लेख साहित्य तुलसीदास की रचना “दोहाशतक” में श्रीराम जन्मभूमि विध्वंस का वर्णन November 18, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 2 Comments on तुलसीदास की रचना “दोहाशतक” में श्रीराम जन्मभूमि विध्वंस का वर्णन डा. राधेश्याम द्विवेदी गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपने साहित्य व रचनाओं में अपने समय की प्रमुख घटनाओं का, राम जन्म भूमि पर हुए अत्याचार तथा बाबरी मस्जिद के बनाये जाने का उल्लेख किया है।आम तौर पर हिंदुस्तान में ऐसे परिस्थितियां कई बार उत्पन्न हुई जब राम -मंदिर और बाबरी मस्जिद (ढांचा ) एक विचार-विमर्श का […] Read more » तुलसीदास दोहाशतक श्रीराम जन्मभूमि विध्वंस का वर्णन
लेख साहित्य नारी के बारे में तुलसीदास जी के विचार October 17, 2016 / October 17, 2016 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | 14 Comments on नारी के बारे में तुलसीदास जी के विचार तमाम सीमाओं और अंतर्विरोधों के बावजूद तुलसी लोकमानस में रमे हुए कवि हैं। वे गृहस्थ-जीवन और आत्म निवेदन दोनों अनुभव क्षेत्रों के बड़े कवि हैं। तुलसी भक्ति के आवरण में समाज के बारे में सोचते हैं। इनकी साधना केवल धार्मिक उपदेश नहीं है वह लोक से जुड़ी हुई साधना है। Read more » गोस्वामी तुलसीदास तुलसीदास नारी के बारे में तुलसीदास जी के विचार
आलोचना मीडिया संचार क्रांति और तुलसीदास April 14, 2011 / December 14, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment जगदीश्वर चतुर्वेदी आज यह बात बार-बार उठायी जा रही है कि आम लोगों में पढ़ने की आदत घट रही है। सवाल उठता है क्या तुलसीदास आज कम पढ़े जा रहे हैं ? क्या ‘रामचरितमानस’ कम बिक रहा है ? तुलसीदास आज भी सबसे ज्यादा पढ़े,सुने और देखे जा रहे हैं। सवाल उठता है पढ़ने की […] Read more » Tulsidas तुलसीदास
आलोचना पितृसत्ता से भागते तुलसीदास के आलोचक May 4, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on पितृसत्ता से भागते तुलसीदास के आलोचक -जगदीश्वर चतुर्वेदी हिन्दी की अधिकांश आलोचना मर्दवादी है।इसमें पितृसत्ता के प्रति आलोचनात्मक विवेक का अभाव है।आधुनिक आलोचना में धर्मनिरपेक्ष आलोचना का परिप्रेक्ष्य पितृसत्ता से टकराए, उसकी मीमांसा किए बगैर संभव नहीं है। मसलन्, अभी तक तुलसी पर समीक्षा ने लोकवादी जनप्रिय नजरिए से विचार किया है और पितृसत्ता को स्पर्श तक नहीं किया है। आधुनिक […] Read more » Tulsidas तुलसीदास पितृसत्ता
आलोचना देरिदा का वायनरी अपोजीशन और तुलसीदास May 3, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on देरिदा का वायनरी अपोजीशन और तुलसीदास जगदीश्वर चतुर्वेदी• तुलसीदास ने अभिव्यक्ति की शैली के तौर पर रामचरित मानस में वायनरी अपोजीशन की पद्धति का कई प्रसंगों में इस्तेमाल किया है। इस क्रम में रावण और राम दोनों के गुण और अवगुणों की प्रस्तुति को रखा जा सकता है। रावण का राम के प्रत्येक कार्य और अवस्था में विपक्ष में रहना, मन्दोदरी […] Read more » Tulsidas तुलसीदास देरिदा
आलोचना मूल्यांकन के पोंगापंथी मॉडल के परे हैं तुलसीदास April 24, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 2 Comments on मूल्यांकन के पोंगापंथी मॉडल के परे हैं तुलसीदास परंपरा और इतिहास के नाम पर हिन्दी का समूचे विमर्श के केन्द्र में तुलसीदास के मानस को आचार्य शुक्ल ने और कबीर को आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने आधार बनाया। सवाल किया जाना चाहिए कि क्या दलित-स्त्री-अल्पसंख्यकों के बिना धर्मनिरपेक्ष आलोचना संभव है? कबीर के नाम पर द्विवेदीजी की आलोचना दलित साहित्य को साहित्य में […] Read more » Ramcharitmanas तुलसीदास रामचरितमानस