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न्याय व्यवस्था का गिरता हुआ स्तर

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आज कानून का पालन करने वालों से कानून तोडऩे वालों की प्रतिष्ठा अधिक है। इतना ही नहीं, कानून तोडऩे की ‘क्षमता’ ही लोगों की आर्थिक, सामाजिक या राजनीतिक ‘प्रतिष्ठा’ का मापदंड बनती जा रही है। वैसे तो सभी राजनीतिक पक्ष ऐसी संपूर्ण स्वतंत्र और निष्पक्ष न्याय प्रणाली चाहते हैं, जिन्हें सिर्फ उनके ही पक्ष में निर्णय पाने की स्वतंत्रता रहे। इस हालात में किसी भी संवेदनशील व्यक्ति की आंखों में आंसू आएंगे ही। उन आंसूओं में प्रायश्चित और वेदना की अहमियत है, जो व्यवस्था को शक्ति प्रदान कर सकती है।

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