कविता
नौकरी
/ by आर के रस्तोगी
नौकरी के नौ काम है,दसवां काम है हां जी का,करते रहो सारे काम,कोई काम नहीं ना जी का। नौकरी में नहीं हैं आजादी,ये काम है गुलामी का,सारे दिन हां हां करो,पूरे दिन ये काम सलामी का। नौकर के नौ हाथ होते,पूरा काम टांग तराजू का,एक हाथ से काम न चलेगा,काम दोनों बाजू का। नौकरी में […]
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