राजनीति न प्रगति न जनवाद, निपट अवसरवाद / के विक्रम राव May 29, 2012 / June 28, 2012 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on न प्रगति न जनवाद, निपट अवसरवाद / के विक्रम राव के विक्रम राव वैचारिक आवाजाही निर्मल-प्रवाह जैसी हो तो बौद्धिक विकास ही कहलाएगी। वरना सोच में कोई भी बदलाव अमूमन मौकापरस्ती का पर्याय बन जाता है। आज के कथित प्रगतिवादी इसी दोयम दर्जे में आते हैं। वे सब आत्ममुग्ध होकर भूल जाते हैं कि हर परिवर्तन प्रगति नहीं होता, हालांकि हर प्रगति परिवर्तन होती है। […] Read more » ओम थानवी के. विक्रम राव जनसत्ता भारत नीति प्रतिष्ठान वैचारिक अश्पृश्यता
आलोचना जनसत्ता का प्रगतिशीलता विरोधी मुहिम और के. विक्रम राव का सफेद झूठ / जगदीश्वर चतुर्वेदी May 25, 2012 / June 28, 2012 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on जनसत्ता का प्रगतिशीलता विरोधी मुहिम और के. विक्रम राव का सफेद झूठ / जगदीश्वर चतुर्वेदी जगदीश्वर चतुर्वेदी जनसत्ता अपनी प्रगतिशीलता विरोधी मुहिम में एक कदम आगे बढ़ गया है. उसने के.विक्रम राव का जनसत्ता के 13मई 2012 के अंक में “न प्रगति न जनवाद, निपट अवसरवाद” शीर्षक से लेख छापा है। यह लेख प्रगतिशील लेखकों और समाजवाद के प्रति पूर्वग्रहों से भरा है। यह सच है राव साहब की लोकतंत्र […] Read more » के. विक्रम राव जनसत्ता प्रगतिशील मार्क्सवाद वैचारिक अश्पृश्यता