समाज मृत्यु को महोत्सव बनाने का विलक्षण उपक्रम है संथारा September 4, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग जैन धर्म में संथारा अर्थात संलेखना- ’संन्यास मरण’ या ’वीर मरण’ कहलाता है। यह आत्महत्या नहीं है और यह किसी प्रकार का अपराध भी नहीं है बल्कि यह आत्मशुद्धि का एक धार्मिक कृत्य एवं आत्म समाधि की मिसाल है और मृत्यु को महोत्सव बनाने का अद्भुत एवं विलक्षण उपक्रम है। तेरापंथ धर्मसंघ […] Read more » Featured जैन धर्म तपस्या त्याग धर्मगुरुओं मृत्यु को महोत्सव बनाने का विलक्षण उपक्रम है संथारा राजनेताओं श्रीमती इंदिरा गांधी समाजसेवियों एवं रचनाकारों संस्कृति-उद्धार साहित्य-सृजन साहित्यकारों
चिंतन धर्म-अध्यात्म जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर जैन April 18, 2016 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध” सत्य और अहिंसा का पाठ पढाकर मानव समाज को अन्धकार से प्रकाश की ओर लाने वाले महापुरुष जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को ईस्वी काल गणना के अनुसार सोमवार, दिनांक 27 मार्च, 598 ईसा […] Read more » Featured चौबीसवें तीर्थंकर महावीर जैन जैन धर्म महावीर जैन
धर्म-अध्यात्म भगवान महावीर जैन धर्म के संस्थापक नहीं April 1, 2015 / April 4, 2015 by प्रोफेसर महावीर सरन जैन | Leave a Comment बहुत से इतिहासकारों एवं विद्वानों ने भगवान महावीर को जैन धर्म का संस्थापक माना है। भगवान महावीर जैन धर्म के प्रवर्तक नहीं हैं। वे प्रवर्तमान काल के चौबीसवें तीर्थंकर हैं। जैन धर्म की भगवान महावीर के पूर्व जो परम्परा प्राप्त है, उसके वाचक निगंठ धम्म (निर्ग्रन्थ धर्म), आर्हत् धर्म एवं श्रमण परम्परा आदि रहे […] Read more » Featured जैन धर्म जैन धर्म के संस्थापक भगवान महावीर भगवान महावीर जैन धर्म के संस्थापक नहीं