था पर महत्वपूर्ण उपदेश” July 17, 2018 / July 17, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द ने अपने विश्व प्रसिद्ध ‘सत्यार्थप्रकाश’ ग्रन्थ में वर्ण व्यवस्था पर विस्तार से प्रकाश डाला है और वेदानुकूल ग्रन्थों के बुद्धि व तर्क संगत प्रमाण भी दिये हैं। हम यहां सत्यार्थप्रकाश के चतुर्थ समुल्लास से उनके कुछ विचारों को प्रस्तुत कर रहे हैं। वह लिखते हैं कि जो शूद्र कुल में […] Read more » Featured आचार्य ईश्वर ऋषि दयानन्द धर्म पिता पूर्व जन्म माता मुक्ति विद्या वेद सत्संग
धर्म-अध्यात्म ‘संसार में वेदों की प्रतिष्ठा ऋषि दयानन्द के अतिरिक्त अन्य कोई विद्वान कर नहीं पायाः आचार्य वेदप्रकाश श्रोत्रिय’ July 10, 2018 / July 10, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार के परिसर में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय गुरुकुल महासम्मेलन के समापन दिवस पर वेद एवं संस्कृति सम्मेलन का आयोजन 10.30 बजे पूर्वान्ह आयोजित किया गया। इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए आर्यसमाज के विद्वान डा. वेदप्रकाश श्रोत्रिय ने कहा कि महर्षि दयानन्द जी के दिमाग में यह बात […] Read more » Featured आचार्य आचार्याओं और आर्यसमाज आर्यसमाज तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ब्रह्मचारिणियों ब्रह्मचारी शिक्षा गुरुकुलों
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द का ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ गागर में सागर” May 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment “ऋषि दयानन्द का ‘स्वमन्तव्यामन्तव्यप्रकाश’ गागर में सागर” -मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द का सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ संसार में सुविख्यात ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में ऋषि दयानन्द ने संसार में विद्यमान पदार्थों के सत्य स्वरूप का प्रकाश किया है। यह ग्रन्थ चौदह समुल्लासों में है। प्रथम दस समुल्लास ग्रन्थ पूर्वाद्ध कहलाते हैं और बाद के चार समुल्लास […] Read more » Featured अर्थ-अनर्थ आचार्य आर्य-दस्यु आर्यावर्त्त व आर्य उपाध्याय काम गुरु तीर्थ देव-असुर-राक्षस-पिशाच देवपूजा न्यायकारी पुराण पुरुषार्थ प्रारब्ध से बड़ा पुरोहित प्रजा बन्ध मनुष्य मुक्ति मुक्ति के साधन यज्ञ राजा वर्णाश्रम शिक्षा शिष्टाचार शिष्य सकर्तृक संस्कार
धर्म-अध्यात्म मनुष्य के कुछ आवश्यक कर्तव्य April 27, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम मनुष्य कहलाते हैं। इसका कारण यह है कि परमात्मा ने हमें सत्य व असत्य का विचार करने के लिए बुद्धि दी है। परमात्मा ने ही मनुष्येतर सभी प्राणियों को बनाया है परन्तु उनको बुद्धि नहीं दी है। वह सत्य व असत्य का विचार नहीं कर सकते। वह प्राणी कोई भाषा बोल […] Read more » Featured अध्यापक आचार्य इंजीनियर उपदेशक डाक्टर प्रचारक मनुष्य वाणिज्यिक विद्वान समाज
धर्म-अध्यात्म पूजा क्या, किसकी, कैसे व क्यों करें? April 9, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य जानता है कि वह अपूर्ण हैं। उसे अपने कार्यों को पूरा करने में दूसरे मनुष्यों की सहायता लेनी पड़ती है। कुछ काम ऐसे भी होते हैं, जहां मनुष्यों की सहायता से काम नहीं चलता क्योंकि मनुष्य वह कार्य नहीं कर सकते जिसकी हमें अपेक्षा होती है। ऐसा देखा गया है कि […] Read more » Featured अजन्मा अजर अनन्त अनादि अनुपम अभय अमर आचार्य दयालु निराकार निर्विकार न्यायकारी परिवार व समाज पिता मनुष्य माता सर्वज्ञ सर्वव्यापक सर्वशक्तिमान सर्वाधार सर्वान्तर्यामी सर्वेश्वर सृष्टिकर्ता
धर्म-अध्यात्म ईश्वर, माता-पिता, आचार्य, वायु, जल व अन्न आदि देवताओं का ऋणी मनुष्य October 15, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य इस संसार में पूर्व जन्म के प्रारब्ध को लेकर जन्म लेता है। माता-पिता सन्तान को जन्म देने व पालन करने वाले होने से सभी सन्तानें इन दो चेतन मूर्तिमान देवताओं की ऋणी हैं। माता अपनी सन्तान को दस महीनों तक गर्भ में रखकर उसे जन्म देने योग्य बनाती है, इससे उसे […] Read more » Featured अन्न आचार्य ईश्वर जल देवताओं का ऋणी मनुष्य माता पिता वायु