लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-60 February 19, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का दसवां अध्याय और विश्व समाज शस्त्रों में वज्र मैं हूं, गायों में कामधेनु मैं हूं, प्रजनन में कामदेव मैं हूं, सर्पों में वासुकि मैं हूं। यहां श्रीकृष्णजी किसी भी जाति में या पदार्थादि में सर्वोत्कृष्ट को अपना रूप बता रहे हैं। सर्वोत्कृष्ट के आते ही छोटे उसमें अपने […] Read more » Featured karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-59 February 19, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का दसवां अध्याय और विश्व समाज ऐसी उत्कृष्ट श्रद्घाभावना के साथ जो लोग ईश भजन करते हैं-उनके लिए गीता का कहना है कि उन्हें मैं (भगवान) बुद्घि भी ऐसी प्रदान करता हूं कि जिसके द्वारा वे मेरे पास ही पहुंच जाते हैं। उन पर अपनी अनुकम्पा करने के लिए […] Read more » Featured karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-58 February 15, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का दसवां अध्याय और विश्व समाज ”पत्ते-पत्ते की कतरन न्यारी तेरे हाथ कतरनी कहीं नहीं-” कवि ने जब ये पंक्तियां लिखी होंगी तो उसने भगवान (प्रकत्र्ता) और प्रकृति को और उनके सम्बन्ध को बड़ी गहराई से पढ़ा व समझा होगा। हर पत्ते की कतरन न्यारी -न्यारी बनाने वाला अवश्य […] Read more »  गीता का आठवां अध्याय Featured geeta karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का दसवां अध्याय गीता का नौवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-57 February 15, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का नौवां अध्याय और विश्व समाज अन्य देवोपासक और भक्तिमार्गी पीछे हम कह रहे थे कि गीता बहुदेवतावाद की विरोधी है और एकेश्वरवाद की समर्थक है। यहां पुन: उसी बात को श्रीकृष्ण जी दोहरा रहे हैं, पर शब्द कुछ दूसरे हैं। जिन्हें सुनकर लगता है कि वे बहुदेवतावाद को […] Read more »  गीता का आठवां अध्याय Featured geeta karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का नौवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-56 February 12, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का नौवां अध्याय और विश्व समाज इस प्रकार ईश्वर को एक देशीय न मानना स्वयं अपने बौद्घिक विकास के लिए भी आवश्यक है। आज का मनुष्य धर्म में भी व्यापार करता है। इसलिए हम उसे व्यापार में मुनाफे का एक सौदा बता रहे हैं कि वह ईश्वर को सर्वव्यापक […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का नौवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-55 February 12, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का नौवां अध्याय और विश्व समाज इससे अगले श्लोक में श्रीकृष्णजी कहते हैं कि इस संसार में लोग किसी को ब्राह्मïण, किसी को बड़ा, किसी को चाण्डाल तो किसी को छोटा कहते हैं। जबकि सभी मनुष्यों में ‘मैं’ ही समाया होता हूं। इसका भाव यह है कि आत्मा को […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का नौवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-54 February 8, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का नौवां अध्याय और विश्व समाज गुरू अद्भुत दर्शनीय मिले अर्जुन हुआ निहाल। अतुलित ज्ञान गाम्भीर्य व्यक्तित्व बड़ा विशाल।। ऐसे अद्भुत दर्शनीय गुरू श्रीकृष्ण जी अपने शिष्य अर्जुन को बताने लगे कि अर्जुन! अब मैं तुझे पवित्रतम और अति उत्तम प्रत्यक्ष फल देने वाली, धर्म के सर्वथा अनुकूल और साधन करने […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व ईश्वर विषयक भ्रम गीता गीता का आठवां अध्याय गीता का कर्मयोग गीता का नौवां अध्याय गीता का सातवां अध्याय मोक्ष कब तक मिला रहता है विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-53 February 7, 2018 / February 8, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का आठवां अध्याय और विश्व समाज उत्तरायण प्रकाश है दक्षिणायन अंधकार। शुक्लपक्ष प्रकाश है कृष्णपक्ष अंधकार।। उत्तरायण प्रकाशकाल है तो दक्षिणायन अंधकारकाल है। इन दोनों प्रकार के मार्गों को जीवन पर लाकर तोलते समय ध्यान देना चाहिए कि शुक्ल पक्ष और उत्तरायण काल का अर्थ प्रकाशमान से है। अत: जिसका जीवन […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व ईश्वर विषयक भ्रम गीता गीता का आठवां अध्याय गीता का कर्मयोग गीता का सातवां अध्याय मोक्ष कब तक मिला रहता है विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-52 February 5, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का आठवां अध्याय और विश्व समाज मोक्ष कब तक मिला रहता है अब हम इस विषय पर विचार करते हैं कि मनुष्य को मोक्ष कब मिलता है? गीता के आठवें अध्याय में ही इस पर प्रकाश डालते हुए योगीराज श्रीकृष्णजी ने स्पष्ट किया कि ब्रह्म का एक दिन मानव के एक […] Read more »  गीता का आठवां अध्याय Featured geeta karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-51 February 5, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का आठवां अध्याय और विश्व समाज परमपुरूष अर्थात परमात्मा को पाने का सच्चा साधन योगेश्वर श्रीकृष्ण ‘अभ्यास योग’ को ही बताते हैं। वह कहते हैं कि जो साधक ‘अभ्यास योग’ के माध्यम से चित्त को एकाग्र कर उसे कहीं दूसरी जगह भागने नहीं देता है-वह निरन्तर चिन्तन करते रहने […] Read more »  गीता का आठवां अध्याय Featured geeta karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-50 February 3, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का आठवां अध्याय और विश्व समाज एकाक्षर ब्रह्म गीता के आठवें अध्याय में ब्रह्म, कर्म, अध्यात्म, अधिभूत, अधिदैव, अधियज्ञ तथा अन्तकाल की सुन्दर व्याख्या की गयी है। अर्जुन ने गीता के आठवें अध्याय के आरम्भ में प्रश्न कर लिया है कि पुरूषोत्तम वह ब्रह्म क्या है? अध्यात्म क्या है? कर्म क्या […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व एकाक्षर ब्रह्म गीता गीता का आठवां अध्याय गीता का कर्मयोग विश्व समाज
प्रवक्ता न्यूज़ गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-49 February 3, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का सातवां अध्याय और विश्व समाज ईश्वर विषयक भ्रम जो लोग विभिन्न देवी देवताओं की पूजा में लगे रहते हैं, या विभिन्न व्यक्तियों को ईश्वर मानकर उनकी पूजा करते रहते हैं-उन्हें श्रीकृष्ण जी बुद्घिहीन मानते हैं। कहते हैं कि जो बुद्घिहीन लोग मुझ अव्यक्त को व्यक्त हुआ मानने […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व ईश्वर विषयक भ्रम गीता गीता का कर्मयोग गीता का सातवां अध्याय विश्व समाज