लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-23 December 23, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का चौथा अध्याय और विश्व समाज गीता का चौथा अध्याय अभी पिछले दिनों दशहरा (30 सितम्बर 2017) के पावन पर्व पर देश के राष्ट्रपति भवन में पहली बार इस पर्व से सम्बन्धित विशेष कार्यक्रम रखा गया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस अवसर पर कन्या पूजन […] Read more » Featured आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-22 December 20, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment गीता का तीसरा अध्याय और विश्व समाज जब व्यक्ति अपना कार्य तो अधर्म पूर्वक करे अर्थात डाक्टर रोगियों की सेवा न करके उनकी जेब काटे, व्यापारी शुद्घ वस्तु न देकर मिलावट करे इत्यादि और सुबह-शाम मन्दिरों में घण्टे घडिय़ाल बजाये तो ऐसा कार्य अधर्म=निज स्वभाव के अनुसार न होकर भयजनक होता है, पाखण्ड होता है। […] Read more » Featured आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का तीसरा अध्याय विश्व समाज
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-21 December 19, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का तीसरा अध्याय और विश्व समाज आज के संसार में दुर्जन आतंकी संगठन सिर उठा रहे हैं। इनके विरूद्घ सारे संसार के लोग यदि पूर्ण मनोयोग से उठ खड़े हों तो विश्व को आतंकवाद से मुक्त होने में कोई देर नहीं लगेगी। कर्म को सही गति और सही दिशा […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-19 December 17, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का तीसरा अध्याय और विश्व समाज सन्त का यह कार्य आपको शिक्षा दे रहा है कि यज्ञीय बन जाओ, जो भी कुछ मिलता है-उसे बांट दो। ज्ञान को भी बांट दो और मिले हुए दान को भी बांट दो। चोर, डकैती या लुटेरा व्यक्ति ऐसा क्यों नहीं कर पाता? इसका कारण […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का तीसरा अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-18 December 14, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गीता का तीसरा अध्याय और विश्व समाज यहां श्रीकृष्णजी अर्जुन को पुन: उसके धर्म का स्मरण करा रहे हैं कि तू स्वधर्म को पहचान और उसी के अनुसार आचरण कर, अर्थात कर्म कर। यदि तू यह मान रहा है कि कर्म करना ही नहीं है अर्थात स्वधर्म का पालन करना ही […] Read more » Featured आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-16 December 9, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार गीता यह भी स्पष्ट करती है कि ”हे कौन्तेय! पुरूष चाहे कितना ही यत्न करे, कितना ही विवेकशील हो-ये मथ डालने वाली इन्द्रियां बल पूर्वक मन को विषयों की ओर खींच लेती हैं। मन विषयों के पीछे भागता है और इस प्रकार भागता हुआ […] Read more » Featured आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग विश्व
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-15 December 7, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार ‘गीता’ का कहना है कि योगस्थ होकर कर्मयोग का अभ्यासी बनकर मनुष्य को कर्म के फल की आसक्ति से स्वयं को मुक्त रखना चाहिए। कर्म की सिद्घि या असिद्घि दोनों में ही मनुष्य को समता का भाव अपनाने का अभ्यासी हो जाना चाहिए। […] Read more » Featured आज का विश्व गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-14 December 6, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर् गीता के दूसरे अध्याय का सार और संसार ‘गीता’ कहती है कि इस आत्मा को संसार का कोई शस्त्र छेद नहीं सकता। न इसको अग्नि जला सकती है, और न इसे पानी गला सकता है, इसे वायु सुखा नहीं सकती। अग्नि जला न पाएगा, शस्त्र करे नहीं छेद। पानी गला न पाएगा, […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-13 December 6, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता के दूसरे अध्याय का सार आत्मा को नहीं होत है, सुख, दु:ख का कभी भान। द्वन्द्व सताते देह को बात वेद की जान।। हमारे देश के भी बड़े-बड़े विद्वानों तक को ऐसी भ्रांति रही है। आज के संसार के लोगों की तो यह प्रमुख समस्या है कि वे आत्मा और शरीर […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-7 November 23, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  इसके पश्चात सफेद घोड़ों से जुते हुए विशाल रथ में बैठे हुए श्रीकृष्ण और अर्जुन ने भी अपने दिव्य शंख बजाये, जिससे कि सभी को यह सूचना मिल जाए कि यदि कौरव युद्घ का शंखनाद कर चुके हैं तो पाण्डव भी अब युद्घ के लिए तैयार हैं। संजय धृतराष्ट्र को बता […] Read more » Featured karma yog of geeta आज का विश्व गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-4 November 18, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment वैदिक गीता-सार सत्य डा. देसाई को अपने लक्ष्य की खोज थी और वह अपने लक्ष्य पर पहुंच भी गये थे, परन्तु अभी वास्तविक लक्ष्य (पण्डा और राजा से मिलना) कुछ दूर था। उन्होंने अपने साथ एक मुसलमान पथप्रदर्शक रख लिया था। यह पथप्रदर्शक वहां के लोगों को यह भी बताता जा रहा था कि देखो […] Read more » Featured karmayoga of geeta आज का विश्व कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-1 November 13, 2017 / November 14, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   वैदिक गीता-सार सत्य कभी-कभी मन में आता है कि वह समय कितना पवित्र और प्यारा होगा, जब भगवान श्री कृष्ण जी इस भूमण्डल पर विचरते होंगे? पर अगले ही क्षण मन में यह विचार भी आता है कि उस काल को भी पवित्र और प्यारा नहीं कहा जा सकता, क्योंकि […] Read more » Featured आज का विश्व कर्मयोग गीता का कर्मयोग