व्यंग्य साहित्य ग्रीन शासन, क्लीन प्रशासन January 30, 2018 by अशोक गौतम | Leave a Comment अबके दीवाली को जब कसौली के साथ लगते गांव का गंगा कुम्हार अपने गोरू गधे की पीठ पर दीवाली के दीए लाद कालका के बाजार में बेचने गया था तो दीए आढ़ती को बेचने के बाद खुद कालका का बाजार घूमने, घर का जरूरी सामान लेने गधे ये यह कह बाजार हो लिया कि वह […] Read more » Featured क्लीन प्रशासन ग्रीन शासन